National Milk Day : बकरियों के दूध से बन रहा दही और पनीर, अच्छे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
Diti Bajpai 26 Nov 2019 5:20 AM GMT

लखनऊ। ज्यादातर बकरी पालन लोग मांस के व्यवसाय के लिए करते हैं लेकिन लखनऊ के एक छोटे से गाँव मोहम्मदपुर की महिलाओं ने पशुपालन क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। गाँव की 30 से अधिक महिलाएं न सिर्फ सफलता से बकरी पालन कर रही हैं बल्कि बकरी के दूध से बने उत्पाद को बनाकर अच्छे दामों पर बेच भी रही हैं।
"मेरे पास बकरी का दूध रोज 2 लीटर हो जाता है, जिससे दही और पनीर बनाकर बेच रहे हैं। लोगों को गाँव में ही आसानी से उत्पाद मिल जाते है।" ऐसा बताती हैं, कृष्णावती (49 वर्ष)। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर मोहम्मदपुर गाँव की कृष्णावती के पास सिरोही प्रजाति की नौ बकरियां हैं। पिछले तीन वर्षों से कृष्णावती बकरी पालन कर रही कृष्णावती बताती हैं, "एक साल पहले मैंने गोट ट्रस्ट से ट्रेनिंग ली थी उसके बाद से मैंने इसको घर में बनाना शुरू किया। आज मैं घर में ही बैठकर चार पैसे कमा लेती हूं।"
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कृष्णावती ही नहीं बल्कि उनके गाँव की कई महिलाएं बकरी के दूध से उत्पाद बना रही हैं। 19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है।
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लखनऊ के द गोट ट्रस्ट के जिला समन्वयक पवन यादव बताते हैं, "महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारी संस्था काम करती है। महिलाओं को हम पहले बकरी देते हैं फिर उनकों बकरी पालन का प्रशिक्षण उसके दूध के बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण देते हैं। इससे घर बैठे ही महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।"
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द गोट ट्रस्ट एक गैर सरकारी संस्था है, जो महिलाओं को बकरी पालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ती है। संस्था अब तक 16 राज्यों 2.5 लाख किसानों के साथ काम करते हुए आजीविका को बढ़ावा दे रही है। "लखनऊ जिले के आठ गाँव की 70 से ज्यादा महिलाओं को हम ट्रेनिंग करके उन्हें रोजगार दिला चुके है। इसके अलावा हम कई राज्यों में ऐसे ही काम कर रहे है। महाराष्ट्र में कई महिलाओं ने इसे बिजनेस के रुप में अपनाया है।"
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मोहम्मदपुर गाँव की रुबीना (27 वर्ष) के पास दस बकरियां हैं, इन बकरियों के दूध से वो दही, पनीर, खीर लस्सी बनाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। रुबीना बताती हैं, "ट्रेनिंग लेने के बाद इस काम को शुरु किया है। इन सभी को बनाने में कोई ज्यादा खर्चा भी नहीं आता है और गाँव में आसानी से बिक जाता है। "
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