जानिए एक साल में ये किसान कैसे बना लखपति

बिना मिट्टी की नर्सरी लगाकर झारखंड का ये किसान एक साल में बना लखपति
#indian farmers

पूर्वी सिंहभूम (झारखंड)। एक साल में एक साधारण किसान लखपति कैसे बन सकता है अगर आपको ये जानना है तो झारखंड के इस किसान से जरुर मिलिए। ये किसान बिना मिट्टी के सब्जियों की नर्सरी लगाकर सालाना दो लाख रुपए कमा रहा है।

पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर धालभूमगढ़ ब्लॉक के चीरूगोड़ा गाँव के रहने वाले बाइजू हेम्ब्रम (40 वर्ष) ने पिछले साल कोकोपिट से सब्जियों की नर्सरी लगाना शुरू किया। पिछले एक साल में ही इन्होंने इस नर्सरी को बेचकर दो लाख रुपए कमाए। ये नर्सरी सामान्य नर्सरी से ज्यादा उपज देती है और इसमें कीड़े लगने की सम्भावना बहुत कम रहती है। बाइजू हेम्ब्रम छोटी जोत के किसान है पाली हाउस में नर्सरी लगाकर अब ये अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: ड्रैगन फ्रूट: एक बार लगेगी लागत, 25 साल तक मुनाफा


बाइजू हेम्ब्रम खुश होकर अपनी नर्सरी दिखाते हुए कहते हैं, “इस नर्सरी को लगाने पर इतना फायदा होगा ये हमने सोचा नहीं था। एक संस्था की मदद से दो साल पहले हरियाणा के करनाल शहर गये थे वहां इस तरह की नर्सरी जाकर देखी थी। इसके बाद हमें इसे लगाने की ट्रेनिंग दी गयी। पिछले साल ही हमने इस नर्सरी को बेचकर दो लाख रुपए कमाए थे।”

वो आगे बताते हैं, “मैं एक छोटा किसान हूँ, हमेशा से खेती करते आया हूँ पर इतनी आमदनी कभी नहीं हुई थी। बस सालभर खाने का ही छोटी जमीन में इंतजाम हो पाता था। मैं तो इस नर्सरी से सब्जी उगाता ही हूँ साथ ही आसपास के किसान अब यहीं से नर्सरी ले जाते हैं।”

ये भी पढ़ें: ज्ञानी चाचा से जानिए कम समय में मेंथा की खेती से ज्यादा उत्पादन का तरीका


वर्ष 2015 से टाटा ट्रस्ट द्वारा देश के चार राज्य झारखंड, गुजरात, उड़ीसा और महाराष्ट्र में मिशन 2020- ‘लखपति किसान-स्मार्ट गाँव’ चल रहा है जिसके तहत जनजातीय किसानों को बाजार की मांग के हिसाब कृषि आधारित तकनीकी का छोटे समूहों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आधुनिक संसाधनों का उपयोग करके साधारण किसान बाजार की मांग के हिसाब से बेहतर खेती कर रहे हैं और अपनी आजीविका को बढ़ा रहे हैं।

वर्ष 2020 तक इनका उद्देश्य है कि पूर्वी सिंहभूम के नक्सल प्रभावित प्रखंड धालभूमगढ़ और गुड़ाबांधा में इस माडल के तहत टाटा ट्रस्ट ने किसानों को लखपति बनाने और यहाँ के गाँव को स्मार्ट बनाने का बीड़ा उठाया है। बाइजू हेम्ब्रम यहाँ के अकेले किसान नहीं हैं जो एक साल में प्रशिक्षण के बाद अच्छी खेती करके लखपति बन गये हों बल्कि लखपति किसानों की संख्या यहाँ 100 से ज्यादा है।

ये भी पढ़ें: हंसते-मुस्कुराते गीत गाते छत्तीसगढ़ में होती है धान की खेती #GaonYatra


सामान्य नर्सरी से कोकोपिट नर्सरी का उत्पादन है ज्यादा

मिट्टी में उगाई गयी नर्सरी और कोकोपिट में लगाई गयी नर्सरी का उत्पादन ज्यादा होता है। बाइजू हेम्ब्रम बताते हैं, “अगर सामान्य नर्सरी में सब्जियों का उत्पादन 60 किलो हुआ तो इसमें एक कुंतल होगा। इस नर्सरी को लगाने पर जड़ नहीं टूटती है। इसमें फल और फूल 15 दिन पहले ही आ जाते हैं। कोकोपिट नर्सरी लगाने पर इसमें कीट-पतंग लगने की सम्भावना बहुत कम रहती है।”

किसान का फोन नम्बर- 7368043340. 

ये भी पढ़ें:ब्रोकली, सलाद जैसी विदेशी सब्जियों की जैविक खेती करता है ये युवा किसान

Recent Posts



More Posts

popular Posts