हीट वेव के जल्दी आने से इस बार आम उत्पादन पर भी पड़ेगा असर

फरवरी तक लंबी सर्दी के बाद मार्च में अचानक से बढ़ा तापमान आम किसानों के लिए बुरी खबर लेकर आया है, जिससे इस साल पैदावार भी असर पड़ेगा। बढ़े तापमान की वजह से बौर से फल नहीं बन पाए और आम के बौर मुरझाकर गिर गए।

Sumit YadavSumit Yadav   6 May 2022 10:20 AM GMT

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दो महीने पहले अपने हरे भरे बगीचे में हरे पत्तों के बीच आम के बौर के घने सफेद गुच्छों को देखकर 65 वर्षीय जगदेव प्रसाद काफी खुश थे, वह उम्मीद कर रहे थे कि इस वर्ष पैदावार काफी अच्छी होगी।

लेकिन जैसे ही मार्च में अचानक तेज हीटवेव की शुरुआत हुई, फूलों के साथ ही भरपूर फसल की उम्मीदें भी मुरझा गईं, जो बढ़े हुए तापमान को बर्दाश्त नहीं कर पायी।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 45 कि.मी दूर उन्नाव जिले के हसनगंज तहसील के पिलखना राशिदपुर गाँव के निवासी जगदेव प्रसाद जिनकी एक बीघा की आम की बाग है, ने गाँव कनेक्शन को बताया, "फरवरी और मार्च में फूल काफी ज्यादा मात्रा में थे। मारा गुमान था कि इस साल पैदावार अच्छी होगी। और ये फूल फल में बदल जाएंगे,।"

आम की फसल से निराश प्रसाद ने कहा, "हीटवेव के कारण आम के फूल पेड़ों पर ही सूख कर झड़ गए। खराब वक्त पर गर्मी के बढ़ जाने से सारे फूल बर्बाद हो गए।" किसान ने आगे बताया, अगर गर्मी थोड़ी देरी से मई-जून में होती तो आम पूरी तरह पक जाते।

भयानक हीटवेव ने पूरे भारत के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है। पिछले 122 वर्षों में मार्च 2022 को सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है। किसान और कृषि विशेषज्ञ दोनों का मानना है कि इस बार आम के उत्पादन कम होंगे, जिससे आम की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है।

उत्तर प्रदेश देश में आम का शीर्ष उत्पादक राज्य है, इसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार हैं। फोटो: सुमित यादव

इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई देने का अनुमान है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने 2019-20 फसल वर्ष (जून-जुलाई) के दौरान वार्षिक उत्पादन 20.26 मिलियन टन था जो पूरी दुनिया के कुल उत्पादन का आधा है। आम की लगभग 1,000 किस्में यहां उगाई जाती हैं, लेकिन व्यावसायिक रूप से केवल 30 का ही उपयोग किया जाता है।

विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत से आमों का निर्यात 1987-88 में 20,302 टन था जो अब बढ़कर 2019-20 में 46,789.60 टन हो गया।


लेकिन यह साल आम के किसानों के लिए काफी खराब नजर आ रहा है।

मलीहाबाद के मशहूर बागवानी विशेषज्ञ कलीम उल्लाह खान ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मैं 82 साल का हूं और मैंने अपनी जिंदगी अपने बागों में आमों पर शोध और आमों को उगाने के लिए समर्पित कर दिया है। मैंने हीटवेव से आम के फूलों का इस तरह से नुकसान कभी नहीं देखा।" पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित मैंगो मैन के नाम से मशहूर ने बताया, "इस साल की पैदावार अब तक की सबसे खराब पैदावार हो सकती है।"

जाहिर है, प्रसाद परेशान हैं। उन्होंने बताया, "पिछले साल मेरे बाग में लगभग 100 कैरेट आम हुए थे, लेकिन इस साल 50 से 60 कैरेट तक ही पैदावार होने की संभावना है।" उनके अनुसार, एक कैरेट में 20-22 किलो आम होते हैं।

आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दुनिया के लगभग आधे आम का उत्पादन भारत में होता है। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA), वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक कंट्रोल के तहत एक स्वायत्त संगठन है। इस संगठन को आमों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनिवार्य किया गया है। महाराष्ट्र का अल्फांसो देश से सब से ज्यादा निर्यात होने वाला आम है; साथ ही अन्य लोकप्रिय किस्में केसर, लंगड़ा और चौसा भी शामिल हैं।


भारतीय बागवानी डेटाबेस के अनुसार, जिसका इंतजाम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) करता है, उत्तर प्रदेश देश में आम का शीर्ष उत्पादक राज्य है, इसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार हैं।

लंबी सर्दी और हीटवेव का जल्दी आना

इस साल मार्च में हीटवेव के जल्दी आने के अलावा, देश में लम्बे वक्त तक सर्दी को भी बागवानी विशेषज्ञ आम के कम उत्पादन का जिम्मेदार मान रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र उन्नाव के कृषि वैज्ञानिक धीरज तिवारी ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस साल सर्दी काफी समय तक थी। दिसंबर-जनवरी में जो ठंड हम महसूस करते थे, वह फरवरी तक बराबर बनी रही।" उन्होंने कहा, "अचानक मार्च में तापमान कई डिग्री बढ़ गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक था।"

कृषि वैज्ञानिक ने आगे बताया, इस साल आम के फूल काफी अच्छी मात्रा में आए। तिवारी ने बताया, "तापमान में अचानक वृद्धि के कारण दवा का छिड़काव नहीं हो सका और आम के फूल, फल बनने से पहले ही मर गए।"

किसान परेशान हैं। गर्मी इतनी तेज और अनपेक्षित है कि अमिया भी पेड़ों से गिर रही है।

कृषि विज्ञान केंद्र उन्नाव के कृषि वैज्ञानिक धीरज तिवारी।

उन्नाव के अचलगंज गाँव के परेशान आम किसान 52 वर्षीय वृंदा प्रसाद रावत बताते हैं, "ऐसा बहुत कम होता है कि गर्मी के कारण अमिया सूख जाती हैं और गिर जाती हैं। हालात जिस तरह से हैं, मुझे लगता है कि क्या आने वाली पीढ़ियां भी इस स्वादिष्ट फल का स्वाद पता चख पाएंगी।"

पद्मश्री खान ने बताया, "यह अजीब बात है, पैदावार गर्मी के कारण खराब होती है या ठंड के कारण खराब होती है, लेकिन इस साल लंबी सर्दी और शुरुआती गर्मी दोनों है। इस तरह की मिसाल इससे पहले नहीं मिलती है।"

कीटनाशकों के छिड़काव से बढ़ा नुकसान

कृषि वैज्ञानिक तिवारी के अनुसार, लापरवाही से कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले काश्तकारों ने पैदावार में और गिरावट देखी है। "इस साल हमने पाया है कि कम कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले किसानों के पेड़ों पर अभी भी आम के कुछ फल हैं, लेकिन जिन लोगों ने कई रसायनों और कीटनाशकों का इस्तेमाल किया, उनकी फसल का नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है।"

इसके पीछे का कारण बताते हुए, उन्होंने बताया: "हम जो भी रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, वे फूलों के लिए अतिरिक्त गर्मी का कारण बनते हैं, जो फूलों को खराब कर देते हैं। इसी तरह, गर्मी बढ़ने पर, सल्फर का उपयोग फसलों पर नहीं किया जाना चाहिए जैसा कि कुछ किसानों ने किया है।"

तिवारी किसानों को सलाह देते हैं, "यह काफी अहम है कि किसान कीटनाशक-विक्रेता की बातों पर विश्वास करने के बजाय कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर कीटनाशक दवाओं का सावधानी से उपयोग करें।"

इस बीच, किसानों ने अधिक कीटनाशकों की आवश्यकता के बारे में शिकायत की जिससे उनके खर्च बढ़ गए।

लेकिन जैसे ही मार्च में अचानक तेज हीटवेव की शुरुआत हुई, फूलों के साथ ही भरपूर फसल की उम्मीदें भी मुरझा गईं, जो बढ़े हुए तापमान को बर्दाश्त नहीं कर पायी।

पिलाखना राशिदपुर गाँव के प्रसाद ने बताया, "पिछले सात से आठ वर्षों में आम के फूलों और फलों को कीड़ों से बचाने के लिए जरूरी कीटनाशक दवाओं पर खर्च भी बढ़ा है। पिछले साल मैंने कीटनाशक दवाओं पर लगभग 4,000 रुपये खर्च किए थे।"

इस साल आम लोगों के लिए नहीं है आम

कम पैदावार का मतलब आम की ज्यादा कीमत है। उन्नाव के सड़क किनारे फल विक्रेता विमल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हर साल एक दिन में चालीस से पचास किलो आम बेच लेता था, लेकिन इस साल मुश्किल से दस से बीस किलो आम बेच पाता हूं।" उसने आम की ऊंची कीमत की तरफ भी इशारा किया। आम विक्रेता ने कहा, "पिछले साल इसी समय 60-70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आम बेच रहा था लेकिन इस साल 100-120 रुपये किलो बेच रहा हूं।"


उन्नाव जिले के बागवानी अधिकारी राम प्रसाद यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस साल उपज कम होना तय है, लेकिन उम्मीद है कि शायद ही किसी को मुनाफा कम होगा, क्योंकि कीमत स्वाभाविक रूप से बढ़ेंगी।" यादव ने कहा कि इसका सीधा सा मतलब है कि फल उपभोक्ता के लिए महंगा हो जाएगा और हर कोई इसे नहीं खरीद पाएगा।

आम की खेती उन्नाव में 35 हजार हेक्टेयर में फैली हुई है

हालांकि आम के कारोबारी ज्यादा चिंतित नहीं दिख रहे हैं। जगदेव प्रसाद की बाग से लगभग सात किलोमीटर दूर, उन्नाव के फरहाद पुर में थोक आम बाजार के एक व्यापारी सुमेर सिंह ने बताया कि कम पैदावार से व्यापारियों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि कम पैदावार की वजह से थोक मूल्य अधिक होने की संभावना है।

सुमेर सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, "पिछले दो वर्षों से, हम कोरोना के आर्थिक परिणाम भुगत रहे हैं। कोविड की पाबंदियों के कारण मंडियों (थोक बाजार) में सामान्य रूप से काम करने की अनुमति नहीं थी, हम अन्य राज्यों के बाजारों में नहीं ले जा सेके। नतीजतन, हमें सामान्मय से काफी कम कीमत पर आम बेचने पर मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने बताया, "लेकिन इस साल, यह लगभग तय है कि पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर कम होगी। मुझे उम्मीद है इस साल मुनाफा अच्छा होगा।"

जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक धीरज तिवारी ने किसानों को सलाह दी कि किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बाग अच्छी तरह से हाइड्रेटेड हों ताकि जानलेवा गर्मी के असर को कम किया जा सके।

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अनुवाद: मोहम्मद अब्दुल्ला सिद्दीकी

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