सोयाबीन की औसत उत्पादकता 1,200 किग्रा प्रति हेक्टेयर पहुंचने की उम्मीद  

सोयाबीन की औसत उत्पादकता 1,200 किग्रा प्रति हेक्टेयर पहुंचने की उम्मीद  देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल के रकबे में कमी दर्ज की गई।

इंदौर (भाषा)। देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल के रकबे में कमी दर्ज की गई। लेकिन प्रदेश सरकार के कृषि विभाग का अनुमान है कि सोयाबीन की औसत उत्पादकता इस बार करीब 97 प्रतिशत बढ़कर 1,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है।

प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त पीसी मीणा ने शुक्रवार को यहां एक बैठक के दौरान संवाददाताओं को बताया, ‘इस साल के खरीफ सत्र में भले ही प्रदेश में सोयाबीन के बुवाई क्षेत्र में करीब पांच लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई हो। लेकिन अनुकूल मौसमी हालात और दूसरे कारकों से इस फसल की प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता 1,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक रह सकती है।'

देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक सूबे में कृषि विभाग ने इस खरीफ सत्र के दौरान दलहन और कुछ दूसरी फसलों की बुवाई को बाकायदा नीति बनाकर बढ़ावा दिया। इससे सोयाबीन के रकबे में जाहिर तौर पर कमी आई।
पीसी मीणा कृषि उत्पादन आयुक्त मध्यप्रदेश

कृषि के जानकारों ने बताया कि इस खरीफ सत्र के दौरान प्रदेश में करीब 54 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया। पिछले खरीफ सत्र में लगभग 59 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई थी। लेकिन खराब मौसमी हालात के कारण इस तिलहन फसल की औसत उत्पादकता केवल 608 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गई थी।

खुदरा बाजार में दालों की कीमतें चढ़ने के बाद मौजूदा खरीफ सत्र में सूबे के किसान दलहनी फसलों की तरफ इस उम्मीद में आकर्षित हुए कि इनकी खेती से उन्हें अपनी उपज का बढ़िया मोल मिलेगा।

प्रदेश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान मौसम की मार के कारण किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था। लिहाजा परंपरागत रूप से सोयाबीन उगाने वाले किसानों ने भी इस खरीफ सत्र में दलहनी फसलों की खेती को तवज्जो दी।

Indore Madhya Pradesh Agriculture Production Commissioner PC Meena Existing Kharif session 

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