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खेतों में जलभराव और बढ़े तापमान से बर्बाद हो गई मिर्च की फसल

#BARABANKI

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। पिछले दिनों हुई लगातार बरसात के बाद जलभराव ने हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है, लगातार बरसात होने से खेतों में जल भराव के बाद लहलहा रही हरी मिर्च की फसल देखते ही देखते सूख गई, जिससे हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा रहा है।

उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला हरी मिर्च की खेती का गढ़ माना जाता है, यहां पर बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती की जाती है। लेकिन पिछले दिनों लगातार हुई बारिश से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है।

हरी मिर्च की खेती करने वाले किसान सुशील मौर्य (35 वर्ष) बताते हैं, “इस बार हरी मिर्च का रेट पिछले कई वर्षो की अपेक्षा अच्छा था करीब 6000 रुपए कुंतल तक का भाव किसानों को मिला था। खेतों में अभी बरसात होने के पहले खेत हरे भरे थे, हमें उम्मीद थी कि इस बार हरी मिर्च की खेती सारे घाटे पूरे कर जाएगी, लेकिन लगातार हो रही बरसात से पूरे के पूरे खेत देखते ही देखते सूख गए।

इस बारे में जिला उद्यान अधिकारी महेंद्र कुमार बताते हैं, “जिले में लगभग 600 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हरी मिर्च की खेती की जाती है और प्रति हेक्टेयर करीब 200 कुंतल मिर्च का उत्पादन होता है जिले के देवा, फतेहपुर और सूरतगंज ब्लॉक हरी मिर्च की बेल्ट के रूप में जाने जाते हैं।”


वहीं हरी मिर्च की बड़े पैमाने पर खेती करने वाले किसान रामकुमार सिंह 50 वर्षीय बताते हैं, “इस बार हरी मिर्च के भाव देखकर कई सपने देखे थे, लेकिन पिछले दिनों लगातार बरसात होने के बाद जैसे जैसे धूप निकलती गई खेतों में हरी-भरी मिर्च की फसल देखते ही देखते सूखने लगी कोई दवा पेड़ को सूखने से नहीं रोक पाई और सारे सपने चकनाचूर हो गए अगर अभी मात्र 20, 25 दिन फसल चल जाती तो हम किसानों को बहुत अच्छी आय हो सकती थी हमारे क्षेत्र में करीब 70 परसेंट हरी मिर्च की खेती लगभग सूख चुकी है और बची फसल भी लगातार पौधे सूख रहे हैं।

कृषि रक्षा विशेषज्ञ धारेश्वर त्रिपाठी बताते हैं, “लगातार बरसात होने से हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, खासकर उन किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिनकी फसलें मेड़ों पर नहीं लगी थी, असल में जब पानी भर जाता है तो पौधा ऑक्सीजन नहीं ले पाता है, जिससे फसल नष्ट हो जाती है। साथ ही बरसात में कीटों का भी प्रकोप बढ़ जाता है और पौधे की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।”

वो आगे बताते हैं, “ऐसे में इस तरह के पौधों को खेतों से उखाड़ कर जमीन में गाड़ देना चाहिए या अपने खेत से बहुत दूर फेंक देना चाहिए जिससे यह रोग दूसरे पौधे में ना लगे जिन खेतों में पानी भरा हो उन्हें तत्काल खेत से पानी निकाल देना चाहिए खेत में हल्की यूरिया का प्रयोग करने से भी लाभ पहुंच सकता है जलभराव की स्थिति में मिर्च की फसल में उठा रोग लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है ऐसे में ड्राकोडरमा का घोल बनाकर पौधे की जड़ क्षेत्र में डालना चाहिए इसे गोबर की खाद में मिलाकर भी पौधे की जड़ के पास डालने से लाभ मिलता है।” 

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