अरुण मिश्रा, गाँव कनेक्शन
विशुनपुर (बाराबंकी)। फूलों की खेती में अलग पहचान बनाने वाले बाराबंकी के ये किसान हमेशा कुछ न कुछ नया करते रहते हैं, इस बार उन्होंने ब्रोकली की खेती शुरू की है।
बाराबंकी मुख्यालय से 20 किमी दूर फतेहपुर ब्लॉक के मोहम्मदपुर निवासी गयाप्रसाद गुलाब की खेती के लिए मशहूर है। निरन्तर खेती में नए प्रयोग करने वाले गयाप्रसाद औषधीय सतावर और ग्लेडियोलस की भी खेती करते हैं। गयाप्रसाद ने इस बार अपने खेतों में इटली में पाई जाने वाली ब्रोकली गोभी की भी खेती शुरू की है।
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ब्रोकोली उगाने का उपयुक्त समय ठण्ड का मौसम होता है इसके बीज के अंकुरण तथा पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए तापमान 20 -25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अक्टूम्बर का दूसरा पखवाडा होता है पर्वतीय क्षेत्रों में क़म उचाई वाले क्षेत्रों में सितम्बर- अक्टूम्बर, मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त सितम्बर और अधिक़ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में तैयार की जाती है।
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गयाप्रसाद बताते हैं, “कई शादी समारोहों में सलाद व सब्जी के रूप में ब्रोकली का प्रयोग होता देखा। इससे मुझे ब्रोकली की खेती करने का आइडिया मिला। यह फसल अक्टूबर व नवम्बर में लगाई जाती है। यह फसल लगभग 100 दिनों में तैयार हो जाती है। सबसे पहले ब्रोकली फसल के लिए नर्सरी तैयार करते हैं।”
इसका बीज स्थानीय बीज भंडार की दुकानो से आसानी से मिल जाता है। इसके बाद अन्य फसलों की तरह ब्रोकली की फसल के लिए खेत तैयार करते हैं। क्यारियां बनाकर ब्रोकली के पौधों को एक फीट की दुरी पर लगा देते हैं। गया प्रसाद ने आगे बताया कि आम गोभी की तरह ही ब्रोकली की सिंचाई भी छह से सात बार करते हैं और दो से तीन बार निराई करनी पड़ती है। फूल अच्छे आये इसके लिए हल्की कीटनाशक दवाई का भी इस्तेमाल करना पड़ता है।
गयाप्रसाद ने अपने डेढ़ बीघे खेत में प्रयोग के तौर पर ब्रोकली की फसल लगाई है। उन्होंने कहा कि अगर ब्रोकली से अच्छा मुनाफा मिलता है। तो अगले साल इस फसल का दायरा बढ़ाएंगे। गयाप्रसाद ने बताया कि एक बीघे में लगभग आठ से नौ हजार की लागत लग जाती है। गयाप्रसाद के खेतो में ब्रोकली की फसल तैयार है। ब्रोकली की फसल से गयाप्रसाद को अच्छी आय की उम्मीद है। गयाप्रसाद का मानना है कि पारम्परिक खेती की जगह सब्जियों व फूलो की खेती कर कम लागत में अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।