सुधा पाल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। किसानों ने पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर जिन किसानों ने सब्जियों, फलों और मसालों की खेती शुरु की है, उनकी आमदनी तेजी से बढ़ी है। धान-गेहू और गन्ने के प्रदेश में बागवानी का रकबा जिस तेजी से बढ़ा उसी तरह उत्पादन भी बढ़ा है।
लखनऊ की महिलाबाद का पूरा इलाका दुनियाभर में मैंगो बेल्ट के रुप में जाना जाता है तो इलाहाबाद में अमरुद के साथ अंगूर की खेती शुरु हो गई है। प्रतापगढ़ के साथ कई जिलों में आंवाले के बाग नजर आने लगे हैं। प्रदेश में अऩार के भी कई बाग लगे हैं। बाराबंकी के बेलहरा कस्बे में अनार का कई एकड़ का बाग है। वहीं सब्जियों की बात करें तो दिल्ली के नजदीक मेरठ से लेकर बुलंदशहर और हापुड़ तक कई जिलों में हरी सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है। वहीं लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, बनारस पूर्वांचल के गोरखपुर में इन सब्जियों की खेती का रकबा बढ़ा है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल (2016 में) बागवानी उत्पादन के क्षेत्र में 468.892 हजार हेक्टेयर में 10296.144 मीट्रिक टन फलों का उत्पादन किया गया है। इससे पहले (साल 2015 में) यह उत्पादन 8904.36 मीट्रिक टन था जो 425.358 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में किया गया था।
वहीं अगर बात सब्जियों की बात की जाए तो साल 2016 में 1202.388 हजार हेक्टेयर में 25689.08 मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन किया गया था जबकि साल 2015 में ये उत्पादन 1154.536 हजार हेक्टेयर में 25409.248 मीट्रिक टन था। प्रदेश के किसान मसालों की खेती में भी अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं। हल्दी, धनिया, मिर्च, मेथी आदि की विशेष तौर पर खेती की जा रही है। मसालों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखी गी है। जहां 2016 में प्रदेश में मसाले की फसलों से 77.908 हजार हेक्टेयर में 260.744 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था वहीं इससे पहले (साल 2015 में) 221.77 मीट्रिक टन का उत्पादन 58.044 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में किया गया था।
विभाग के निदेशक एसपी जोशी का कहना है, “किसान भी अब धान और गेहूं जैसी फसलों पर निर्भर नहीं हैं। सबजी-फला उगा रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं। इससे न केवल देश में प्रदेश में भी उत्पादन बढ़ रहा है और इस बार भी अनुमानित है कि उत्पादन बढ़ेगा ही।” उन्होंने बताया कि किसानों को बागवानी के लिए बढ़ावा देने के उद्देश्य से पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक खेती के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को नई तकनीकों की जानकारी के साथ उन्हें खेती के नए उपकरणों के उपयोग करने के सही तरीके का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).