विशुनपुर (बाराबंकी)। अप्रैल महीने में भी नहरों की बन्दी किसानों पर भारी पड़ रही है। तेज धूप से खेत सूख रहे हैं। खेतों में कम होती नमी किसानों की दिक्कतें बढ़ा रही है। नहरों में पानी न होने से किसानों की फसली लागत बढ़ रही है। वहीं छोटे किसानों की फसलों पर तो संकट खड़ा हो गया है।
आलू और गेहूं की फसल तैयार होने के बाद क्षेत्र के ज्यादातर किसान मेन्था की फसल उगाते हैं। नकदी फसल के रूप में उगाई जाने वाली यह फसल किसानों की आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। इस फसल को तैयारी तक करीब आठ से दस बार सिंचाई की जरूरत होती है। परंतु सिंचाई विभाग द्वारा सिंचाई के समय भी नहरें बंद होने से किसानों के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है। पंपसेटों से सिंचाई फसली लागत बढ़ा रही है तो छोटे किसानों की फसलें पानी के अभाव में पीली पड़ने लगी हैं। जिससे उनकी चिंताएं बढ़नें लगी हैं।
इस सम्बन्ध में मुन्नूपुरवा निवासी राकेश वर्मा बताते हैं, “इस समय हमारे खेतों में ककड़ी व मेंथा की फसल लगी है। तेज पछुवा हवा में फासलें सूख रही हैं। इस समय फसलों को पानी की काफी जरूरत है। ऐसे मौके पर नहरें बन्द होने से किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त हो जाएंगी।”
सिसवारा निवासी लक्ष्मीकान्त मिश्र बताते हैं, “गाँव के अधिकांश किसान गन्ने की फसल उगाते हैं। इस समय फसल को पानी की बहुत जरूरत है। ऐसे समय में पानी की किल्लत से किसानों की चिंताएं बढ़ गयी हैं। मेन्था की फसल भी काफी प्रभावित है।” कोटवाकला निवासी गिरिजा शंकर ने बताया, “जिन किसानों के खेत में बोरिंग की सुविधा है वह तो किसी प्रकार अपनी फसल बचा लेंगे, लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं हैं उनकी फसल पर तो संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
पेयजल का भी हो सकता है संकट
गतवर्ष हुई अल्पवृष्टि के चलते काफी तालाब पहले से ही सूखे पड़े हैं। जिससे जल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है। मेन्था की सिंचाई के लिए पम्पिंग सेटों से अंधाधुंध जल के दोहन से किसानों की फसली लागत बढ़ने के साथ ही कई गाँवों में भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चले जाने की सम्भावना है, जिससे भीषण गर्मी में पेयजल की भी किल्लत हो सकती है।
बेमकसद हुई आदर्श जलाशय योजना
डुमरियागंज (सिद्धार्थनगर)। तहसील क्षेत्र में स्थित नहरें प्यासी हैं तो तालाब भी करीब-करीब सूख चुके हैं। इस व्यवस्था से हर कोई त्रस्त है मगर प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या की ओर नजर तक नहीं डाल रहे हैं। स्थिति यह है कि किसान परेशान हैं, मवेशियों के समक्ष पेयजल संकट खड़ा है तो अग्निशमन विभाग को भी आकस्मिक मौके पर पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। सरकार द्वारा आदर्श जलाशय योजना के अन्तर्गत बने तालाब सूखे पड़े हैं।
रिपोर्टर – अरुण मिश्रा