हाईटेक बनाई जाएंगी यूपी की मंडियां : निदेशक मंडी परिषद

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   28 Oct 2017 5:20 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
हाईटेक बनाई जाएंगी यूपी की मंडियां : निदेशक मंडी परिषदउत्तर प्रदेश की मंडी व्यवस्था किसानों के लिए बनाई जाएगी अधिक लाभदायक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मंडी व्यवस्था को किसानों के लिए अधिक लाभदायक बनाने और मंडियों में आढ़तियों की मनमानी खत्म करने के लिए किसान मंडी परिषद नई रणनीति तैयार कर रही है। इसके साथ साथ केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ई-नाम सुविधा को प्रदेश में बेहतर तरीके से कैसे लागू किया जा रहा है। इस बारे में जानने के लिए गाँव कनेक्शन संवाददाता देवांशु मणि तिवारी ने मंडी परिषद के निदेशक धीरज कुमार से बातचीत की।

सवाल - मंडियों में बिचौलियों का एकाधिकार खत्म करने के लिए परिषद की क्या तैयारियां है ?

जवाब - भारत सरकार ने मंडियों के लिए जो ई-नाम सुविधा लागू की थी, उसके तहत हमने प्रदेश की 100 मंडियों को जोड़ दिया है। इस सुविधा से किसान व्यापारी को सीधे अपनी उपज बेच पा रहे हैं और इस प्रक्रिया में कोई भी बिचौलिया शामिल नहीं रहता है। किसानों को भी यह प्रक्रिया सरल लग रही है।इस सुविधा में किसानों की लाई गई उपज की ई-नाम लैब में जांच होती है और उसे सीधे पोर्टल पर डाल दिया जाता है। इसके बाद ट्रेडर किसान के उत्पाद पर बोली लगाता है और किसान के मनमुताबिक रेट पर उपज को बेच दिया जाता है।

मंडी परिषद के निदेशक धीरज कुमार

सवाल - केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यूपी के ई-नाम मॉडल को सराहा था। इसे अच्छा बनाए रखने के लिए क्या काम हो रहा है ?

जवाब - ई-नाम सुविधा की जानकारी अभी भी सीमित किसानों और व्यापारियों तक ही है,इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए हम हर महीने की 14 तारीख को ई-नाम मंडियों में ई-नाम दिवस मना रहे हैं। लखनऊ में 14 अक्टूबर को मनाए गए पहले ई-नाम दिवस पर आठ हज़ार से अधिक किसानों और व्यापारियों ने हिस्सा लिया। ई-नाम मॉडल में तेज़ी लाने के लिए हम जल्द ही इंटर मंडी ट्रेड व्यवस्था शुरू करेंगे।

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र का ये किसान उगाता है 19 फीट का गन्ना, एक एकड़ में 1000 कुंटल की पैदावार

सवाल - मंडियों में गेट पास से लेकर तौलाई तक कई शुल्क वसूले जाते हैं ? क्या कोई सिंगल विंडो सिस्टम लाने की योजना बनाई गई है?

जवाब - मंडियों में अपना सामान बेचने आने वाले बड़े किसानों व व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल की बात यह थी कि मंडी में कोई भी यूनीफाइड लाइसेंस नहीं था। यूनीफाइड लाइसेंस में व्यापारी एक मंडी से दूसरी मंडी में भी अपना माल बेच सकता है। इस लाइसेंस का शुल्क पहले एक लाख रुपए था, इससे यह सुविधा सिर्फ बड़े व्यापारियों के पास ही थी। हमने इस लाइसेंस का शुल्क एक लाख से कम कर के 10,000 कर दिया है, जिससे छोटे व्यापारी और किसान भी इस सेवा का लाभ ले सकेंगे।

सवाल - किसान अपना अनाज मंडी में अच्छा भाव मिलने तक सुरक्षित रख पाए, इसके लिए योजना कब तक शुरू हो सकती है?

जवाब - मंडीयों में कृषि उपज के स्टोरेज के लिए मैनपावर के साथ साथ आधुनिक भंडारण की तकनीकों की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए मंडी में ऐसी व्यवस्था शुरू करने में परेशानी आ रही है। स्टोरेज पर हम लोग एक नई नीति बना रहे हैं। इसके लिए हमने कुछ कंपनियों और व्यापारियों से बात की है,इससे आने वाले समय में हमें मंडियों में एक स्टोरेज सिस्टम बनाने में मदद मिलेगी।

ये भी पढ़ें - कुपोषण के खात्मे के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने खोजा मास्टर प्लान

सवाल - गोमती नगर में बने आधुनिक किसान बाज़ार से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, बाज़ार दोबारा कब तक शुरू होगी ?

जवाब - किसान बाज़ार में फूल बाज़ार शिफ्ट करने का प्रावधान था, काफी वर्षों से यह लागू नहीं हो पा रहा था, हमने इसपर संज्ञान लेते हुए इस वर्ष नवंबर के अंत तक किसान बाज़ार में पुष्प बाज़ार शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है। नवंबर के बाद शादी-विवाह का समय शुरू हो जाएगा, इसलिए आशा है कि इस प्रयास में हमें सफलता मिलेगी।

यह भी पढ़ें : कर्जमाफी योजना का असल मुद्दा : जिन्होंने समय पर चुकाया कर्ज, उन्हीं ने उठाया नुकसान

आजादी के 70 साल से भारत के किसानों का कभी न खत्म होने वाला इंतजार

कर्जमाफी योजना का असल मुद्दा : जिन्होंने समय पर चुकाया कर्ज, उन्हीं ने उठाया नुकसान

           

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.