इस समय टमाटर की नर्सरी लगाकर कमाएं ज़्यादा मुनाफ़ा

इस समय टमाटर की नर्सरी लगाकर कमाएं ज़्यादा मुनाफ़ाइस समय नर्सरी लगाकर बढ़ा सकते हैं उपज।

लखनऊ। लखनऊ से करीब 23 किलोमीटर दूर बसे गोसाईगंज ब्लॉक के कबीरपुर गाँव के किसान नन्हें राम (35 वर्ष) ने ठंड के मौसम वाले टमाटर की नर्सरी लगाई है।

नन्हें राम बताते हैं, “सर्दी की फसल में फल दिसम्बर में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं और यह फरवरी तक चलते रहते हैं। खरीफ की फसल के फल सितम्बर से नवम्बर तक व गर्मी की फसल के फल अप्रैल से जून तक उपलब्ध होते हैं।”पिछले साल नन्हें राम की टमाटर की औसत उपज 200 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही थी पर केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन संस्थान के मुताबिक अगर किसान टमाटर की संकर किस्में लगाए तो 500 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज ली जा सकती है।

नर्सरी तैयार करना

नर्सरी के लिए एक मीटर चौड़ी व 3 मीटर लम्बी, 10 से 15 सेमी ऊंची क्यारियां बनाई जानी चाहिए। बीजों को बुवाई से पूर्व 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी में तथा सर्दी की फसल के लिए सितम्बर माह में बुवाई करें। एक हेक्टेयर में पौध रोपण हेतु 400 से 500 ग्राम बीज तथा संकर किस्मों के लिए 150 से 200 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर उपयुक्त रहती है। नर्सरी में पौधों को कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए नीम तेल 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर या साथ में जाइनेब या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। ड्रिप सिंचाई विधि से अगर सिंचाई करनी हो तो पौध रोपण एक मीटर चौड़ी तथा 10.15 सेमी ऊंची क्यारी पर पौधें की रोपाई करनी चाहिए।

जलवायु एवं भूमि

टमाटर की अच्छी पैदावार में तापमान बहुत अहम होता है। टमाटर की फसल के लिए आदर्श तापमान 20.25 सेन्टीग्रेड होता है। अगर तापमान 43 सेंटीग्रेड हो जाए तो फूल तथा अपरिपक्व फल गिरने लगते है और यदि तापमान 13 सेन्टीग्रेड से कम या 35 सेन्टीग्रेड से ज्यादा होने पर फल कम आते है। इस तापमान में पराग का अंकुरण बहुत कम होता है, जिससे फलों का स्वरूप भी बिगड़ जाता है। ऐसा मुख्यतया गर्मी की फसल में होता है पर अगर पाला न पड़े तो इसको वर्ष भर किसी भी समय उगाया जा सकता है। इसके लिए दोमट मिट्टी और जल निकास वाली भूमि बढिय़ा रहती है।

रोपण

जब पौधे 10 से 15 सेमी लम्बे हो जाएं तो इनका रोपण खेत में कर देना चाहिए। पौध की रोपाई खेत में शाम के समय 75-75 सेमी दूरी पर वर्षा ऋतु की फसल के लिए तथा 50-30 से 45 सेमी की दूरी पर गर्मी के लिए करें। संकर किस्मों को खेत में 90-45 सेमी की दूरी पर लगाये एवं बढ़वार के समय लाइन के ऊपर लोहे के तार पर सूतली की सहायता से सहारा दें।

खाद एवं उर्वरक

पौधों की रोपाई के एक माह पूर्व 150 क्विंटल पकी हुई गोबर की सड़ी खाद खेत में डाल कर भली भांति मिला दें। पौध लगाने से पूर्व 60 किलो नत्रजन, 80 किलो फॉस्फोरस एवं 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में ऊर दें। पौधे लगाने के 30 दिन बाद 30 किलो नत्रजन की मात्रा खड़ी फसल में देकर सिंचाई करें। संकर किस्मों में 300 से 350 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 180 किलो नत्रजन, 120 किलो फॉस्फोरस एवं 80 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से दे।

सिंचाई एवं निराई गुड़ाई

सर्दी में 8 से 10 दिन व गर्मी में 6 दिन के अंतराल से आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। बूंद-बूंद सिंचाई से 60-70 प्रतिशत पानी की बचत के साथ-साथ 20-25 प्रतिशत उत्पादन अधिक प्राप्त किया जा सकता है। पौध लगाने के 20 से 25 दिन बाद प्रथम निराई-गुड़ाई करें। आवश्यकतानुसार दुबारा निराई-गुड़ाई कर खेत को खरपतवार रहित रखना चाहिए।

फलों की तुड़ाई

टमाटर के फलों की तुड़ाई उसके उपयोग पर निर्भर करती है यदि टमाटर को पास के बाजार में बेचना है तो फल पकने के बाद तुड़ाई करें और यदि दूर के बाजार में भेजना हो तो जैसे ही पिस्टिल अन्त में रंग लाल हो जाये तो तुड़ाई आरम्भ कर सकते हैं।

भण्डारण

उत्पादक वैसे तो अपना टमाटर सीधे बाजार में बेच देते है, परन्तु कभी-कभी बाजार में मांग न होने से या बाजार भाव कम मिलने की स्थिति में परिपक्व हरे टमाटर को 12.5 सेन्टीग्रेड तापमान पर 30 दिनों तक तथा पके टमाटर को 4.5 सेन्टीग्रेड पर 10 दिन तक रखा जा सकता है भण्डारण के समय आद्रर्ता 85.90 प्रतिशत होनी चाहिए।


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