आम की फसल में दिखायी दे ये कीट तो ऐसे करें रोकथाम
Divendra Singh 3 April 2018 7:50 AM GMT
इस महीने आम में बौर से फल बनने शुरू हो जाते हैं, ऐसे में इस समय कई तरह के रोग व कीट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए समय रहता इसका प्रबंधन करना चाहिए।
आम की बागवानी देश में बड़े स्तर पर की जाती है, आम उत्पादक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा, महाराष्ट्र, और गुजरात हैं।
इस समय आम की मंजरियों में पुष्प भृंग या बीटल का प्रकोप देखा जा सकता है, ये भृंग फूलों से रस चूस लेते हैं, जिससे फलों की वृद्धि नहीं हो पाती है। कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया, सीतापुर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव इसकी रोकथाम के बारे में बताते हैं, "ये भृंग फूलों का रस चूस लेते हैं, जिससे फल नही बन पाते इसकी रोकथाम के लिए 0.04 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करना चाहिए।"
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आम पर लगने वाले अन्य कीट व रोकथाम
गुठली का घुन (स्टोन वीविल): यह कीट घुन वाली इल्ली की तरह होता है। जो आम की गुठली में छेद करके घुस जाता है और उसके अन्दर अपना भोजन बनाता रहता है। कुछ दिनों बाद ये गूदे में पहुंच जाता है और उसे हानि पहुंचाता है। इस की वजह से कुछ देशों ने इस कीट से ग्रसित बागों से आम का आयात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था।
रोकथाम: इस कीड़े को नियंत्रित करना थोड़ा कठिन होता है इसलिए जिस भी पेड़ से फल नीचे गिरें उस पेड़ की सूखी पत्तियों और शाखाओं को नष्ट कर देना चाहिए। इससे कुछ हद तक कीड़े की रोकथाम हो जाती है।
जाला कीट (टेन्ट केटरपिलर): प्रारम्भिक अवस्था में यह कीट पत्तियों की ऊपरी सतह को तेजी से खाता है। उसके बाद पत्तियों का जाल या टेन्ट बनाकर उसके अन्दर छिप जाता है और पत्तियों को खाना जारी रखता है।
रोकथाम: पहला उपाय तो यह है कि एज़ाडीरेक्टिन 3000 पीपीएम ताकत का 2 मिली लीटर को पानी में घोलकर छिड़काव करें। दूसरा संभव उपाय यह किया जा सकता है कि जुलाई के महीने में कुइनोलफास 0.05 फीसदी या मोनोक्रोटोफास 0.05 फीसदी का 2-3 बार छिड़काव करें।
दीमक: दीमक सफेद, चमकीले एवं मिट्टी के अन्दर रहने वाले कीट हैं। यह जड़ को खाता है उसके बाद सुरंग बनाकर ऊपर की ओर बढ़ता जाता है। यह तने के ऊपर कीचड़ का जमाव करके अपने आप को सुरक्षित करता है।
भुनगा कीट: यह कीट आम की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट के लार्वा एवं वयस्क कीट कोमल पत्तियों एवं पुष्पक्रमों का रस चूसकर हानि पहुचाते हैं। इसकी मादा 100-200 तक अंडे नई पत्तियों एवं मुलायम प्ररोह में देती है, और इनका जीवन चक्र 12-22 दिनों में पूरा हो जाता है। इसका प्रकोप जनवरी-फरवरी से शुरू हो जाता है।
रोकथाम: इस कीट से बचने के लिए बिवेरिया बेसिआना फफूंद के 0.5 फीसदी घोल का छिड़काव करें। नीम तेल 3000 पीपीएम प्रति 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर, घोल का छिड़काव करके भी निजात पाया जा सकता है। इसके अलावा कार्बोरिल 0.2 फीसदी या कुइनोल्फास 0.063 फीसदी का घोल बनाकर छिड़काव करने से भी राहत मिल जाएगी।
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