कृषि संकट : 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावे वाले देश में 50 किलो बैंगन से आय 5 रुपए

Kushal MishraKushal Mishra   28 April 2018 10:37 AM GMT

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कृषि संकट : 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावे वाले देश में 50 किलो बैंगन से आय 5 रुपएकिसानों की कैसे होगी आय दोगुनी ?

लखनऊ। भारत कृषि उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, इसके बावजूद दूसरे देशों में भारत का कृषि निर्यात लगातार घट रहा है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की जमीनी हकीकत यह है कि किसान को 50 किलो बैंगन बेचने पर मुनाफा सिर्फ 5 रुपए मिल रहा है।

महाराष्ट्र के एक किसान ने राहुरी क्षेत्र की अहमद नगर मंडी में बीते माह 50 किलो बैंगन मंडी में बेचा और उस किसान को महज 75 रुपए मिले। इसमें भी किसान के 60 रुपए आने-जाने में और 10 रुपए मंडी में मजदूरी में खर्च हो गए और औने-पौने दाम में अपनी फसल को बेचने को मजबूर हुए इस किसान को मुनाफा सिर्फ 5 रुपए मिला। यह तस्वीर दर्शाती है कि देश का किसान आखिर क्यों अपनी फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर होता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशालय, कोलकाता के अनुसार अंतराष्ट्रीय बाजार में भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में काफी कमी आई है। देश में वर्ष 2014 में जहां कृषि निर्यात 32.95 अरब डॉलर था, वो 2016-17 में घटकर 24.69 अरब डॉलर रह गया है। जबकि इसी समय में आयात 13.49 अरब डॉलर से बढ़कर 23.20 अरब डॉलर पहुंच गया।

ऐसी स्थिति में देश में जहां निर्यात को बढ़ावा देकर किसान को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है, वहां पर सरकार की स्पष्ट नीतियां न होने के कारण किसान को नुकसान हो रहा है।

महाराष्ट्र के किसान को 50 किलो बैंगन बेचने पर मिला सिर्फ 5 रुपए मुनाफा।

यह स्थिति दर्शाती है कि…

कृषि मामलों के जाने-माने जानकार रमनदीप सिंह मान ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “सिर्फ पांच रुपए का मुनाफा पाने वाले महाराष्ट्र के इस किसान की यह तस्वीर दिखाती है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की असलियत क्या है।“

देश में कृषि निर्यात घटने की स्थिति पर रमनदीप सिंह कहते हैं, “अगर वास्तव में किसानों की आय सरकार दोगुनी करना चाहती है, तो केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा, क्योंकि अगर अच्छे उत्पादन के बावजूद भी सरकार को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है तो यह स्थिति दर्शाती है कि देश के कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार के पास व्यापक नीति नहीं है, जो किसानों की आय दोगुनी करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।“

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बड़ी बात यह है कि जितना खाद्य पदार्थ देश में बर्बाद हो जाता है, उतना ब्रिटेन जैसे बड़े देश के खाद्य उत्पादन के बराबर है। दूसरे देशों में ऐसा नहीं है। यह हाल तब है जबकि जनसंख्या और कृषि उत्पादन के मामले में भारत का दूसरा स्थान है।
डॉ. एचपी सिंह, प्रमुख, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

दूसरी ओर, देश में खाद्यान्न की स्थिति पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कृषि अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. एचपी सिंह बताते हैं, “हमारे देश में खाद्यान्न का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो बर्बाद हो जाता है। बड़ी बात यह है कि जितना खाद्य पदार्थ देश में बर्बाद हो जाता है, उतना ब्रिटेन जैसे बड़े देश के खाद्य उत्पादन के बराबर है। दूसरे देशों में ऐसा नहीं है। यह हाल तब है जबकि जनसंख्या और कृषि उत्पादन के मामले में भारत का दूसरा स्थान है।“

कृषि मंत्रालय के सीफैट की रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब 67 लाख टन खाद्य पदार्थ हर साल उचित भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था न होने से खराब हो जाते हैं। इस रिपोर्ट में खराब हुए इन खाद्य पदार्थों की कीमत 92 हजार करोड़ रुपए आंकी गई। यानि किसानों की आय से जुड़ा खाद्यान्न का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे देश में उचित व्यवस्था न होने से बर्बाद हो जाता है।

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ज्यादा उत्पादन और ज्यादा नष्ट करें, इस विरोधाभास से पूरा देश ग्रस्त है। भारतीय कृषि व्यवस्था में सबसे बड़ी कमी यही है कि यहां उपज आधिक्य को संभालने का कोई प्रबंध नहीं है।
देविंदर शर्मा, जाने-माने कृषि विशेषज्ञ

इस बारे में हाल में जाने-माने कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने अपने लेख में लिखा, “ज्यादा उत्पादन और ज्यादा नष्ट करें, इस विरोधाभास से पूरा देश ग्रस्त है। भारतीय कृषि व्यवस्था में सबसे बड़ी कमी यही है कि यहां उपज आधिक्य को संभालने का कोई प्रबंध नहीं है। देश भर में भंडार गृह बनाने के लिए सरकारों के पास पैसा नहीं है, इसलिए किसान जब अपनी पैदावार को मिट्टी के मोल बेचने को या फिर सड़कों पर फेंकने पर मजबूर हों, तो हैरत नहीं होनी चाहिए।“

इससे इतर कृषि उत्पादों के निर्यात में दुनिया में थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों से भी पीछे चल रहे भारत का आठवां स्थान है। हाल में क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रज्जू श्रॉफ ने कहा, “वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए देश में कृषि निर्यात, जो मौजूदा स्थिति में 32.95 अरब डॉलर है, इसे बढ़ाकर वर्ष 2022 तक 120 अरब डॉलर करना होगा। यानि आय दोगुनी करने के लिए कृषि उत्पादों के निर्यात को तिगुना करना होगा।“

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सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश पीछे

वहीं, देश के राज्यों में कृषि उत्पादों के निर्यात की भी व्यवस्थाओं पर नजर डालें तो बड़ा अंतर देखने को मिलेगा। देश में सब्जियों के उत्पादन में नंबर वन और सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की स्थिति कृषि उत्पादों के निर्यात में और राज्यों से भी काफी पीछे है।

हाल में आलू उत्पादन में पश्चिम बंगाल को पछाड़ते हुए उत्तर प्रदेश नंबर वन बन गया। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 155 लाख टन आलू पैदा हुआ, मगर अन्य राज्यों के साथ विदेशों में उत्तर प्रदेश का आलू 10 प्रतिशत भी निर्यात नहीं हो सका। दूसरी ओर बंगाल ने आलू निर्यातक नीति बनाकर और राज्यों के बाजारों समेत विदेशों तक कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत आलू निर्यात किया।

उत्तर प्रदेश में आज भी इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है। अगर यूपी में किसानों के लिए पैक हाउस बने और किसानों के उत्पाद की सही निर्यात नीति हो तो उत्तर प्रदेश निर्यात में आगे बढ़ सकता है और इसका सीधा फायदा किसानों को होगा।
डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह, अध्यक्ष, एपीडा

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देश में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात के लिए वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से बनाई गई संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह फोन पर ‘गाँव कनेक्शन’ से बताते हैं, “उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, मगर कृषि उत्पादों के निर्यात पर महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल जैसे अन्य राज्यों की अपेक्षा पीछे है। इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में आज भी इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है। अगर यूपी में किसानों के लिए पैक हाउस बने और किसानों के उत्पाद की सही निर्यात नीति हो तो उत्तर प्रदेश निर्यात में आगे बढ़ सकता है और इसका सीधा फायदा किसानों को होगा।“

किसान और सरकार का सीधा जुड़ाव हो

दूसरी ओर, कृषि अर्थशास्त्री और वरिष्ठ पत्रकार कमल शर्मा ‘गाँव कनेक्शन’ से बताते हैं, “किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि सरकार निर्यात को बढ़ावा दे। निर्यात की ऐसी नीतियां बनें, जिससे सरकार और किसानों के बीच सीधा जुड़ाव हो, उसके बीच कोई व्यापारी न हो।“

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कमल बताते हैं, “सरकार को किसानों को एक ऐसा सरकारी प्लेटफार्म देना चाहिए, जहां किसान सीधे तौर पर अपना कृषि उत्पाद सरकार को बेचे। अब तक तो व्यापारी मंडी से उत्पाद खरीदकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचता है, जिसमें सिर्फ व्यापारी को ही फायदा मिलता है और किसानों को कुछ नहीं। इसलिए किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह जरूरी कदम होगा कि सरकार ऐसा प्लेटफार्म बनाए और सीधे किसानों से खरीदे और निर्यात पर उनकी निश्चित हिस्सेदारी तय करे।“

तब किसानों को अच्छा मिल सकेगा

वहीं, कृषि उत्पादों पर वैश्विक बाजार पर काम कर रही एग्री बिजनेस सिस्टम्स इंटरनेशनल में आयात-निर्यात क्षेत्र से जुड़े अभिजीत शर्मा फोन पर बताते हैं, “किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसान और सरकार के बीच बिचौलियों की निर्भरता खत्म होनी चाहिए, जब किसान जागरूक होंगे और बिचौलियों की निर्भरता खत्म होगी तो किसान और सरकार से सीधा संपर्क होगा, तब किसानों को उसकी उपज पर अच्छा मुनाफा मिल सकेगा।“

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विश्व बाजार में निर्यात को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार को बाजार के अनुसार फसल उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित करना चाहिए, किसान खुद भी कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों से संपर्क कर प्रशिक्षण लें, ताकि उपज की गुणवत्ता बेहतर हो और किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार मंष उस उपज का अच्छा मुनाफा कमा सके।
डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह, अध्यक्ष, एपीडा

देश में कृषि निर्यात की स्थिति और वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में (एपीडा) के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह बताते हैं, “विश्व बाजार में निर्यात को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार को बाजार के अनुसार फसल उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित करना चाहिए, किसान खुद भी कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों से संपर्क कर प्रशिक्षण लें, ताकि उपज की गुणवत्ता बेहतर हो और किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार मंष उस उपज का अच्छा मुनाफा कमा सके।“

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