केले की खेती करने वालों को फेसबुक ने दिलाया ज्यादा मुनाफा, दलालों से मिली मुक्ति
गाँव कनेक्शन 2 Feb 2018 7:04 PM GMT
रवीन्द्र वर्मा (कम्यूनिटी रिपोर्टर)
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश का बाराबंकी व बहराइच जिला केले की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां का केला दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात में मशहूर है। इन प्रदेशों के व्यापारी यहां पर केले खरीदने के लिए आते हैं। जाहिर है दलाल ही ज्यादा मुनाफा मारकर ले जाते हैं। मगर अब यहां के किसानों ने खुद को अपडेट करना शुरू कर दिया है। अब बहुतेरे कृषक केलों की ऑनलाइन तरीके से बुकिंग कर दूसरे राज्यों में बैठे बड़े व्यापारियों से अच्छी कीमत वसूल रहे हैं।
लंबे समय से दलालों के चंगुल में थे किसान
दरअसल, अब तक यहां यही होता आया है। महीनों केले की खेती कर मुनाफे की उम्मीद पाले बैठा किसान सौदा करते समय नुकसान का शिकार हो जाता था। इससे इतर दलाल मोटा लाभ लेकर चलते बनते थे। नतीजतन, 14 महीने तक मेहनत से केले की फसल उगाने वाला किसान इसका सही मूल्य नहीं पाता और ठगी का शिकार हो जाता है। बाराबंकी-बहराइच सीमा पर स्थित जरवल क़स्बा के किसान मोहम्मद गुलाम 20 एकड़ में केले की खेती करते हैं और उच्च गुणवत्ता का केला पैदा करते हैं। मगर यहां के व्यापारी इनको अच्छे दाम नहीं देते और इन्हीं के केले से वे अच्छे दाम कमाते है।
दो रुपए प्रति किग्रा बढ़ा लाभ
हालांकि, इस बीच गुलाम मोहम्मद (45 वर्ष) नाम के एक किसान ने अपने फेसबुक वॉल पर अपने खेत के केले की फसल की फोटोज पोस्ट कर दी और तमाम व्यापारियों को उससे जोड़ दिया। इस तरह गुलाम मोहम्मद बताते हैं, "दूर-दूर से तमाम व्यापारियों ने उनके केले को पसंद किया और फोटोज देखकर ही सौदा कर लिया।" गुलाम आगे बताते हैं, "वे यही से गाड़ी लोड करके केला भेज देते है, और व्यापारी उनके बैंक खाते में पैसा भेज देते है। इस तरह से उन्हें 1.5 से 2 रुपये प्रति किलो ज्यादा दाम मिल जाते है।
मंडियों के भाव की भी कर रहे तुलना
बाराबंकी जिले से दक्षिण आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बंदगीपुर के किसान चंद्र शेखर (34 वर्ष) चंडीगढ़ के एक व्यापारी से बात की और अपने केले की फोटोज उसके व्हाट्सएप पर भेज दिया। व्यापारी ने इनके केले को पसंद किया और सौदा कर लिया। चंद्रशेखर बताते हैं, "इस तरह यहां से लगभग 2 रुपये प्रति किलो से ऊंचे दाम पर हमारा केला बिका और अच्छी आमदनी हुई। बाराबंकी से पश्चिम दिशा में करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गाँव मदारपुर के ज्ञानेन्द्र (34 वर्ष) ने किसानों का एक ग्रुप बनाया है जिसमें वे अलग-अलग जगहों की मंडियों के भाव को आपस में शेयर करते हैं और जहां अच्छा रेट होता है वहां अपना केला भेज देते हैं। इसी के साथ धीरे-धीरे किसानों का शोषण कम होता जा रहा है। वे दलालों से मुक्ति पाकर अपनी मेहनत का वाजिब मुनाफा हासिल कर रहे हैं।
More Stories