लखनऊ। संगठित खेती की जगह सरकार अब संविदा खेती को बढ़ावा देने का काम करेगी। सरकार ने संविदा खेती(contract farming) को बढ़ावा देने के लिए अलग से कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की भी योजना बनाई है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने राज्यसभा में यह जानकारी एक सवाल के पूछे जाने पर दी कि सरकार के पास संगठित खेती के लिए कोई खास योजना नहीं है। हां सरकार जरूर संविदा खेती पर काम कर रही है।
तोमर ने कहा कि सरकार छोटे किसान कृषि व्यवसाय संगठन (एसएफएसी) के माध्यम से प्रौद्योगिकी संपन्न FPO के निर्माण को बढ़ावा देते हुये कृषि उत्पादन के पहले से लेकर फसल काटने के बाद बाजार में खरीद फरोख्त तक किसानों को सुविधा मुहैया कराएगी।
मई 2018 में किसानों सहायता समूहों को प्रयोजकों की सुविधा प्रदान की थी
संविदा खेती को व्यवस्थित रूप से लागू करने के लिये मई 2018 में कृषि उत्पाद एवं पशुधन संविदा खेती और सेवायें (संवर्धन एवं प्रोन्नयन) अधिनियम 2018 पारित किया गया था। इसके तहत प्रगतिशील तथा सुविधायुक्त मॉडल बनाकर एफपीओ को कृषि खाद्य मूल्य श्रंखला के सभी प्रकार के फायदा के लिए प्रायजोकों के साथ समझौता प्रदान करने की सुविधा प्रदान की गई है। इस प्रक्रिया के किसान स्वयं सहायता समूह बनाकर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।
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78 फीसदी किसानों ने अपनाया खेती की उत्तम पद्धति
इसके अलावा एक और सवाल के जवाब में तोमर ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से लाभकारी मूल्यों कारण किसानों को किसानी के लिए उन्नत और बेहतर पद्धतियां अपनाने का बल मिला है। उन्होंने बताया कि 2007-08 से 2010-11 तक 14 राज्यों के 36 जिलों में 144 गांवो के 1440 किसानों को लेकर उन्नत पद्धतियां, बीज और खाद पर एक अध्ययन किया गया जिसमें यह पाया गया कि 78 प्रतिशत किसानों को खेती की उन्नत पद्धतियां, बीज एवं खाद की उन्नत किस्में अपनाने का बल मिला और उन्होंने अपनाया भी है।