विदेश में 45 लाख रुपये सलाना की नौकरी छोड़ बने किसान,  अब कमाई जान कहेंगे वाह 

Kushal MishraKushal Mishra   5 Oct 2017 4:59 PM GMT

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विदेश में 45 लाख रुपये सलाना की नौकरी छोड़ बने किसान,  अब कमाई जान कहेंगे वाह किसान मनोज नायडू 

लखनऊ। आज कई लोगों का मानना है कि खेती अब फायदे का सौदा नहीं है। किसान अपनी कड़ी मेहनत से अगर फसल पैदा भी कर लेता है तो कहीं फसल खराब मौसम के कारण या फसल रोग या अन्य कारणों से उत्पादन अच्छा नहीं दे पाती है। ऐसे ही अन्य कई कारण हैं, जिस वजह से वे खेती-किसानी को अब मुनाफे का सौदा नहीं मानते हैं और कृषि छोड़कर शहरों में नौकरी करने के लिए पलायन करते हैं।

बदलता इँडिया में आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं कि जो विदेश में नौकरी कर 45 लाख रुपये वार्षिक कमाता था, बावजूद इसके उन्हें नौकरी रास नहीं आई और चार साल बाद नौकरी छोड़कर खेती करने के लिए अपने गाँव वापस चला आया। आज यही शख्स अपने गाँव में न केवल खेती से लाखों का मुनाफा कमाता है, बल्कि अपने बेटे के इस फैसले से उसके माता-पिता भी बहुत खुश हैं। वो आज के जमाने के युवा हैं, जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं।

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कतर के सरकारी तेल कंपनी में लगी नौकरी

यह शख्स हैं रायपुर के बागबाहरा क्षेत्र के चारभांठा गाँव निवासी मनोज नायडू। मनोज नायडू ने मेटलर्जिकल (मेटल से संबंधित इंजीनियरिंग) इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग करने के बाद मनोज की नौकरी सऊदी अरब के कतर में एक सरकारी तेल कंपनी में लगी, जहां उनको सलाना 45 लाख रुपये की आय की नौकरी मिली। एक अच्छा प्रस्ताव मिलने के कारण मनोज कतर चले गये और अपने चार साल नौकरी को दिये। मगर 45 लाख रुपये सलाना की आय होने के बावजूद मनोज को नौकरी रास नहीं आ रही थी, सिर्फ इसलिए क्योंकि अब उन्हें किसान बनना था। आखिरकार मनोज ने नौकरी छोड़कर अपने गाँव वापस लौट आए।

परपंरागत खेती की जगह आधुनिक खेती पर दिया ध्यान

मनोज जब अपने गाँव लौटकर आए तो सबसे पहले मनोज के परिजन उनके नौकरी छोड़ने के फैसले के खिलाफ थे। मगर मनोज नहीं माने और उन्होंने अपने गाँव में खेती करने की ठानी। मनोज ने परंपरागत खेती को अपनाने के बजाए आधुनिक खेती अपनाने पर ध्यान दिया। इसके बाद मनोज ने अपने गाँव में 50 एकत्र कृषि फॉर्म में खेती करने का मन बनाया।

सदियों से चली आ रही परंपरागत खेती की जगह मनोज ने फूल, मुनगा, टमाटर जैसी सब्जियों की खेती करनी शुरू की। धीरे-धीरे उन्हें खेती में लाभ मिलने लगा। इसके बाद मनोज ने टपक सिंचाई पद्धति से हाईब्रिड बरबटी, करेला, ग्वारफली, बैंगन, टमाटर, गोभी, मिर्च आदि फसलों की खेती करना शुरू कर दी और आज अधिक उत्पादन के साथ मनोज खेती से लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैँ। कुछ साल पहले जिस जमीन पर घास भी नहीं उगती थी, उसमें मनोज की फसलें लहलहा रही हैं।

और किसानों को भी किया प्रेरित

वहीं, मनोज की देखादेखी अन्य गाँवों के किसान भी मनोज की खेती देखकर उत्साहित हुए। ऐसे में मनोज ने पांच गाँवों के किसानों को सब्जी की खेती के लिए प्रेरित किया। मनोज की तरह खेती करने वाले बागबाहरा क्षेत्र के कलमीदादर, सुनसुनिया, कोकड़ी और बीकेबाहरा के किसानों को भी आधुनिक खेती के बारे में बताया और उन्होंने मनोज से प्रेरणा लेकर खेती करना शुरू किया। मनोज ने खेती में सरकारी सहायता के बारे में भी किसानों को बताया और खेती में उसकी मदद भी ली।

ऐसे ही एक किसान बागबाहरा के गाँव नर्रा निवासी राकेश श्रीवास्तव ने भी मनोज की देखादेखी आधुनिक खेती अपनाई और सरकारी योजनाओं की जानकारी लेकर पांच एकड़ जमीन में संकर मुनगा के 400 पौधे लगाए। इसमें 250 पौधों ने सात महीने में ही फल देना शुरू कर दिये। आज मनोज के माता-पिता भी उनके इस फैसले से बेहद खुश हैं और विदेशी कंपनी से नौकरी छोड़कर मनोज ने केवल अपने गाँव के किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है।

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