लखनऊ। किसान ग्रीन हाउस में मटर, शिमला मिर्च, खीरे, लौंकी, ब्रॉकली, हरी मिर्च और टमाटर जैसी सब्जियों को उगा रहे हैं। ग्रीन हाउस में एक साथ कई फसलें उगाई जा सकती हैं और किसान दूसरे मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियां भी ग्रीन हाउल में उगाकर मुनाफा भी कमा सकते हैं।
”ग्रीन हाउस में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा खुले वातावरण की तुलना में कहीं अधिक होती है, जिससे पौधों में फोटोसेंथिसिस की प्रक्रिया बढ़ जाती है। इससे फसल की पैदावार तेज़ी से बढ़ती है। ग्रीन हाउस में स्वायल स्टेरेलाईज़ेशन अच्छी मात्रा में होता है। इससे मृदा जनित फफूंद और अन्य रोगों का प्रकोप कम हो जाता है, ”यह बताते हैं चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र विक्रम सिंह।
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चंद्र शेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर किसानों के बीच ग्रीन हाउस में सब्जियों की खेती करने को बढ़ावा दे रहा है। इस सीजन में ग्रीन हाउस में मटर, शिमला मिर्च, खीरे, लौंकी, ब्रॉकली, हरी मिर्च और टमाटर जैसी सब्जियों संरक्षित खेती आसानी से हो सकती है। इसके अलावा ग्रीनहाउस में सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कई सब्जियों की उन्नत किस्में भी विकसित की हैं, जो ग्रीन हाउस में आसानी से उगाई जा सकती हैं। ये किस्में हैं टमाटर की पूसा-चेरी-1, हिमशिखर, हरी शिमला मिर्च की बोम्बे -1, पीली शिमला मिर्च की ओरो बेली और खीरे की डिस्कवरी किस्में।
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बरेली जिले के पिथरी चैनपुर ब्लॉक के केशरपुर गाँव के किसान हरीश तंवर (41 वर्ष) खेती करते हैं। वो बताते हैं, “मैं पहले खेत में सब्जियों और फूलों की खेती करता था, लेकिन जब से ग्रीन हाउस में करने लगा हूं, ज्यादा उत्पादन भी होता है और कीट और रोग भी कम लगते हैं। इसके साथ ही पहले नालियों से सिंचाई करते थे जिसमें समय और पानी दोनो बहुत लगता था, लेकिन अब उद्यान विभाग की मदद से ड्रिप विधि से ही सिंचाई करते हैं। इससे कम पानी में ही पूरी सिंचाई हो जाती है।”
ग्रीन हाउस में सब्जियों की खेती की तुलना में खेत में उगाई जाने वाली सब्जियों से कम पोशक तत्व होने की बात कहते हुए नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक आरके पांडेय बताते हैं, ”ग्रीनहाउस में खेती के लिए ढांचाकृत वातावरण अधिक लाभकारी होता है। इसमें खेत में उगाई जाने वाली सब्जियों की तुलना में फलोत्पादन जल्दी होता है। इससे सब्जियों की पैदावार जल्दी होती है और फसल में रोग व कीटाणुओं का प्रकोप भी कम होता है।”
कैसे करें ग्रीन हाउस का आवेदन –
किसान ग्रीन हाउस और पॉलीहाउस लगवाने के लिए जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय पर अपना आवेदन जमा करा सकते हैं। ग्रीन व हाउस लगाने के लिए सरकार 50 फीसदी का अनुदान भी देती है।
ग्रीन हाउस की खेती की विशेषताएं —
संरक्षित खेती में फसलों में संकर बीजों के उत्पादन के लिए ग्रीन हाउस बहुत ज़रूरी है।
संरक्षित खेती की मदद से सब्जियों की उत्पादकता बढ़ जाती है।
कम क्षेत्र में अच्छी पैदावार के लिए संरक्षित खेती कारगर है।
ग्रीन हाउस में उत्पादित बागवानी उत्पाद में गुणवत्ता बनी रहती है, जिससे मंडी में अच्छा दाम मिलता है।