देश में आम के बाग दूर करेंगे चारा संकट  

Ashwani NigamAshwani Nigam   30 Aug 2017 10:32 AM GMT

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देश में आम के बाग दूर करेंगे चारा संकट  आम बागान में चारा की खेती करके इस कमी को पूरा किया जा सकता है।

लखनऊ। देश में लगातार घटती कृषि योग्य भूमि से कृषि उत्पादन के साथ ही पशुओं के लिए चारे की समस्या बढ़ रही है, इससे निपटने के लिए भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान ने चारे की नयी किस्में विकसित की हैं जिसे छाया में उगाया जा सकता है।

देश में लगभग 450 मिलियन पशुओं की संख्या है, जिसमें हर साल 10 लाख पशु के हिसाब से बढ़ोत्तरी भी हो रही है, लेकिन उसके अनुपात में पशुओं के लिए जो चारा चाहिए उसकी कमी होती जा रही है। भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी की रिपोर्ट के अनुसार देश में 22 प्रतिशत चारा की कमी है, क्योंकि देश में कुल जोत के चार प्रतिशत हिस्से में ही चारा उगाया जाता है, जबकि 12 से लेकर 16 प्रतिशत क्षेत्रफल में चारा उगाने की आवश्यकता है। ऐसे में आम बागान में चारा की खेती करके इस कमी को पूरा किया जा सकता है।

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भारतीय चारागाह और चारा अनुसंधान संस्थान ने आम बागानों में चारा उत्पादन के लिए कई उन्नत चारा किस्मों को विकसित किया। प्रयोग के तौर पर कनार्टक के धारवाड़ में आम बागानों में चारे की खेती की, जिससे किसानों और पशुपालकों को लाभ मिल रहा है। देश भर में बागानों में किसानों को चारा खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीजी शिवकुमार ने बताया, “भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों की भागीदारी से भारतीय चारागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, दक्षिण क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, धारवाड़ ने पहली बार वर्ष 2013-14 में आम के बागान में चारा की खेती की शुरूआत की थी। लगभग पांच एकड़ क्षेत्र में इसकी खेती की गई।’’ इसकी सफलता से उत्साहित होकर वर्ष 2014-15 में चारा उत्पादन प्रोजेक्ट को पशुधन आधारित स्वयंसेवी संगठनों से जोड़ दिया गया और किसानों को चारा किस्मों के चयन के बारे में प्रशिक्षण दिए गए।

आज वहां के 11 गाँवों के 25 आम उत्पादकों ने लगभग 25 एकड़ भूमि पर आम के बागों में चारा फसलों का उत्पादन शुरू किया है, जिसमें चारा की तीन बारहमासी घासों बाजरा नेपिअर संकर, गिनी घास और चारा ज्वार के साथ चारे के लिए चना उगाया जा रहा है।

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हरे चारे में 63 प्रतिशत की आई कमी

भारत सरकार की योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1061 मिलियन टन हरे चारे की मांग है, जिसकी तुलना में मात्र 395 मिलियन टन हरे चारे की ही आपूर्ति हो पा रही है, यानि हरे चारे में 63 प्रतिशत कमी हैं वहीं देश में सूखे चारे की 589 मिलियन टन चारे की जरूरत है और आपूर्ति मात्र 451 मिलियन टन ही हो पा रहा है यानि 23 प्रतिशत की कमी है। साल 2025 तक देश में हरे चारे की कमी 65 प्रतिशत और सूखे चारे की कमी 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में इसकी कमी को देखते हुए चारा उत्पादन के नवीनत तकनीक और क्षेत्रों पर शोध किया जा रहा है।

चारा उत्पादन की लागत में 44 प्रतिशत की कमी

देश में आज आम बागानों में चारा उत्पादन लगभग 41 एकड़ क्षेत्र में हो रहा है, जिससे किसानों को पशु चारा लागत में 88 प्रतिशत की कमी और पशुधन स्वास्थ्य में सुधार आया है। भारतीय कृषि अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार आम बागानों में चारा उत्पादन से पशुआहार लागत में 44 प्रतिशत की कमी आई और लगभग एक लीटर प्रतिदिन औसतन दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है।

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