ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से बर्बाद हो रही खेती

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ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से बर्बाद हो रही खेतीअंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में मौजूद राज्यपाल राम नाईक, देश विदेश से आए कृषि वैज्ञानिक व अन्य अतिथि।

लखनऊ। ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से एक तरफ जहां कृषि पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है, वहीं भारत जैसे विकासशील देश में बंपर पैदावार के बाद भी अनाजों का उचित रख-रखाव नहीं होने के कारण 20 से लेकर 25 प्रतिशत खाद्यान्न खराब हो जा रहा है। यह वैज्ञानिकों को चिंता में भी डाल रहा है। ऐसे में टेक्नोलॉजी का उपयोग करके इसको कैसे बचाया जाए, इस विषय पर देश-विदेश के वैज्ञानिक लखनऊ में जुटे हैं। इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजीज ऑफ एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस फॉर सस्टेनेबल फूड एण्ड न्यूट्रीशनल सिक्योरिटी“ विषयक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन गुरूवार को शुरू हुआ। इसमें कृषि वैज्ञानिक खाद्यान्न को बचाने और उसको संरक्षित करने की आधुनिक तकनीकों पर मंथन करेंगे।

कांग्रेस में यह रहे मौजूद

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद एवं इंटीग्रल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस इंटरेनशन कांग्रेस का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, माननीय विनोद कुमार सिंह उर्फ पण्डित सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में वर्ल्ड फूड प्रेजरवेशन सेंटर, अमेरिका के फाउंडर एण्ड चेयरमैन, वैज्ञानिक चार्ल्स लिंडसे विल्सन, शुगरकेन रिसर्च सेंट ऑफ सी.ए.ए.एस., नैनिग, चीन के वैज्ञानिक यांग रूई ली, उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त प्रदीप भटनागर उपस्थित रहे। साथ ही आयोजन के अध्यक्ष एवं महानिदेशक उपकार प्रो. राजेन्द्र कुमार, कार्यक्रम के संरक्षक एवं कुलपति, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, प्रो. एस.डब्लू. अख्तर ने परिचयात्मक उद्बोधन दिये।

2050 तक उत्पादन करना होगा दोगुना

इंटीग्रल विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश-विदेश के वैज्ञानिकों और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इंटीग्रल विश्वविद्यालय के कुलपति तथा इंटरनेशनल कांग्रेस के संरक्षक प्रो. एसडब्ल्यू अख्तर ने अपने उद्बोधन में कांग्रेस के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इंटीग्रल विश्वविद्यालय ने कृषि के विकास के लिये इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर की स्थापना की है। पोस्ट हार्वेस्ट में क्षति को रोकने के लिये कृषि में एकीकृत तकनीकों जैसे इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट आदि का उपयोग किया जाना चाहिये। उन्होंने वर्तमान में उत्तर भारत में फैले स्मॉंग पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इस पर भी कांग्रेस में चर्चा किये जाने का आह्वान किया। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, प्रेसीडेंट, उ.प्र. कृषि विज्ञान एकेडमी, उपास एवं कांग्रेस के आयोजन अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र कुमार ने देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व खाद्य संगठन के अनुसार 2050 तक खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उत्पादन को दोगुना करना होगा।

30 प्रतिशत तक हो जाती है कृषि उत्पादों की हानि

उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष उत्पादन का कटाई उपरान्त सही प्रबन्धन न होने के कारण 10 से 30 प्रतिशत तक कृषि उत्पादों की हानि हो जाती है। उन्होंने कहा कि मौसम में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में भी परिवर्तन की आवश्यकता है। सभी फार्मिंग सिस्टम में हो रही क्षति को कम करना होगा। साथ ही सप्लाई चेन की विभिन्न अवस्थाओं ग्रेडिंग, पैकिंग, परिवहन एवं प्रसंस्करण में हो रही हानियों पर नियंत्रण करना होगा। कृषि एवं उसके संबंधित विभागों को एकीकृत तकनीकों का उपयोग कर कृषि के विकास में आ रही समस्याओं का निराकरण करना होगा। प्रो. कुमार ने कहा कि एफ.ए.ओ. के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का दो प्रतिशत कृषि शिक्षा के लिये उपयोग होना चाहिये।

यह कांग्रेस समयानुकूल

उन्होंने इस कांग्रेस की संस्तुतियों को लागू करवाने हेतु सरकार व नीतिनिर्धारकों से अनुरोध किया। पिछले साढ़े तीन वर्षों में परिषद ने विविध विषयों पर ब्रेन स्टार्मिंग सत्र, कृषि विज्ञान कांग्रेस, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि आयोजित कराए हैं, जिनकी संस्तुतियों को सरकार व शासन को लागू कराने के लिए भेजा गया है। कृषि उत्पादन प्रदीप भटनागर ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह कांग्रेस समयानुकूल है। उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन में अग्रणी है लेकिन कृषि उत्पाद को उपभोक्ताओं तक पहुंचने की प्रक्रिया में काफी हानि हो जाती है, इस हानि को कम करते हुए उपभोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। मुझे आशा है कि इस कांग्रेस में वैज्ञानिकों के विचार-मंथन से महत्वपूर्ण संस्तुतियां प्राप्त होंगी जो कृषकों के लिये लाभदायक होंगी। शासन स्तर पर इस कांग्रेस की संस्तुतियों को लागू कराने का प्रयास किया जाएगा।

कृषि तकनीकों का करना होगा व्यापक प्रसार

अमेरिका के वैज्ञानिक चार्ल्स लिंडसे विल्सन ने वर्ल्ड हंगर (वैश्विक भुखमरी) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृषि के विकास तथा पोस्ट हार्वेस्ट में होने वाली क्षति को रोकने के लिये नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। चीन के वैज्ञानिक प्रो. यांग रूई ली ने इस महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित कांग्रेस का आयोजन सामयिक है। उत्तर पद्रेश के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित कृषि मंत्री विनोद कुमार सिंह ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि हुई है किन्तु पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में कुछ खामियां होने के कारण कृषि उत्पादों का एक तिहाई भाग नष्ट हो रहा है, जिसमें लगभग 200 करोड़ का नुकसान केवल औद्यानिक उत्पादों में हो रहा है। इस नुकसान को रोकने के लिये कृषि तकनीकों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसान फूड प्रोसेसिंग करें, इसके लिए सब्सिडी का भी प्रबंध किया गया।

समृद्ध बनाने के लिए काम करने की जरूरत

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आए राज्यपाल रामनाईक ने डिजिटिलाईज तकनीक का लाभ कृषि क्षेत्र को भी देने तथा प्रयोगशालाओं का ज्ञान खेतों तक पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा कि आज भारत देश के लिये पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्नों का उत्पादन करने के साथ-साथ निर्यात भी करने लगा है, जिसका सारा श्रेय कृषकों एवं कृषि वैज्ञानिकों को जाता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हमारे कृषि उत्पादों का एक तिहाई अभी उत्पादन के बाद उचित रख-रखाव के अभाव में नष्ट हो रहा है, उसे रोकने की तकनीक पर यह कांग्रेस समुचित विचार-विमर्श कर किसानों तक पहुंचाने का प्रयास करेगा। किसानों की समृद्धि को ही समृद्ध देश की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन के साथ-साथ विपणन, परिवहन और भण्डारण सम्बन्धी तकनीक पर भी विचार किए जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अत्यंत गर्व की बात है कि उत्तर प्रदेश सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ पानी, वातावरण व अच्छी भूमि से समृद्ध है, इसके साथ ही किसानों को भी समृद्ध बनाने के लिये कार्य किये जाने की आवश्यकता है।

ताकि बढ़ सके किसानों का लाभ

उन्होंने किसानों के उत्पाद को उपयुक्त बाजारों में भेजकर समुचित मूल्य मुहैया कराये जाने का आह्वान किया ताकि किसानों का लाभ बढ़ सके। उन्होंने कृषि उत्पादों के अपशिष्टों के सदुपयोग पर जोर दिया। किसानों के अनुभव एवं वैज्ञानिकों के नई तकनीकी ज्ञान के समन्वय की अत्यंत आवश्यकता है। इस अवसर पर बायोवेद, इलाहाबाद, आई.आई.एस.टी., लखनऊ, बायोटेक पार्क, एन.बी.आर.आई., लखनऊ, सी.एफ.टी.आर.आई., लखनऊ, सी.आई.एस.एच., लखनऊ, पी.एन.बी., महेन्द्रा, एच.टी.ए.आई. की ओरे से लगाए गए स्टाल का भ्रमण भी किया।

    

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