नोटबंदी से मुरछाए फूल कारोबारियों के चेहरे, नया साल रहा फीका, अब वैलेंटाइन-डे से आस

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नोटबंदी से मुरछाए फूल कारोबारियों के चेहरे,  नया साल रहा फीका, अब वैलेंटाइन-डे से आसफोटो फूलों की एक प्रदर्शनी के दौरान से। 

सुधा पाल

लखनऊ। नोटबंदी का असर फूल के कारोबार पर पड़ा है। आम दिनों तो दूर नए साल के स्वागत के दौरान ही फूल कारोबारी और ग्राहकों का इंतजार करते रह गए। दुकानदारों का कहना है यही हाल रहा तो वैलेंटाइन डे भी फीका जाएगा। शादी और पार्टी के अलावा नया साल और वेलैंटाइड ही फूलों की बिक्री के बेहतर मौके होते हैं।

दिसंबर के आखिरी हफ्ते में हर साल फूलों की मांग बढ़ जाया करती थी लेकिन इस बार फूलकारियों को मायूसी हाथ लगी है। नए साल में फूलों की बिक्री में लगभग 80 फीसदी गिरावट आई। इसके अलावा नोटबंदी की वजह से भी फूलों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। यही वजह रही की दुकानदारों को फायदे की जगह नुकसान हो गया।

नए साल पर गुलदस्ते और बुके देने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है और इसी के साथ फूलों का व्यापार भी बढ़ा है। यही वजह है कि पहले कारोबारियों को करोड़ों का सालाना मुनाफा हुआ करता था। सहालग के साथ त्योहारों और नए साल के लिए भी बाजारों में फूलों की भरमार होती थी। फूलमंडी में फूलों की आवक के साथ इसके खरीदार भी बढ़ जाते थे। इस बार दुकानदारों ने नोटबंदी के चलते पहले ही गुलदस्ते कम बनाए थे लेकिन जो बने थे वो भी पूरे नहीं बिक पाए। नए साल में कारोबारियों का धंधा मंदा पड़ गया है। जहां पिछले साल नोटबंदी से पहले लखनऊ की चौक मंडी को करीब 20 लाख रुपये प्रतिदिन का मुनाफा होता था वहीं इस बार ये सिमट कर दो लाख पर पहुंच गया। चौकफूलमंडी में 20 दुकानें हैं। यहां सभी तरह के देसी और विदेशी फूल थोक में मिलते हैं। इन फूलों में ऑर्किड, जरबेरा, ग्लेडियोलस के साथ गुलाब की विभिन्न किस्में से शामिल हैं। गुलाब में डच गुलाब को ही ग्राहक पसंद करते हैं। बाकी के विदेशी फूल देसी फूलों के मुकाबले ज्यादा खराब हो रहे हैं और कारोबारियों को नुकसान की मार झेलनी पड़ी।

पूरी मार्केट में केवल नए साल के मौके पर ही लगभग ढाई लाख रुपए का माल इस बार आया है जबकि इससे पहले 25 लाख तक का आता था। काफी बर्बादी हुई है इस बार।
शहाबुद्दीन, कारोबारी, लखनऊ

नए साल पर नहीं हुई विदेशी फूलों की मांग

चौक स्थित कंचन मार्केट फूलमंडी के फूल कारोबारी शहाबुद्दीन ने बताया कि नए साल पर देश में रायबरेली, हरदोई, बहराइच, उत्तराखंड, दिल्ली, उज्जैन, सीतापुर, महाराष्ट्रा, जयपुर, गोरखपुर, गोंडा आदि जगह से इन फूलों की आवक होती है। राजधानी में बक्शी का तालाब, सीतापुर, मलिहाबाद, रायबरेली से फूल आते हैं। इसके साथ ही विदेश से भी फूल आयात किए जाते हैं। उन्होंने बताया, “नए साल पर थाइलैण्ड से लाखों रुपए की कीमत के फूल मंगवाए जाते थे क्योंकि इनकी मांग थी। इस बार तो नोटबंदी के चलते मांग ही नहीं हुई और इसलिए मंगवाए भी नहीं गए। हमें तो है ही नुकसान हमसे ज्यादा किसान परेशान हैं। रोज दुकान से सड़े हुए फूल छांटकर कूड़े में डाले रहे हैं।”

क्रिसमस पर भी रहा सूना रहा था बाजार

कारोबारी गुड्डू बताते हैं, “इस बार क्रिसमस के मौके पर थाईलैण्ड से ऑर्किड के फूल मंगवाए गए थे, इन फूलों का एक बॉक्स मंगवाया गया था जिसमें फूलों के 65 बंडल थे। हर बंडल में ऑर्किड के 10 फूल होते हैं लेकिन इस बार वे भी सही से नहीं बिके। 16 बंडल रह गए।” उन्होंने बताया कि थोक में इन बंडलों को 200 रुपए के हिसाब से खरीदा जाता है और ग्राहकों को 230 रुपए तक की कीमत में बेचा जाता है।

कीमतों में गिरावट से सड़े फूल

जहां जरबेरा और ग्लेडियोलस का केवल एक फूल 6 रुपए का मिलता था वहीं आज इनकी कीमत घटकर 1.50 रुपए हो गई। जबकि इनका एक बंडल अब 15 रुपए तक बिक रहा है। इससे पहले 10 फूलों का यह बंडल 50 रुपए की कीमत का था। जबकि डच गुलाबों का सबसे ज्यादा बिकने वाले बंडल की कीमत 30 रुपए है।

          

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