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किसानों का अपना पुस्तकालय, जहां किताबों से मिलती रहेगी खेती-किसानी की हर जानकारी

इस गांव के किसानों को अब खेती-किसानी की जानकारी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा, कोई भी जानकारी चाहिए होगी बस पुस्तकालय में जाकर सब जानकारी मिल जाएगी।
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मोबाइल और सोशल मीडिया के जमाने में लोग किताबों से दूर जा रहे हैं, इसका सबसे अधिक नुकसान किसानों को हो रहा है, कई बार सोशल मीडिया पर खेती की कोई जानकारी आती है, जिसे किसान आजमाने लगते हैं, इससे कई बार उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। इन समस्याओं के हल के लिए किसानों के लिए पुस्तकालय की शुरुआत की गई है।

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में कोलारस ब्लॉक के रामपुर गांव में कृषि विज्ञान केंद्र ने ‘कृषि विज्ञान केन्द्र कृषक पुस्तकालय’ खोला है, जहां पर खेती-किसानी संबंधित कई सारी किताबें रखी गईं हैं। 

रामपुर गांव के रूप सिंह (36 वर्ष) धान-गेहूं जैसी फसलों के साथ सब्जियों की भी खेती करते हैं, इस समय खेत में टमाटर की फसल लगा रहे हैं। पुस्तकालय खुलने से वो काफी खुश हैं, रूप सिंह बताते हैं, “गांव में हर कोई ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है और न ही सब के पास बड़ा वाला मोबाइल (स्मार्ट फोन) है, जिससे लोग जानकारी ले पाएं, लेकिन जो भी दसवीं-बारहवीं तक पढ़ा है वो यहां से जाकर किताब ले सकता है।”

वो आगे कहते हैं, “इससे हमें नई जानकारी ही मिलेगी, अभी खेत में टमाटर लगा रहा हूं, अब अगर इसमें कोई कीड़ा या बीमारी लगेगी, किताब में जाकर पढ़ लूंगा। मेरे पास दस बीघा जमीन है, उसमें अभी धान और सोयाबीन लगा है, अभी टमाटर भी लगा रहा हूं, इसके साथ दूसरी कई सब्जियों की खेती भी करता हूं, हम लोगों के लिए तो अच्छा ही है कि गांव में ऐसी कुछ शुरू किया गया है।

कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों को हर समय सरल और सुलभ ज्ञान प्राप्त होता रहे इसलिए गांव के कियोस्क सेन्टर पर कृषक पुस्तकालय खोला गया है। जहां आकर गांव के किसान, महिलाएं, पशुपालक, खेतीबाड़ी से जुड़ी पुस्तकें कृषि पत्रिकाओं से जानकारी ले सकेंगे।

कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी के प्रधान वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ. एसपी सिंह पुस्तकालय की शुरुआत के बारे में बताते हैं, “देखने में आ रहा है कि इंटरनेट औ व्हाट्सएप के चलते आम लोगों ने किताबों से दूरी बना ली है। हम किसानों को कोई चीज बताते थे, तो वो भूल जाते थे, इसलिए सोचा कि अगर इनके लिए गांव में पुस्तकालय खोल दिया जाए तो उन्हें कोई भी जानकारी चाहिए होगी, वहां से जाकर ले सकते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “आज कृषि, पशुपालन और कृषि से जुड़े विभिन्न विषयों पर किसानों के खेतीबाड़ी में उपयोगी जानकारी से संबंधित ज्ञान से परिपूर्ण पत्र-पत्रिकाएं व पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं। लेकिन किसानों में इनको पढ़कर जानकारी हासिल करने की रूचि कम ही दिखाई दे रही है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ग्रामीण स्तर पर इन लोगों को ये पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इसें शुरू किया गया है।”

पहले ही दिन किसानों ने काफी अच्छा रुझान दिखाया।

पुस्तकालय में अभी धान, गेहूं, सब्जियों जैसी प्रमुख फसलों की खेती की जानकारी की किताबों रखी गईं हैं, किसान चाहे तो पुस्तकालय में आकर पढ़ सकते हैं नहीं तो रजिस्टर में नाम लिखाकर घर भी ले सकते हैं।

कृषक पुस्तकालय के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एम.के. भार्गव बताते हैं, “केन्द्र द्वारा प्रकाशित कृषि साहित्य और बाहर से आने वाली खेतीबाड़ी से जुड़ी पत्रिकाओं को पुस्तकालय के माध्यम से किसानों को पढ़ने और उनसे लाभ उठाने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। केन्द्र के माध्यम से रामपुर कृषक पुस्तकालय में किसानों से जुड़े साहित्य को समय-समय पर उपलब्ध कराया जाता रहेगा।”

29 सितंबर को कृषि विज्ञान केन्द्र कृषक पुस्तकालय की शुरुआत की गई, आने वाले समय में कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से दूसरे शिवपुरी जिले के दूसरे ब्लॉक में ऐसे पुस्तकालय की खोले जाएंगे। आने वाले समय पर यहां देश के कृषि अनुसंधानों द्वारा प्रकाशित किताबें भी रखी जाएंगी, जिससे किसानों को गांव में ही सारी जानकारी मिलती रहे।

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