स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। सरकार किसान क्रेडिट कार्ड योजना से खेती-बाड़ी के विकास के लिए किसानों को ऋण मुहैया करा रही है, लेकिन बैंकों से आसानी से ऋण मिल जाने के कारण बड़ी संख्या में किसान कर्ज़दार होते जा रहे हैं।
पिछले साल बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा का लाभ लेकर दो लाख रुपए का लोन लेने वाले किसान हरी शंकर (50 वर्ष) अभी तक लोन नहीं चुका पाए है। हरीशंकर ने बताया, “गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी, इसलिए अभी बैंक को पूरा पैसा नहीं जमा किया है। बैंक से एक साल का समय और मांगा है, धान बेच कर बैंक को पूरा पैसा चुका देंगे।“ हरिशंकर इलाहाबाद जिले के मांडा ब्लॉक के हाटा गाँव के रहने वाले हैं।
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बैंकों से देशभर के किसानों ने कितना कर्ज लिया हैं, इस पर 30 सितंबर 2016 को अंतिम आंकड़ा जारी किया गया था। इसके मुताबिक देश के 10 बड़े कर्जदार राज्यों में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। प्रदेश के 79,08,100 किसान परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं।
बैंकों से ऋण लेकर उसे न चुका पाने वाले देश के 57 फीसदी किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से लोन लिया है। देश में किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा शुरू होने के बाद कर्ज़दार किसानों की संख्या लगातार बढ़ने की वजह बताते हुए कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त कृषि निदेशक (सांख्यिकी) राकेश कुमार गुप्ता बताते हैं, ‘’किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा की शुरुआत किसानों को आसानी से फसली और उपकरणी ऋण उप्लब्ध कराने के लिए की गई थी, लेकिन किसानों ने इस सुविधा का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है। प्रदेश के अधिकतर किसानों ने आवश्यकता से कहीं अधिक राशि का लोन लिया और फिर उसे समय पर नहीं अदा किया है।“
इलाहाबाद जिले के मेजा गाँव के किसान केशव प्रसाद (62 वर्ष) ने पिछले वर्ष बैंक से डेढ़ लाख रुपए का लोन केसीसी का इस्तेमाल कर लिया था, लेकिन खेत में पानी बहुत अधिक भर जाने से उनकी दो हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हो गई। बैंक से लिए गए लोन की अदायगी फसल कटने के छह महीने बाद होनी थी, लेकिन आर्थिक आभाव के कारण उनके परिवार पर कर्ज़ का बोझ बढ़ता जा रहा है।केशव प्रसाद ने बताया, ‘’बैंक वाले हमें कहते हैं पैसा जल्द से जल्द जमाकर दो नहीं तो तुम्हारे घर पर कुर्की करवा देंगे। रुपए नहीं हैं तो लोन कैसे चुका दें।’’
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जिले में किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से किसानों द्वारा बैंकों को भुगतान की गई लोनराशि का विवरण देते हुए जिला अपर कृषि निदेशक, इलाहाबाद डीएस कटियार बताते हैं, “जिले में किसान क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या 81,750 है और बीमित कृषि क्षेत्र 46,859 हेक्टेयर है। जिले में अभी भी एक लाख से अधिक किसान ऐसे हैं, जिन्होंने बैंकों से कर्ज़ लेने के बाद राशि का भुगतान नहीं किया है।“
सरकार के कर्ज़माफी के ऐलान ने भी किसानों को बैंकों में लोन का पैसा न जमा करने की एक वजह दे दी। इलाहाबाद जिले में बैंक से लिए गए कृषि लोन का भुगतान करने वाले किसानों ने पिछले वर्ष 31 मार्च 2016 तक ही बैंक में लोनराशि जमा की, लेकिन सरकार के कर्ज़माफी के ऐलान के बाद एक भी किसान ने बैंकों में निर्धारित भुगतान राशि जमा नहीं की है।
गोरखपुर जिले के पिपराइच ब्लॉक के रमवापुर गाँव के किसान नंद प्रताप मिश्रा (62 वर्ष) ने किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से पूर्वांचल ग्रामीण बैंक से एक लाख 97 हज़ार रुपए का लोन लिया था। बैंक से लोन लेने के बाद दो वर्ष पूरे होने पर लोनराशि बढ़कर दो लाख 40 हज़ार हो गई है। किसान नंद प्रताप मिश्रा के पुत्र अजय प्रताप मिश्रा (32 वर्ष) ने बताया, ‘’बैंक से लोन लेने के बाद एक साल में पैसा बैंक को देना था, लेकिन चुनाव से पहले सरकार के डिफाल्टर किसानों का लोन माफ करने की खबर आने लगी थी। इससे हमने जान बूझकर बैंक का लोन नहीं चुकाया।’’
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दो करोड़ से ज्यादा किसानों ने ली केसीसी की सुविधा
कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के अनुसार प्रदेश में 2.5 करोड़ किसानों में से दो करोड़ से अधिक किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा उप्लब्ध है। इनमें से करीब चार फीसदी कार्ड वैध नहीं हैं, क्योंकि अधिकतर कार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित बैंकों द्वारा दिए गए हैं, जिनका रिन्यूवल न हो पाने के कारण इन्हें अमान्य श्रेणी में रखा गया है। बैंक हर केसीसी खाते को प्रति वर्ष दी शर्तों के अनुसार रिन्यू करता है।
ये हैं फसली ऋण लेने की शर्तें
बैंक कार्ड पर फसल चक्र के हिसाब से ऋण देता है। अगर किसान खरीफ की फसल (अप्रैल से सितंबर) में बैंक से लोन लेता है, तो अगले वर्ष जुलाई (11 माह) तक चुकाना पड़ता है। तय समय पर भुगतान न होने पर हर वर्ष 10 फीसदी ब्याज बढ़ता है।
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