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छत्तीसगढ़ के बस्तर में कड़कनाथ से दाेगुनी हुई किसानों की आमदनी

बस्तर। छत्तीसगढ़ में किसानों की आय दोगुनी करना इन दिनों प्रशासन के लिए कड़ी मेहनत का काम साबित हो रहा है। लेकिन उत्तर बस्तर कहे जाने वाले कांकेर के किसान कड़कनाथ मुर्गी का पालन कर अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं। क्षेत्र का कृषि विज्ञान केंद्र भी किसानों के इस काम में भरपूर मदद कर रहा है।

किसानों की आमदनी किसी न किसी माध्यम से दोगुनी करने के लिए कृषि विभाग इन दिनों कड़ी मेहनत कर रहा है। नतीजन, यहां पर कड़कनाथ प्रजाति के चूजे चयनित किसानों को वितरित किए जा रहे हैं। कड़कनाथ के मांस की बाजार में जबरदस्त मांग है और इसका दाम साधारण मुर्गे-मुर्गियों से दोगुना है।

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कांकेर में किसानों को कम लागत पर उन्नत तरीके से वैज्ञानिक तरीके से खेती कर ज्यादा उत्पादन के गुर सिखाए जा रहे हैं। यहां के सैकड़ों किसानों की समृद्धि व खुशहाली किसी से छिपी नहीं है।

दरअसल, जमीन सीमित है और उसका भी बंटवारा होता जा रहा है। इसलिए आय उपार्जन के अन्य उपायों को अपनाकर किसान परिवारों ने समृद्धि की राह पकड़ी है।


कांकेर में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से मदर यूनिट स्थापित की गई है। प्रदेश के दूसरे कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से बहुतायत में अंडों से चूजे प्राप्त कर इसका वितरण कराने का कार्य शुरू कर दिया गया है। कड़कनाथ के अंडे व मांस की बाजार में अधिक मांग है।

कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रथम चरण में सौ किसानों को चूजे वितरण का लक्ष्य रखा गया है। ये किसान कड़कनाथ का पालन कर बाजार में अंडे व मांस बिक्री कर भरपूर लाभ कमा सकेंगे।

कड़कनाथ पूरी तरह से साधारण मुर्गे-मुर्गियों की तरह ही होता है, लेकिन इसकी विशेषता है कि यह पूरी तरह से काला होता है, यहां तक कि इसका खून भी काला होता है। जहां साधारण मुर्गे का मांस 200 रुपये प्रति किलो बिकता है, वहीं कड़कनाथ की आपूर्ति कम होने से इसका मांस 500 से 600 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। कड़कनाथ की लोकप्रियता से इसका मांस सेवन करने वालों की संख्या भी बढ़ गई है।

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कड़कनाथ मुर्गे को स्थानीय जुबान में “कालामासी” भी कहा जाता है। इसकी त्वचा और पंखों से लेकर मांस तक का रंग काला होता है। इसके मांस में दूसरी प्रजातियों के चिकन के मुकाबले चर्बी और कोलेस्ट्रॉल काफी कम होता है। कड़कनाथ चिकन की मांग इसलिए भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि इसमें अलग स्वाद के साथ औषधीय गुण भी होते हैं। उचित देखभाल और खुराक से कड़कनाथ के वयस्क मुर्गे के शरीर का वजन दो किलोग्राम तक पहुंचाया जा सकता है। फिलहाल खुदरा बाजार में कड़कनाथ मुर्गे का भाव 500 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम है, जबकि आम प्रजातियों के मुर्गे 80 से 140 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर बिक रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश में भी कड़कनाथ मुर्गी का पालन होता है। वहां तो इसकी मार्केटिंग के लिए मोबाइल एप भी बनाया गया है। झाबुआ कड़कनाथ के लिए प्रसिद्ध है।

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डि‍पार्टमेंट ऑफ एनि‍मल हस्‍बेंड्री, महाराष्‍ट्र के मुताबि‍क, इसका रखरखाव अन्य मुर्गों के मुकाबले आसान होता है। शोध के अनुसार, इसके मीट में सफेद चिकन के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और अमीनो एसिड का स्तर ज्यादा होता है। कड़कनाथ मूल रूप से मध्य प्रदेश के झबुआ जिले का मुर्गा है, मगर अब पूरे देश में यह मि‍ल जाता है। महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश, तमि‍लनाडु सहि‍त कई राज्‍यों में लोगों इससे अच्‍छा कमा रहे हैं।

(आईएएनएस से इनपुट के साथ)


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