अब किसान भी उगा सकेंगे मधुमेह रोकने की दवाई 

Sundar ChandelSundar Chandel   25 Dec 2017 11:07 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
अब किसान भी उगा सकेंगे मधुमेह रोकने की दवाई किसान खुद भी मधुमेह की दवाई पैदा कर सकते हैं।

मेरठ। हर घर में आपको शुगर से ग्रसित लोग मिल जाएंगे। इसे रोकने के लिए तमाम तरह की दवाएं बाजार में उपलब्ध है लेकिन अब किसान खुद भी मधुमेह की दवाई पैदा कर सकते हैं। जी हां, मधुमेह को रोकने के लिए किनोआ की फसल के बीज बेहद कारगर पाए गए हैं। सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के हालिया शोध में यह बात सामने आई है।

कृषि विश्वविद्यालय के प्रो. देवेंद्र सिंह बताते हैं, “एक तरफ जहां किनोआ के बीज मधुमेह को नियंत्रण करने में बेहद लाभकारी है, दूसरी तरफ यूपी की जमीन भी किनोआ के लिए अनुकूल है। किनोआ की फसल पर किया गया शोध अब फाइनल हो गया है।“ आगे कहा, “किनोआ की फसल उगाने के लिए किसानों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। विवि के स्टूडेंट्स चौपाल और अन्य माध्यमों से किसानों को किनोआ की फसल के उपयोग और फायदे के बारे में विस्तार से बताएंगे।”

ये भी पढ़ें- आलू-टमाटर के बाद अब मूंगफली किसानों के सामने संकट

प्रो. देवेन्द्र सिंह बताते हैं, “किनोआ का अनाज ही ऐसी दवा है, जिसमें शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ-साथ भरपूर पोषक तत्व हैं, जो मधुमेह सहित कई बीमारियों को पूरी तरह नियंत्रित करता है। यूनिवर्सिटी में किनोआ नाम के औषधीय पौधे पर शोध करके पाया गया है कि इसकी खेती के लिए मेरठ सहित पूरे यूपी की जमीन और जलवायु दोनों मुफीद हैं। यह शोध पिछले एक साल से विवि की प्रयोगशाला में चल रहा था, जिसके अब फाइनल परिणाम आ चुके हैं।“

पोषक तत्वों से प्रचुर किनोआ

कृषि विवि में कार्यरत बॉयोटेक्नोलॉजी के प्रो. आरएस सेंगर बताते हैं, “मधुमेह के रोगियों को कई बार अधिक गेहूं, चावल, मक्का भी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में किनोआ का बीज एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। यह पोषक तत्वों से भरपूर अनाज है और इसमें ग्लूटोन नहीं है। पोषक तत्वों की बात करें तो कैल्शियम, विटामिन, पोटेशियम, ओमेगा 3 फैरी एसिड, एल्फालिनोलेनिक आदि हैं।“

वे आगे बताते हैं, “100 ग्राम पकाया गया किनोआ 120 कैलोरी ऊर्जा देता है। किनोआ में गेहूं, मक्का और चावल जैसे अनाजों से 10 से 20 गुना तक ज्यादा अमीनो अम्ल पाया जाता है।“ प्रोफेसर सेंगर बताते हैं कि विवि में शोध के दौरान ये पाया गया कि किनोआ के लिए मेरठ ही नहीं पूरे प्रदेश की जमीन उपयुक्त है। तरीके से खेती की जाए तो किसान एक हेक्टेयर में पांच टन तक उत्पादन ले सकते हैं।“

ये भी पढ़ें- जब आलू का अकाल पड़ने से 10 लाख लोगों की हुई थी मौत, 10 लाख ने छोड़ा था ये देश

रोगियों के लिए उत्तम आहार

विवि में हुए शोध के आए अंतिम परिणामों में साफ हो गया है कि किनोआ के बीच का सूचकांक इन अनाजों से काफी कम है। निम्न सूचकांक से भी इसकी रेटिंग 53 है, जो मधुमेह रोगियों के लिए उत्तम मानी जाती है। किनोआ में पाए जाने वाले फाइबर रक्त में शर्करा के अवशेषण को भी धीमा कर देते हैं। जिससे शर्करा की मात्रा बढ़ने से रुक जाती है। किनोआ में पाए जाने वाले अन्य तत्व रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करते हैं।

अभी बाजार में किनोआ की उपलब्धता कम है, शोध के बाद चला है कि किनोआ बहुत ही महत्वपूर्ण अनाज है। किसानों को प्रशिक्षण का दायरा और बढ़ाया जाएगा। ताकि किसान जागरूक होकर किनोआ को फसल के रूप में उगाकर लाभ कमाएं।
प्रो. गया प्रसाद, कुलपति कृषि यूनिवर्सिट

ग्लाइसेमिक सूचकांक होता है प्रभावी

दूसरी ओर डॉ. संदीप सिंह बताते हैं, “ग्लाइसेमिक सूचकांक एक रेटिंग है, जो हमारे शरीर में शुगर के प्रभाव को बताती है। यह तीन तरह का होता है। इसमें 70 रेटिंग पर उच्च, 56 से 69 पर मध्य और 55 से कम पर निम्न प्रभाव होता है। मधुमेह में ऐसे अनाज जिनका सूचकांक उच्च होता है, वह रक्त में शुगर की मात्रा को बढाता है। गेहूं, मक्का, चावल जैसे कई अनाजों का ग्लाइसेमिक सूचकांक भी बहुत अधिक है।“

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.