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बुंदेलखंड के किसानों को भा रही धान की खेती

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अरविंद सिंह परमार, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

ललितपुर (उत्तर प्रदेश)। उड़द की बंपर पैदावार के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड के ललितपुर जिले के कई ऐसे भी किसान हैं, जो न केवल परंपरातगत खेती से अलग हट रहे हैं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

2013 में ललितपुर मुख्यालय से पूर्व दिशा में 50 किलोमीटर दूर महरौनी तहसील के कुम्हैड़ी गाँव में इंदर सिंह राजपूत ने 30 एकड़ जमीन खरीदी। जिस परम्परागत तरीके से यहां का किसान उड़द सोयाबीन की खेती करते हैं, उसी तर्ज पर लगातार चार साल इंदर सिंह ने खेती की लेकिन फायदा नहीं उठा पाए।

इंदर सिंह बताते हैं, “उड़द, सोयाबीन में तो 50 हजार भी नहीं बचा पाये, पता चले कि लेबर को रुपए भी गांठ से देना पड़ता था घाटा हो रहा था, इसी वजह से खेती करने का सिस्टम बदला अपने गृह जनपद झांसी के सिस्टम से ललितपुर जिले के कुम्हैड़ी गाँव में धान की खेती की।” जिले में इंदर सिंह एक मात्र ऐसे किसान हैं वो इतने बड़े रकबे में नई तकनीकि से खेती करके आय बढ़ा रहे हैं, सफल होते देख वो काफी खुश हैं।

झांसी जिले से ललितपुर आकर धान की खेती करते हैं किसान इंदर सिंह झांसी जिले से ललितपुर आकर धान की खेती करते हैं किसान इंदर सिंह 

मध्यप्रदेश की सीमाओं से घिरे बांधों के लिए प्रसिद्ध जिला ललितपुर में जहां भी आप देखेंगे सर्वाधिक चारों तरफ उड़द की फसल ही दिखेगी, धान की फसल तो दूर-दूर तक दिखायी नहीं देगी। “पिछले साल पांच एकड़ में छोटे स्तर पर धान की खेती की मुझे लगा मैं फेल ना हो जाऊ, यहां के किसानों ने कहा था यहां चावल होता ही नहीं इस क्षेत्र में। तुम कैसे पैदा कर रहे हो मैंने कहा घाटा लग जायेगा तो देखूंगा। प्रयास तो कर ही सकते हैं आखिरकार प्रयास सफल रहा।” जिक्र करते हुए इंदर सिंह राजपूत ने कहा।

इंदर सिंह ने क्षेत्र के किसानों की बातों की परवाह किये बिना धान की खेती की और सौ कुंतल पैदावार प्राप्त हुई। मंडी जाकर 3150 रुपए प्रति कुंतल के भाव में धान बेचा, जिसमें लागत 50 हजार की आयी, ढाई लाख का फायदा हुआ।

धान की खेती से किसानों की दो गुना से ज्यादा आय हो सकती हैं, हमारी तो हुई है, इसी फायदे को देखकर इंदर सिंह का आत्मविश्वास बढ़ा, इस वर्ष 20 एकड़ में धान की खेती कर रहे हैं। ललितपुर जिले में इंदर सिंह पहले किसान हैं जो इतने बड़े हिस्से में धान की खेती कर रहे है। खुशी का इजहार करते हुए इंदर सिंह राजपूत बताते हैं, “20 एकड़ में धान की प्रजाति 15-0-9 की लगा रहा हूं अच्छी हुई तो 12 लाख का माल निकलेगा थोड़ा 19-20 घाटा हुआ तो दस लाख की पक्का हो ही जाएगा।”


वो आगे कहते कि यहां का किसान अभी सोच रहा हैं धान की खेती करें की नहीं कहीं घाटा ना लग जाए, मैंने धान की खेती की और मुझे फायदा भी हुआ।”

इंदर सिंह बताते हैं, “मंडी पास में नहीं है धान को मध्य-प्रदेश के दतिया डबरा में बेचेंगे, कम तादात में किसान धान की खेती कर तो लेता हैं, लेकिन उपज के दाम नहीं मिल पाते। वो स्थानीय मंडी में औने पौने भाव में बेच देता हैं, उसका मनोबल बढ़ने की बजाए कम हो जाता हैं।”

“धान की खेती के लिए खेत की लेबलिंग के साथ चारों ओर मेड़बंदी जरूरी है। खेत में पानी भरके ट्रेक्टर में केडबील लगाकर मचाई करिये, दो चार बार घुमा दीजिए! मचाई करने से खेत की मिट्टी के सुराग बंद हो जाते हैं, जिससे वाटर लेवल वहीं थमा रहता है, एक एकड़ में औसतन सात किलो धान पर्याप्त होने की बात करते हुए इंदर सिंह कहते हैं, “धान की खेती करने से पहले 25 दिन पहले नर्सरी तैयार करना पड़ेगी, तैयार नर्सरी से पौध उखाड़कर रोपाई कर दीजिए, फिर दस दिन रुक जाइए, जिससे पौध जड़ पकड़ जाएगी। इसके बाद डीएपी डालिए खरपतवार होने पर खरपतवार कीटनाशक का प्रयोग जरूरी है।”


पिछले वित्तीय वर्ष 18-19 में खरीफ में ललितपुर कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, “2.76 लाख हैक्टेयर लक्ष्यपूर्ति के सापेक्ष 2.72 लाख हेक्टेयर में खरीब की बुवाई हुई, जिसमें उड़द सर्वाधिक दो लाख हेक्टेयर में बोई गई, वहीं धान (चावल) की खेती के लिए 15 सौ हेक्टेयर लक्ष्य के सापेक्ष 472 हेक्टेयर) में ही बुवाई हो पायी। कृषि विभाग कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देता है, ज्यादा पानी वाली धान की फसलों को नहीं देता।

ललितपुर की मिट्टी में पैदावार तो अच्छी, धान के लिए जनपद की जलवायु और मिट्टी उपयुक्त हैं और पर्याप्त पानी भी, लेकिन यहां का किसान धान की खेती नहीं कर पाने का जिक्र करते हुए इंदर सिंह कहते हैं, “यहां के किसान को दिमाग की कमी हैं या कोई मार्गदर्शन नहीं मिलता। मैं अकेला यहाँ आया क्षेत्र इतना बड़ा हैं हमारी बात कौन मानेगा।”

वो आगे बताते हैं, “कृषि विभाग भी किसान से कहता हैं कि धान की खेती करोगे तो फेल हो जाओगे यह सुनकर किसान डर गया, हमें भी डराया गया, लेकिन हम डरें नहीं हमने धान की खेती कर दी जिसका हमें फायदा मिला उसी को देखकर इस साल रकबा बढ़ा दिया अगले साल 30 एकड़ में धान की खेती करवाएंगे।”

थोड़े हिस्से में धान की खेती की बात कहते हुए ललितपुर के जिला कृषि अधिकारी गौरव यादव कहते हैं, “बुंदेलखंड में धान की खेती को बढ़ावा नहीं दे सकते। ज्यादा पानी वाली फसल हैं ये क्षेत्र सूखा प्रभावित हैं पानी की कमी है।कम पानी वाली दलहनी फसलों को कृषि विभाग बढ़ावा देता है। अगर धान को बढ़ावा देगे तो पानी कहां से आएगा, ये फसल तो पूर्वांचल की है।”

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