उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही किन्नू की खेती

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उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही किन्नू की खेतीकिन्नू का पौधा साल में दो बार लगाया जा सकता है। एक बार फरवरी या मार्च में और दूसरी बार जुलाई या अगस्त महीने में लाया जा सकता है।

सुधा पाल

लखनऊ। बाजारों में दूर से ही अपने आकर्षक चटक नारंगी रंग से पहचाने जाले वाले किन्नू को इस समय हर जगह आसानी से देखे जा रहे हैं और ग्राहक भी उनकी खूब खरीदारी कर रहे हैं। पहले प्रदेश में ये फल पंजाब से मंगवाया जाता था, लेकिन अब प्रदेश के कई क्षेत्रों में किसान इसकी खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इस साल (2016-17 में) प्रदेश में 1800 हेक्टेयर में लगभग 36 हजार मीट्रिक टन किन्नू के उत्पादन की संभावना जताई जा रही है।

जहां एक ओर देशी संतरों के आने में अभी समय है वहीं फल मंडियों में किन्नू ने इसकी जगह ले रखी है। प्रदेश में काफी किसानों ने संतरे की खेती के बारे में सोचा लेकिन संतरे के लिए उचित जलवायु न होने की वजह से यह संभव नहीं हुआ। इसके बाद किसानों ने किन्नू की खेती करना शुरू किया। प्रदेश की जलवायु के हिसाब से किन्नू की खेती की जा सकती है।

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उप्र के निदेशक एसपी जोशी ने बताया “इस समय किन्नू ही बाजार में ज्यादा आ रहे हैं। प्रदेश के हमीरपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, आगरा, चित्रकूट, इटावा, झांसी आदि क्षेत्रों में किसान किन्नू उगा रहे हैं। इसका फल नवंबर में तैयार होता है जबकि उस समय कोई और फल नहीं आता है, संतरा भी उस समय तक नहीं तैयार हो पाता है। इसी वजह से बाजारों में इसी की मांग बनी रहती है।”

किन्नू का पौधा साल में दो बार लगाया जा सकता है। एक बार फरवरी या मार्च में और दूसरी बार जुलाई या अगस्त महीने में लाया जा सकता है। किन्नू की खेती में किसान एक एकड़ से लगभग दो लाख रुपए तक कमाई कर सकता है। बागों से फल को तोड़ने का सबसे अच्छा समय दिसम्बर होता है। इसके बाद फरवरी तक इसकी तुड़ाई की जा सकती है। किन्नू के एक पेड़ से 15 साल तक फल उत्पादन किया जा सकता है। इसके साथ ही इसका पौधा तीन साल में फल देना शुरू कर देता है।

राजभवन में भी लगाए गए पौधे

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक सुशील शर्मा ने बताते हैं “राजभवन में सभी तरह के फल लगाए गए हैं। इन फलों में अमरूद, पपीता, केला, आम आदि शामिल हैं लेकिन यहां पर किन्नू का पौधा नहीं था। डेढ़ साल पहले यहां किन्नू के पौधे लगाए गए। इस समय किन्नू के लगभग आठ पौधे लगे हुए हैं। इन पौधों में एक-दो साल के अंदर फल आना शुरू हो जाएंगे।”

        

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