दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर केंद्र और दिल्ली सरकार को एनजीटी की फटकार, 4 राज्यों के सचिव तलब
गाँव कनेक्शन 4 Nov 2016 2:12 PM GMT

दिल्ली/लखनऊ। दिल्ली-एनसीआर में खतरे के निशान को पार कर चुके वायु प्रदूषण पर एनजीटी ने सख्त हो गया है। प्रदूषण रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
अदालत का दर्जा प्राप्त राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इस मामले में दिल्ली, राज्स्थान, पंजाब और हरियाणा के पर्यावरण सचिवों को तलब किया है। साथ ही फसलों का जलाने व प्रदूषण नियंत्रण पर एक रिपोर्ट भी आठ नवंबर को संबंधित राज्यों से मांगी है।
दिल्ली के आसमान पर सुबह-शाम छाया रहने वाली धुंध से दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है। कोहरे जैसी दिखने वाली ये धुंध दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलाए जाने वाले पराली का धुआं है, जिसने राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कई गुना बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 17 साल के रिकार्ड को तोड़ गया है।
धान की फसल काटने के बाद हरियाणा-पंजाब और यूपी के किसान रबी की दूसरी फसल (गेहूं, आलू, सरसों) लेने के लिए धान की ठूंठें और पराली खेत में जला देते हैं। फसल के अवशेष जलाने से पैदा हुए इस धुएं से पिछले कई वर्षों से अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली समेत कई राज्यों की आबोहवा में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। सरकार ने कई वर्ष पहले ही फसलों के अवशेष जलाने को गैरकानूनी घोषित कर रखा है। पंजाब-हरियाणा में जुर्माने से लेकर जेल तक का प्रावधान है लेकिन हर साल ये प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में छाई इस स्मॉग की चर्चा अमेरिका तक में है। न्यूयार्क टाइम्स ने इस खबर प्रकाशित की है।
न्यूयार्क टाइम्स से पंजाब के किसान हरजिंदर सिंह ने कहा, “ यदि सरकार चाह ले तो वह फसलों के अवशेष जलाने की इस पद्धति को बंद करा सकती है मगर आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। उम्मीद है कि अगले साल इस संबंध में सरकार उचित कार्रवाई करेगी।”
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मुताबिक, नई दिल्ली से उत्तर दिशा में 100 मील दूर पंजाब में हाल ही में धान की कटाई के बाद शेष बचे करीब 320 लाख टन भूसी और ठूंठ जलाए हैं। गाँवों में किसानों द्वारा फसल की ठूंठ को जलाने से राजधानी नई दिल्ली के करीब 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इस दौरान जो प्रदूषण हुआ है वह पिछले सप्ताह के प्रदूषण के आंकड़ों में अचानक हुए इजाफे से सामने आया है। इस दौरान करीब 20 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले धान की खेतों में फसल के अवशेष जलाए गए। खेत के क्षेत्रफल के मुताबिक, यदि इन किसानों पर जुर्माना लगाया जाए तो एक पर ढाई हजार से 15 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।
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