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सर्दियों में पशुपालक रखें किन बातों का ध्यान, जानिए ज्ञानी चाचा से

#ज्ञानी चाचा और भतीजा

सर्दियों में लोग खुद को तो सर्दी से बचाते हैं, लेकिन पशुओं की तरफ ध्यान नहीं देते हैं, जिससे कई बार पशुपालकों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। ज्ञानी चाचा और भतीजा के इस भाग में जानिए कैसे पशुओं को ठंड से बचाकर नुकसान से बचा जा सकता है।

सर्दियों में पशुओं को बचाने के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता होती है क्योंकि ठंड लग जाने पर दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। गाय-भैंस के छोटे बच्चों और भेड़-बकरियों पर जाड़े का घातक असर होता है। कई बार इन पशुओं के बच्चे ठंड की गिरफ्त में आकर निमोनिया रोग के शिकार बन जाते हैं। इसलिए जाड़े के दिनों में दुधारू पशुओं के साथ-साथ छोटे पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।

पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुशाला के खुले दरवाजे और खिड़कियों पर टाट लगाए जिससे ठंडी हवा अदंर न आ सके। सर्दियों में पशुशाला को हमेशा सूखा और रोगाणुमुक्त रखें। इसके लिए साफ-सफाई करते समय चूना, फिनायल आदि का छिड़काव करते रहना चाहिए।

ठंड से बचाव के लिए सुबह-शाम और रात को टाट की पल्ली उढ़ा दें। पशुशाला में रात को सूखी बिछावन का प्रयोग करें, जिसे सुबह हटा देना चाहिए। ठंड में दिन के समय सभी पशुओं को बाहर खुली धूप में रखें जिससे ठंड के बचाव के साथ-साथ उनके शरीर का रक्त संचार भी अच्छा रहता है।

स्वच्छ और ताजा पानी ही पिलाये पशुओं के लिए भी पशुशाला में स्वच्छ और ताजा पानी का प्रबंध होना जरुरी है। पानी की कमी से पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और उनका दूध उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसलिए सर्दियों में पशुओं को तालाब, पोखर, नालों, और नदियों का गंदा और दूषित पानी बिल्कुल न पिलाएं बल्कि उन्हें दिन में तीन से चार बार साफ-स्वच्छ पानी पिलाना चाहिए। अगर पानी पिलाने को टैंक की दीवारों की बिना बुझे चूने से पुताई करने के साथ ही नीचे भी चूना डाल दें। इससे पानी हल्का, स्वच्छ होने के साथ काफी हद तक पशुओं के शरीर की कैल्शियम की पूर्ति भी करता है। सर्दियों में दुधारू पशुओं को चारा-दाना खिलाने, पानी पिलाने व दूध दोहन का एक ही समय रखें। अचानक बदलाव करने से दूध उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

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