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इन घरेलू नुस्खों से ऊसर ज़मीन को बनाया उपजाऊ, अब दूसरों को सिखा रहे तरीका

खेती किसानी

लखनऊ। जिन किसानों की जमीन ऊसर है वो उत्तर प्रदेश के इस किसान से जरूर मिलें जिसने एक देशी गाय से प्राकृतिक तरीका अपनाकर अपनी दो एकड़ खेती को उपजाऊ बना दिया। जिस खेत में कभी कुछ पैदा नहीं होता था आज वो इससे अच्छी पैदावार ले रहे हैं।

“मेरी जमीन ऊसर हो चुकी थी, उस जमीन पर खेती करना मुश्किल था। 13 साल पहले प्राकृतिक खेती करना शुरू किया। एक देशी गाय के गोबर और गोमूत्र के उपयोग से बिना किसी लागत के हमने अपने खेत को ऊसर से उपजाऊ बना लिया है।” ये कहना है किसान विश्वनाथ कश्यप (40 वर्ष) का।

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वो आगे बताते हैं, “एक समय था जब उस जमीन में खेती करना तो दूर एक पेड़ लगाना भी मुश्किल था, लेकिन आज यहां पर 300 पेड़ लगे हैं। पिछले साल इस खेत में मैंने धान की अच्छी पैदावर ली। ऊसर से उपजाऊ जमीन बनाने में तीन साल का समय लगा, अभी भी पूरी तरह से उपजाऊ भूमि नहीं हुई है लेकिन खाने भर की पैदावार होने लगी है।”

विश्वनाथ उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर मनियारपुर गांव के रहने वाले हैं। जिनकी जमीन अमेठी और सुल्तानपुर के वार्डर पर है। यहां की मिट्टी मुल्तानी है, इस मिट्टी में कंकड़ की मात्रा भी बहुत ज्यादा है।

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विश्वनाथ कश्यप प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को करते हैं जागरूक

विश्वनाथ ने बिना किसी खर्चे के ऊसर जमीन को कैसे उपजाऊ बनाया इस पर उनका कहना है, ” सबसे पहले मैंने खेत की ऊंची मेड़बंदी की। इसके बाद देशी गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन, गुड़, बरगद के पेड़ की मिट्टी को कई बार खेत में डाला और चार से पांच इंच पानी भर दिया। ऐसा कई बार करने से खेत धीरे-धीरे उपजाऊ हो गया।”

शून्य लागत प्राकृतिक खेती का पूरे देश में प्रशिक्षण दे रहे सुभाष पालेकर का कहना है, “एक ग्राम देशी गाय के गोबर में 300-500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाये जाते हैं। गाय के गोबर में गुड़ और कई पदार्थ डालकर सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। इससे बना जीवामृत और घनजीवामृत जब खेत में पड़ता है तो करोड़ों सूक्ष्म जीवाणु भूमि में उप्लब्ध तत्वों से पौधों को भोजन मिलता है और मिट्टी उपजाऊ होती है।”

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विश्वनाथ ने न सिर्फ अपनी ऊसर जमीन को उपजाऊ बनाया और अच्छा उत्पादन लिया बल्कि अपने आस पास के कई किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर भी सिखा रहे हैं। अभी इनके पास 12 गायें हैं जिससे ये खेती कर रहे हैं।

विश्वनाथ का कहना है, “अब मैं बाजार से कोई भी खाद और कीटनाशक नहीं लेता हूँ। देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से कई चीजें बनाकर पूरी खेती करता हूँ।” वो आगे बताते हैं, “मेरी जमीन तो ऊसर थी लेकिन जिनकी जमीन ऊसर नहीं है और वो रासायनिकों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आने वाले समय में उनकी जमीन ऊसर होने की संभावना है।”

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