ऊसर खेत को उपजाऊ बनाने का ये है सही महीना
दिवेंद्र सिंह 6 May 2017 12:43 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश में लाखों हेक्टेयर खेत ऊसर और क्षारीय होने से किसानों के लिए किसी काम नहीं आता है। ऐसे में वे सही विधि अपनाकर ऊसर भूमि को उपजाऊ बना सकते हैं।
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लखनऊ स्थित केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक विनय कुमार मिश्र बताते हैं, “अप्रैल से मई महीना ऊसर खेत को सुधारने का सही समय होता है। इस समय किसान ऊसर पड़े खेतों में समतलीकरण करके मेड़ बंदी करें। मेड़ बंदी के बाद उस खेत में जिप्सम डालकर उसकी हल्की जुताई कर देनी चाहिए। फिर खेत में लगभग 10 सेमी तक पानी भर देना चाहिए, लेकिन ध्यान रखना चाहिए पानी सूखने न पाए। इसलिए समय-समय पर पानी देखते रहना चाहिए।”
निदेशक ने बताया कि 15 दिन तक पानी निकाल देना चाहिए और उसे किसी खेत में छोड़ने के बजाय नाली के जरिए बाहर कर देना चाहिए। इस खेत में संस्थान द्वारा विकसित लवण सहनशील प्रजातियों जैसे सीएसआर-36, सीएसआर-43, सीएसआर-30 लगाना चाहिए। इनकी नर्सरी 30 दिन से कम नहीं होनी चाहिए। तैयार नर्सरी की रोपाई इस खेत में कर देनी चाहिए।
केन्द्रीय मृदा लवणता संस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर ऊसर जमीन में से आठ लाख हेक्टेयर भूमि को ऊसर मुक्त कराया जा चुका है। जिप्सम की सहायता से सुधारी गई जमीन का सिर्फ 30 सेमी ऊपर का भाग ही उपजाऊ हो पाता है। जबकि 30 सेमी के नीचे के भाग में क्षारीयता बनी रहती है, जिससे पौधों की जड़ों की वृद्धि नहीं हो पाती है। ऐसे में किसान उन्नत तरीके अपना खेत को उपजाऊ बना सकते हैं। धान की रोपाई करते समय पानी भरकर कम से कम जुताई करनी चाहिए। मई जून के महीने में किसान खेत में ढैंचा बोकर जब ये पौधे 30-40 दिन के हो जाएं तो उन्हें खेत में जुताई कर मिट्टी में मिला देना चाहिए। ढैंचा के पौधे अच्छी जैविक खाद के साथ ही मिट्टी की क्षारीयता भी कम करते हैं।
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