जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल करें किसान, पाएं अनुदान 

Ashwani NigamAshwani Nigam   11 Jan 2018 7:18 PM GMT

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जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल करें किसान, पाएं अनुदान फोटो: विनय गुप्ता

लखनऊ। देश में हरित क्रांति के बाद कृषि उत्पादन और उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हुई है, लेकिन पिछले कुछ सालों में देखने में यह आ रहा है कि इसमें अब ठहराव आ गया है।

कृषि विभाग दे रहा किसानों को सलाह

फसलों में लगने वाले कीट, रोग और खरपतवार के नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं से फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कार्यक्रम के तहत वनस्पति संरक्षण योजना को चला रहा है। इस योजना में किसानों को रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैव कीटनाशक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है। इस पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है।

इन जैव कीटनाशकों का करें इस्तेमाल

किसानों से कृषि विभाग ने कहा है कि रासायनिक कीटनाशक का कम से कम इस्तेमाल करें। उसकी जगह पर जैव कीटनाशक में ट्राइकोडरमा हारजियनम, ब्यूवेरिया, एनपीवी, स्यूडोमोनास, फ्लोरीसेंस, मेटराइजियस एनिसोप्ली, वर्टिलियम लैकानी और ट्राइकोग्रामा कार्ड का उत्पादन करके फसलों को बचाने में इस्तेमाल करें।

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रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसके इस्तेमाल से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षमता कम हो जाती है, जबकि जैव कीटनाशक का फायदा यह है इसको अगर एक बार उपयोग किया गया तो यह अपने आप फैलता जाता है और फसलों को सालों तक बीमारियों से बचाता है।
डॉ. सुशील कुमार सिंह, प्लांट पैथोलाजी डिपार्टमेंट, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्यागिकी विश्वविद्लाय

जागरुकता के लिए चलाया जा रहा अभियान

कृषि विभाग के निदेशक सोराज सिंह ने बताया, “कृषि विभाग ने प्रदेश के किसानों में बायोपोस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए अभियान भी चला रहा है। इसके लिए किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है।'' आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्यागिकी विश्वविद्लाय के प्लांट पैथोलाजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार सिंह ने बताया, “रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसके इस्तेमाल से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षमता कम हो जाती है, जबकि जैव कीटनाशक का फायदा यह है इसको अगर एक बार उपयोग किया गया तो यह अपने आप फैलता जाता और फसलों को सालों तक बीमारियों से बचाता है।''

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सभी में अच्छा परिणाम भी मिला

डॉ. सुशील कुमार ने आगे बताया, “रासायनिक पेस्टीसाइडस की जगह पर किसान अगर बायोपोस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स का उपयोग करके खरीफ और रबी की प्रमुख फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।“ वहीं, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरसी दोहरे ने बताया, “जैविक कंट्रोल विधि, जिसमें प्रमुख रूप से ट्राइको कार्ड के जरिए फसलों में लगने वाले कीटों से बचाया जाता है। गन्ना के साथ ही इसका कई फसलों पर परीक्षण हुआ है और सभी में अच्छा परिणाम भी मिला है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कृषि उत्पादन पूरी तरह रासायनिक रहित होता है।“

कृषि के लिए आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देगा

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्यागिकी विश्वविद्लाय, फैजाबाद के मृदा विज्ञान और एग्रीकल्चरल केमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार ने बताया, “रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से मृदा की संरचना भी बदल रही है। फसलों के लिए मृदा के जो उपयोगी अवयव हैं, उसको यह प्रभावित कर रहा है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है। ऐसे में अगर किसान केमिकल पेस्टीसाइड की जगह बायोपेस्टीसाइड्स या बायोएजेंट्स का उपयोग करते हैं तो यह कृषि के लिए आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देगा।“

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