स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। गर्मियों में टमाटर व खीरे जैसी सब्जियों की खेती अधिक होती है। ऐसे में कम क्षेत्र में टमाटर, शिमला मिर्च व खीरे की अच्छी फसल लेने के लिए संरक्षित खेती एक बेहतर विकल्प है।
सब्जियों की संरक्षित खेती को किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं,’’ गर्मियों में सब्जियों की खेती करने वाले किसान अच्छी कमाई के लिए टमाटर, शिमला मिर्च और खीरे की संरक्षित खेती कर सकते हैं। यह खेती कम क्षेत्र में ग्रीन हाउस या पॉलीहाउस लगाके की जाती है।’’
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक मौजूदा समय में ग्रीष्मकालीन सब्जियों की खेती में किसान टमाटर की पूसा-चेरी-1,हिमशिखर,हरी शिमला मिर्च की बोम्बे -1, पीली शिमला मिर्च की ओरो बेली और खीरे की डिस्कवरी जैसी उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं।
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“संरक्षित खेती के लिए ढांचाकृत वातावरण अधिक लाभकारी होता है। इसमें पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस तकनीक ज़्यादा कारगर मानी जाती हैं। संरक्षित खेती की मदद से सब्जियों में फलोत्पादन जल्दी होता है। इससे सब्जियों की पैदावार जल्दी होती है और फसल में रोग व कीटाणुओं का प्रकोप भी कम होता है।’’ डॉ. शैलेंद्र विक्रम सिंह आगे बताते हैं।
ग्रीन हाउस की मदद से किसान सब्जियों, फलों और फूलों के उत्पादन बड़ी आसानी से कर सकते हैं। ग्रीन हाउस की मदद से एक ढांचाकृत वातावरण में ठंडा मौसम विकसित किया जाता है। इसमें सूर्य का प्रकाश पड़ने से हाउस में तापमान बढ़कर सब्जियों के लिए अनुकूल बन जाता है और फसलों से संबंधित जैविक प्रक्रिया तेज़ हो जाती हैं।
किसान ग्रीन हाउस और पॉलीहाउस अपने जिला उद्यान अधिकारी कार्यलय पर जा कर बुक करा सकते हैं।ग्रीन व पॉली हाउस लगाने के लिए सरकार 50 फीसदी का अनुदान भी देती है।
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संरक्षित खेती के फायदे
- संरक्षित खेती की मदद से सब्जियों की उत्पादकता बढ़ जाती है।
- कम क्षेत्र में अच्छी पैदावार के लिए संरक्षित खेती कारगर है।
- ग्रीन हाउस में उत्पादित बागवानी उत्पाद में गुणवत्ता बनी रहती है, जिससे मंडी में अच्छा दाम मिलता है।
- संरक्षित खेती में फसलों में संकर बीजों के उत्पादन के लिए ग्रीन हाउस बहुत ज़रूरी है।
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