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गाजर घास का स्वरस: सिरदर्द बनी घास से बना सकते हैं अच्छी खाद, देखिए वीडियो

छुट्टा जानवरों से ज्यादा किसान जिस चीज से ज्यादा परेशान हैं वो है गाजर घास। छोटी-छोटी पत्तियों और सफेद फूलों वाली ये घास खेती के लिए किसी जहर से कम नहीं है।
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नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)। छुट्टा जानवरों से ज्यादा किसान जिस चीज से ज्यादा परेशान हैं वो है गाजर घास। छोटी-छोटी पत्तियों और सफेद फूलों वाली ये घास खेती के लिए किसी जहर से कम नहीं है। इसे पशु तो खाते नहीं हैं, बल्कि ये जहां हो जाती है वहां 20-30 फीसदी उत्पादन जरूर गिर जाता है। लेकिन इस बेकार घास से अच्छी खाद बनाई जा सकती है, वो अच्छी कंपोस्ट की तरह काम करती है।

गाजर घास का वैज्ञानिक नाम पार्थेनियम हिस्टोफोरस है, इसमें प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन होती है। वैसे तो इसका पौधा इंसानों ही नहीं, जानवरों को भी कई तरह के रोग दे सकता है लेकिन इसके पौधे से अच्छी किस्म की कंपोस्ट खाद भी बनाई जा सकती है। यूपी समेत देश के अलग-अलग कृषि विज्ञान केंद्रों में इसके उपयोग के तरीके सिखाए जा रहे हैं। इसी बीच कुछ किसानों ने इसके तरल खाद बनानी भी शुरू कर दी है।

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के करताज में रहने वाले प्रगतिशील किसान राकेश दुबे ने गोमूत्र और गाजर खास के स्वरस से तरल खाद बनानी शुरू की है, जो यूरिया का अच्छा विकल्प बन रही है।


राकेश दुबे बताते हैं, “कांग्रेस या गाजर खास किसानों को एलर्जी समेत कई बीमारियां दे रही है, इसकी रोकथाम भी बहुत मुश्किल है, खासकर जैविक खेती करने वाले किसान काफी परेशान रहते हैं, मगर ये किसान गाजर घास और गोमूत्र के स्वरस के जरिए अच्छी जैविक खाद बना सके हैं, जो गेहूं, मक्का से लेकर कई फसलों में काम आएगी।”

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जहर मुक्त खेती में नाइट्रोजन की आपूर्ति हमेशा समस्या रही है। कुछ किसान आंवला और मट्टा मिलाकर छिड़काव करते हैं, कुछ घनजीवामृत से लेकर वेस्टडीकंपोजर तक। लेकिन राकेश दुबे अब गाजर घास का रस छिड़क रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान भी गाजर घास का सदुपयोग कर सकें, इसके लिए राकेश दुबे ने स्वरस बनाने का एक वीडियो और पूरी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की है। जिसमें बनाने की पूरी विधि और छिड़काव के तरीके बताए गए हैं।

गाजर स्वरस बनाने की विधि

आठ एकड़ मक्के के लिए राकेश दुबे की विधि: 30 किलो गाजर घास को बारीक काटकर 60 किलो गौमूत्र में मिला दिया। फिर उसमें 100 फिटकरी को 3-4 लीटर के गोमूत्र में घोलकर अच्छी तरह मिलाने के बाद गोमूत्र और गाजर घास वाले ड्रम में डाल देंगे। फिर इसे पूरे 3 दिन के लिए ड्रम में रख दिया जाएगा और जिसे समय-समय पर चलाना पड़ेगा। बाद में इसे महीन कपड़े से छानकर अलग कर लिया जाएगा। जिसे बाद फसल पर छिड़काव किया जा सकता है। प्रति टंकी (20 लीटर वाली) में 2 लीटर गाजर घास स्वरस मिलाना है। इसे सुबह 10 बजे से पहले ही खेतों में छिड़काव करना चाहिए क्योंकि नाइट्रोजन उठाने और स्टोमेटा खुलने का ये उपयुक्त समय होता है।

एक एकड़ की विधि: चार किलो गाजर घास, 8 लीटर गोमूत्र और 10 ग्राम फिटकरी के जरिए आप स्वरस बना सकते हैं।

पाया जाता है विषाक्त रसायन

गाजर घास में रेस्क्युपटरपिन नामका विषाक्त रसायन पाया जाता है। जो फसलों की अंकुरण क्षमता पर विपरीत असर डालता है। इसे पराकरण अगर फसलों में ज्यादा पड़ जाएं तो उनमें दाना बनने की क्षमता कम हो जाती है। इनका दुष्प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि दहलनी फसलों में नाइट्रोजन सोखने की जो क्षमता होती है ये उसे भी प्रभावित करते हैं। इसके संपर्क में आने पर किसानों को एग्जिमा, एलर्जी, बुखार और नजला जैसी बीमारियां हो जाती है। अगर पशु इनके लपेटे में आ जाएं तो या दूसरी घास के साथ इसे खा जाएं तो उनके थनों और नथुनों में सूजन आ सकता है, समस्या ज्यादा गंभीर होने पर मौत भी हो सकती है।

रासायनिक तरीकों से रोकथाम के उपाय


गाजर घास को खत्म करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन लगातार अगर कोशिश की जाए तो इसे नष्ट कर सकते है। सबसे जरुरी है इसके पौधों में फूल आने से पहले इन्हें काटकर जलाया जाए। या फिर उनकी खाद बनाई। तीसरा तरीका है। खरपतवार नाशक का छिड़काव करें? गाजर घास के ऊपर 20 प्रतिशत साधारण नमक का घोल बनाकर छिड़काव करें। हर्बीसाइड जैसे शाकनाशी रसायनों में ग्लाईफोसेट, 2, 4-डी, मेट्रीब्युजिन, एट्राजीन, सिमेजिन, एलाक्लोर और डाइयूरान आदि प्रमुख हैं। अगर घास कुल की वनस्पतियों को बचाते हुए केवल गाजर घास को ही नष्ट करना है तो मेट्रीब्युजिन का उपयोग करना चाहिए। मैक्सिकन बीटल (जाइगोग्रामा बाईकोलोराटा) जो इस खरपतवार को बहुत मजे से खाता है, इसके ऊपर छोड़ देना चाहिए। इस कीट के लार्वा और वयस्क पत्तियों को चटकर गाजर घास को सुखाकर मार देते हैं।

गाजर घास से कंपोस्ट बनाने के उपाय

जौनपुर के बक्शा कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप कन्नोजिया हैं, “इस घास से यदि किसान खाद बना लें तो उनकी परेशानी का हल निकल आएगा। गाजर घास से खाद बनाने के लिए किसानों को एक गड्ढा खोदना होता है। गड्ढे की लम्बाई 12 फीट, चौड़ाई चार फीट और घहराई पांच फीट होनी चाहिए। इस गड्ढे में नौ इंच चौड़ी की दीवार बनानी होगी। इसे सीधा जोड़ेंगे। जब तीन स्टेप तीन रदृा ईंट रखने के बाद सात इंच चारों ओर जाली बनाई जाएगी। इसी तरह ईंट की जोड़ाई सीधी और जालीदार करते रहेंगे। इसके बाद सूखी गाजर घास को अलग और हरी गाजर घास को अलग रख लेंगे। छह इंच तक हरा और सूखा वाला डंठल नीचे भर देंगे। इसके बाद 5 किलो गोबर पानी में ढीला घोलकर इसमें डाल देंगे। साथ में 2 इंच मिट्टी भी डालेंगे। भराई करने के बाद उसके ऊपर से मुलायम वाला डंठल डाला जाएगा। फिर पांच किलो गोबर पानी के साथ मिक्स करके तर करेंगे। इसी तरह गड्ढे को उपर तक भरना होगा।”. संदीप कन्नोजिया कहते हैं, “गाजर घास से बनी 20 टन खाद एक हेक्टेयर खेत के लिए मुफीद है।”

वन ईयर सीड, सेवन ईयर वीड

“गाजर घास को सड़ाकर खाद या अन्य विधियों से खाद बनाना ही बेहतर विकल्प है क्योंकि इसके फूल तेजी से आते हैं और बहुत तेज इसका विकास होता है। इसीलिए कहा गया है, वन ईयर सीड, सेवर ईयर वीड- खतरपतवार में अगर बीज आने से पहले उसे खत्म कर दिया जाए तो ठीक वरना 7 साल तक वो परेशान करती है।”, कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया सीतापुर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया श्रीवास्तव बताते हैं। 

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