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दोगुने से ज्यादा कीमत में बिक रहा है आलू बीज, ये है वजह

आलू की अगेती किस्मों के बुवाई का सही समय है, लेकिन इस बार आलू के बीज के बढ़े दाम ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।
potato seed

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। किसानों को पहले मक्का का सही रेट नहीं मिला और सरकारी खरीद केंद्र बंद होने से गेहूं के भी भाव गिर गए, अब जब आलू बुवाई का समय आया तो आलू बीज की बढ़ी कीमतों ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है।

कन्नौज जिले के धीरपुर गाँव के किसान रामनिवास कहते हैं, “पिछले साल आलू का बीज 375 रुपए में खरीदा था, लेकिन अब 1475 रुपये पैकेट खरीदा है। महंगा बीज खरीदकर नुकसान भी हो सकता है। क्योंकि हर बार सितम्बर महीने में मौसम में नरमी आ जाती थी, इस बार ऐसा न होने से समस्या बढ़ सकती है।”

इत्रनगरी के नाम से मशहूर जनपद कन्नौज प्रदेश के आलू उत्पादक जिलों में से एक है। जिले में लगभग 49000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती होती है। इसमें तकरीबन 10 हजार हेक्टेयर जमीन में कच्ची फसल भी होती है, जिसे अगेती भी कहा जाता है। इन दिनों कच्ची फसल का आलू बीज खेतों में रखने का काम जोरों से चल रहा है।

जिला उद्यान अधिकारी मनोज चतुर्वेदी बताते हैं, “कन्नौज में करीब पांच हजार हेक्टेयर रकबे में कच्ची फसल का आलू रख दिया गया है। मौसम में गर्मी की वजह से अगेती फसल में देरी हुई है। समय 25 सितम्बर तक रहता है, लेकिन इस बार पांच अक्टूबर तक खेतों में आलू रखा जाएगा। किसानों का मानना है कि मक्का की फसल में फायदा नहीं हुआ। पिछले साल की अपेक्षा आधे रेट में 1100 रुपए कुंतल के करीब बाजार भाव मिला। गेहूं भी वर्तमान में 1500 रुपए कुंतल चल रहा है, जो सरकारी खरीद से कम है। लेकिन आलू का बीज सस्ता होने की बजाय दो से चार गुना तक हो गया है।”

इस समय आलू की अगैती फसल के लिए तापमान अधिक है। हड़हापुर्वा गांव के किसान रणवीर ने बताया कि सितंबर में तापमान कम न होने से आलू की अगेती फसल पर संकट खड़ा हो गया है, जिन किसानों ने आलू बो दिया है, गर्मी व उमस के चलते बीज भी सड़ सकता है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा समस्या किसानों को रही। अगैती फसल के बाद किसान पक्की फसल या गेंहू बो लेता था। लेकिन तपिश के चलते परेशानी है।

आलू किसान इस समय दोहरी मुसीबत में हैं। फुटपाथ व कोल्ड स्टोरेज से पिछले वर्ष 400 रुपए कुंतल मिलने वाला बीज इस बार 1400 से 1500 सौ रुपए प्रति कुंतल मिल रहा है। आमतौर पर सितंबर के पहले सप्ताह के बाद अगेती आलू की फसल की बुवाई शुरू हो जाती है। सवा दो से ढाई माह में तैयार होकर फसल की खुदाई होने लगती है। दीपावली के करीब नया आलू बाजार में आ जाता है। बड़ी संख्या में किसान अगेती फसल करते हैं। कुछ किसान तो इसके बाद पक्की फसल भी कर लेते हैं।

दूसरी ओर अगेती आलू के बाद गेहूं की फसल भी किसान करते हैं। बताया गया है कि पुखराज, ख्याती किस्म का आलू बीज 350 से 400 रुपए कुंतल था, लेकिन वर्तमान में 1400 से 1500 रुपए तक बाजार भाव है। तापमान देरी से नीचे आया है, इसलिए अब भी खेतों में कच्ची फसल का आलू बीज रखा जा रहा है।

जिला उद्यान अधिकारी मनोज चतुर्वेदी मनोज चतुर्वेदी कहते हैं कि पिछले साल एक हजार कुंतल आलू बीज की डिमांड हुई थी, लेकिन इस बार 500 कुंतल ही मंगाया गया है। बीज महंगा होने की वजह से मांग कम की गई है। उत्पादन लागत भी बढ़ रही है। पिछले दो सालों में एक हजार रुपए प्रति कुंतल तक किसानों को बीज खरीद में छूट मिलती थी, जो खत्म हो गई है।

कन्नौज के ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी के वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह बताते हैं, “आलू की बुवाई के लिए बलुई दोमट मिट्टी सही होती है। मुख्य फसल के लिए 15 से 25 अक्तूबर व पछेती बुवाई 15 नवंबर से अंतिम दिसंबर तक की जा सकती है।

डॉ. सिंह ने बताया कि अगेती प्रजातियां जैसे कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी गरिमा, कुफरी पुखराज तथा कुफरी बहार 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है। समय से बोई जाने वाली प्रजातियां कुफरी बहार, कुफरी पुखराज, कुफरी अरुण, कुफरी बादशाह, कुफरी सूर्या, कुफरी सदाबहार, कुफरी आनंद, कुफरी सतलज तथा कुफरी बादशाह 90 से 100 दिनों में तैयार होने वाली प्रजातियां है। पिछैती प्रजातियां 100 से 120 दिनों में तैयार होती हैं, जिनमें कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी आनंद, कुफरी देवा, कुफरी चमत्कार तथा कुफरी किसान प्रमुख हैं। 

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