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बढ़े तापमान में ऐसे करें फसलों की सुरक्षा, मिलेगी अच्छी उपज 

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान

जिस तरह से इस महीने में तापमान बढ़ने के साथ ही तेज हवाओं के साथ लू चलने लगती है, गर्मी का असर फसलों पर भी पड़ रहा है, जिससे फसलों में सिंचाई का खर्च बढ़ रहा है। अभी रबी की फसलों में गेहूं की फसल कट रही है, जिसके लिए ये हवाएं सही हैं। लेकिन जायद की फसल उड़द, मूंग, मेंथा, मक्का, गन्ने पर इन तेज गर्म हवाओं का असर पड़ेगा।

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प्रतापगढ़ जिले के बाबागंज ब्लॉक के शकरदहा गाँव के किसान दिनेश सिंह (45 वर्ष) ने पांच बीघा में उड़द की फसल लगायी है, तेज हवा और गर्मी से फसल में ज्यादा सिंचाई लग रही है। दिनेश बताते हैं, “इस बार पहले ही ज्यादा गर्मी पड़ने लगी है, जिससे ज्यादा सिंचाई करनी पड़ रही है। नहर में भी पानी नहीं आ रहा है, जिससे डीजल इंजन के भरोसे सिंचाई करनी पड़ रही है।”

जायद की फसलों में सबसे अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। एक बार की सिंचाई में एक बीघे फसल में औसतन 30 से 35 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। इस हिसाब से एक बीघे की पूरी फसल के लिए तीन से साढ़े तीन लाख लीटर पानी की खपत होती है। मौसम विभाग के अनुसार अप्रैल की शुरुआत से ही तापमान और बढ़ने लगेगा।

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मई महीना आते-आते मध्य, पश्चिमी और उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में पारे के 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाने का अनुमान है। नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. पद्माकर त्रिपाठी बताते हैं, “ऐसा नहीं है कि पहली बार इतनी गर्मी पड़ रही है, लेकिन इस बार मार्च महीने में ही लू चलने लगी है, इसका असर फसलों पर भी पड़ेगा, इसलिए किसानों को तैयार रहने की जरूरत है। आगे तापमान कुछ गिर सकता है।”

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इल्ली से प्रभावित गन्ने की फसल के लिए किसानों को ट्राइकोडरमा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 75 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इससे इल्ली के प्रभाव को रोका जा सकता है। 

डॉ. अजय कुमार साह, प्रमुख वैज्ञानिक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान  

लू का असर आम की फसल पर भी पड़ेगा, इससे देर से आने वाली आम की फसल जैसे कि चौसा, लखनऊवा, सफेदा चौपट हो सकता है, क्योंकि उनमें देर से बौर आता है। लू से आम का बौर तो झड़ जायेगा, या खराब होगा। जबकि दशहरी पर कम असर पड़ेगा। क्योंकि दशहरी लगभग 70-80 प्रतिशत फसल आ चुकी है।

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गन्ने की फसल में गर्मी बढ़ने से इल्ली का प्रकोप बढ़ जाता है। इससे प्रभावित गन्ने की फसल सूख जाती है। जिस जगह इस कीड़े का प्रभाव होता है वहां पौधा झुलसकर पीला पड़ जाता है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार साह बताते हैं, “इल्ली से प्रभावित गन्ने की फसल के लिए किसानों को ट्राइकोडरमा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 75 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इससे इल्ली के प्रभाव को रोका जा सकता है।”

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