हाईटेक खेती: मोबाइल ऐप की सलाह मानकर किसानों ने की खेती, 30% बढ़ी मूंगफली की पैदावार

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हाईटेक खेती: मोबाइल ऐप की सलाह मानकर किसानों ने की खेती,  30% बढ़ी मूंगफली की पैदावारमुंगफली की खेती।

हैदराबाद (आंध्रप्रदेश)। आंध्र प्रदेश के कुछ किसान तकनीकी की मदद से खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी लागत कम और मुनाफा बढ़ गया है। एक ऐप की मदद से मूंगफली की खेती करने वाले सैकड़ों किसानों का पिछले वर्ष करीब 30 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन मिला।इंटरनेशनल क्रोप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दी सेमी एरिड ट्रोपिक्स संस्थान के मुताबिक ये ऐप किसानों को बीज से लेकर सिंचाई और दवा छिड़कांव तक हर जानकारी देता है। किसानों को मोबाइल नंबर पर प्रतिदिन उनकी भाषा तेलुगू में कुछ मैसेज आते हैं।

इन संदेशों में उन्हें खेती संबंधित जानकरियां दी जा जाती हैं, जैसे-खेतों को तैयार करना, मिट्टी परीक्षण कर जमीन को और उपजाऊ बनाना, सीड मैनेजमेंट और मोथा को फैलने से कैसे रोका जाए, फसलों की घनत्वता क्या हो, खेतों में जिंक की कमी है तो उसे पोषक कैसे बनाएं, फसलों की कटाई का सही समय, छाया वाली फसलों का कैसे ध्यान रखें आदि। अभी ये एप आंध्र प्रदेश सरकार, माक्रोसॉफ्ट और आईसीआरआईएसटी की साझेदारी से संचालित की जा रही है।

कुरनूल जिले के देवानकोंडा क्षेत्र के 175 किसानों को प्रयोग के तौर पर अभी एप का लाभ मिल रहा है। विशाखापत्तनम में 9 जनवरी को हुए ई-गवर्नेंस पर 20 वीं नेशनल कांफ्रेंस में इस ऐप से अन्य जिलों के किसानों को मदद देने की बात कही गई। आईसीआरआईएसटी की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर में लिखा गया है कि किसान जी चिन्नावेंकटस्वारलू ने बताया, "उन्होंने नई बुवाई एप्लिकेशन (एप) से मिली सलाह के अनुसार जून 2016 के आखिरी में 3 एकड़ (1.21 हेक्टेयर) में मूंगफली लगाई। सलाह के अनुसार ही खेतों को तैयार किया और सही समय पर बीज लगाए, अक्टूबर में फसल पक गई। इस बार एक हेक्टेयर में 1.35 टन उत्पादन हुआ जबकि पहले पैदावार कम होती थी।" चिन्नावेंकटस्वारलू आगे बताते हैं कि ज्यादा पैदावार इसलिए हो पाई क्योंकि फसलों की सुरक्षा के लिए जो उपाय बताए गए थे वो बहुत मददगार साबित हुए।

फसल की बुआई की गणना देवानकोंडा के 30 वर्ष (1986- 2015) के ऐतिहासिक जलवायु डेटा के आधार पर की गई। गणना दो चरणों में हुई। पहली उपस्थित नमी पर्याप्तता सूचकांक (एमएआई) के आधार पर हुई, आंकड़ें आंध्र प्रदेश राज्य विकास योजना सोसायटी ने दैनिक वर्षा के आधार पर दिया था। दूसरा चरण भविष्य एमएआई की गणना करके की गई जिसमें अगले पांच दिन तक प्रतिदिन होने वाले बारिश के आंकड़े शामिल थे।

इन गणनाओं के आधार पर 24 जून से बीज बोने का सही समय पाया गया, रजिस्टर्ड किसानों ने इसका अनुसरण किया। इस सलाह को किसानों के बीच फैला दिया गया। ऐसी सलाह किसानों को तब तक दी गई जब तक फसल पक नहीं गई। परामर्श के आधार पर कुछ किसानों ने जून के आखिरी सप्ताह में मूंगफली के बीज लगा दिए जबकि कुछ किसानों ने अगस्त के आखिरी दिनों में लगाया। जून के शुरुआती महीने में ही बारिश हुई थी। जून के पहले सप्ताह या अगस्त में लगाए गए बीजों में नमी की कमी हो जाती है जबकि जून के आखिरी में लगाए गए बीज अच्छी अवस्था में थे और जल्द ही अंकुरित होने लगे। परामर्श के आधार पर ही किसानों ने फसली काटी। जो किसान परामर्श के अनुसार खेती कर रहे थे उनका उत्पादन परामर्श के अनुसार खेती नहीं कर रहे किसानों से 30 प्रतिशत ज्यादा था

आईसीआरआईएसटी (इंटरनेशनल क्रोप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दी सेमी एरिड ट्रोपिक्स) के निर्देशक डॉ डेविड बेरग्वींसन ने बताया कि हम परिणाम को देखकर बहुत उत्साहित हैं। हम माइक्रोसॉफ्ट के साथ हमारी भागीदारी जारी रखने, छोटे किसानों के जीवन में सुधार लाने और डिजिटल कृषि पहल को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं। हम जल्द ही किसानों को भविष्य बताने वाला विश्लेषक भी उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहे हैं। ये मिट्टी की ताकत, उर्वरक क्षमता और आने वाले सप्ताह में मौसम कैसा रहेगा, की जानकारी देगा।

       

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