आम के पेड़ों पर जाला कीट का प्रकोप, कृषि विशेषज्ञ ने बताए उपाय

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आम के पेड़ों पर जाला कीट का प्रकोप, कृषि विशेषज्ञ ने बताए उपायप्रतीकात्मक तस्वीर।

सुरेन्द्र कुमार, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मलिहाबाद (लखनऊ)। आम के बागों में लगा जाला कीट पेड़ों की पत्तियां लपेटकर गुच्छानुमा जाला बनाकर उन्हें नष्ट कर रहा है, जिससे पेड़ों की पत्तियां सूख रही हैं। इस कीट की रोकथाम के लिए किसानों ने कीटनाशक दवाओं का छिड़काव बागों में शुरू कर दिया है।

बारिश के बाद अगस्त सितंबर महीने में आम की बाग में जाला कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। यह कीट आधा से एक इंच लम्बा होता है। जो पेड़ों पर चढ़ टहनियों की पत्तियों पर लारा छोड़कर पत्तियों को लपेटना शुरू कर देता है। धीरे-धीरे यह कुछ ही दिन मे पेड़ों में गुच्छादार लिपटी पत्तियों पर जाला बिखेरते हुए यह कीट उसके अन्दर घुस पत्तियों को काटता रहता है। अनेक बागों में इस कीट का प्रकोप अधिक दिखाई पड़ रहा है। जिनमें अधिकांश पेड़ों की पत्तियां जालाकीट के प्रकोप से गुच्छों में तब्दील होकर सूख गयी है। बढ़ रहे इस कीट के प्रकोप को देख बागवान चिन्तित हैं।

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नई बस्ती धनेवा निवासी बागवान थानेश्वर मौर्य (65 वर्ष) कहते हैं, “पेड़ों में जब पत्तियां हीं नहीं बचेंगी, तो पेड़ सूखने लगेंगे, जिससे आने वालीफसल में ये पेड़ फल देने लायक भी नहीं बचेंगे।” उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई जैसे जिलों में अभी 263275 हेक्टेयर में क्षेत्र में आम के बाग हैं।

मनकौटी गाँव के बागबान पप्पू (47 वर्ष) बताते हैं, “आम की फसल को रोगों व कीटों से बचाव के लिए आम उत्पादक पूरे वर्ष कीटनाशक दवाओं व रसायनों का प्रयोग करने लगे हैं। अगर इसी समय बागवान ने रोकथाम के सही समय से उपाय नहीं किये तो उसे फसल का मूल्य मिलने वाला नहीं। क्योंकि अब विभिन्न प्रकार के नये-नये कीट व रोग उत्पन्न होते जा रहे हैं। जो फसल के साथ पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचाने में कामयाब हैं।”

औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र के मुख्य उद्यान विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल कुमार सिंह का कहना है कि यह रोग आम की फसल समाप्ति होने के बाद अगस्त व सितम्बर माह में अपना प्रकोप दिखाता है। यह ऐसा कीट है जो पेड़ों की पत्तियां चटकर पेड़ तक सूखा देता है।”

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“बागवानों को चाहिए कि पेड़ में लगे जाले वाले गुच्छे को बांस व खपच्ची से तोड़कर जमीन में गिरा उसे एकत्रित कर जला दें, या मिट्टी खोद उसमें गाड़ दें। इसके अलावा इस कीट की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवा क्वीनालफास दो मिली अथवा काबरिल चार ग्राम या लैम्डासाइट्रोथ्रिन एक मिली0 प्रति लीटर पानी मे घोलकर इसका छिड़काव पेड़ों पर करना चाहिए। 15 दिन बाद इन्हीं दवाओं में से किसी एक दवा का छिड़काव करना रोकथाम के लिए अच्छा होगा।

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