ग्वार के भरोसे तोड़ी जा रही यूरोप की चट्टान

Ashwani NigamAshwani Nigam   2 Dec 2017 3:18 PM GMT

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ग्वार के भरोसे तोड़ी जा रही यूरोप की चट्टानग्वार गम बनाने वाली 250 से ज्यादा ईकाइयां है।

लखनऊ। अमेरिका और यूरोप में बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़कर गैस निकालने का जो कारोबार है वह भारत की ग्वार की बदौलत चल रहा है। भारत अगर अपने हाथ खींच ले तो अमेरिका में गैस उत्खनन उद्योग लड़खड़ा जाएगा।

स्थिति यह है कि भारत विश्व में ग्वार गम का प्रमुख निर्यातक है, यह बड़ी संख्या में विदेशों को ग्वार उत्पादों के विभिन्न रूपों का निर्यात करता है। 2016-17 में भारत से विश्व में 3131.74 करोड़ यानि 467.9 मिलियन अमरीकी डॉलर की कीमत का 423285.66 मीट्रिक टन ग्वार गम का निर्यात किया है। राजस्थान का जोधपुर ग्वार गम का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां पर ग्वार गम बनाने वाली 250 से ज्यादा ईकाइयां है।

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ग्वार गम का करोबार करने वाली राजस्थान गम के सीईओ भेरू जैन ने बताया, “अमेरिका और यूरोप की गैस उत्खनन कंपनियों की बड़ी मांग पर देश में ग्वार गम का उत्पादन बढ़ रहा है, हालांकि इसके लिए ग्वार किसानों को और अधिक सहायता देने की जरुरत है। ‘’ जोधपुर के भाढ़खेड़ी गांव के किसान भोलाराम ने बताया ‘’ वह पिछले कई सालों ग्वार की खेती करता हूं, यह नकदी फसल है। इसको बेचने पर अच्छा लाभ मिलता है लेकिन इस साल स्थिति खराब है। फसल अच्छी नहीं हुई है।’’

भारत और पाकिस्तान में होती है ग्वार फली की खेती

ग्वार की खेती भारत में सदियों से होती है, इसे सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ग्वार गम के प्रमुख कृषि क्षेत्र हैं। ग्वार गम फली के तत्व से लिया जाता है जो खाद्य और जल को संग्रह करने का कार्य करता है।

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ग्वार गम लेग्यूम पौधा, सियामोप्सिस टेट्रागोनोलोबा के बीज के एण्डोस्पर्म में से आता है। यह वार्षिक पौधा है जिसे भारत के सूखे क्षेत्रों में पशु चारे की फसल के तौर पर उगाया जाता है। ग्वार की फली को मुख्य रुप से भारत और पाकिस्तान में उगाया जाता है और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अफ्रीका में छोटी फसल उगाई जाती है। इसे पशु चारे और कृषि में हरी खाद फसल के रूप में भी उपयोग किया जाता है। भारत में सैंकेड़ों वर्षों से ग्वार गम को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। ग्वार, वर्षा-सिंचित फसल है, इसे जुलाई-अगस्त में बोया जाता है और अक्टूबर-नवंबर में काटा जाता है।

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