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बारिश और ओलों से आम की फसलों को भारी नुकसान, किसान अब करें ये उपाय

असमय हुई मूसलाधार बारिश और ओलों ने कई जगह पर आम को क्षति पहुंचाई है। कहीं आम के बौर क्षतिग्रस्त हो गए हैं तो किसी-किसी स्थान पर खिलते हुए बोरों में मौसम के कारण परागण की समस्या रही है।
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उत्तर प्रदेश में बीते एक हफ्ते में दो बार ओले गिरने और बारिश होने की वजह से किसानों की हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं। इनमें आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।

असमय हुई मूसलाधार बारिश और ओलों ने कई जगह पर आम को क्षति पहुंचाई है। कहीं आम के बौर क्षतिग्रस्त हो गए हैं तो किसी-किसी स्थान पर खिलते हुए बोरों में मौसम के कारण परागण की समस्या रही है। यह स्थिति लगातार कई दिनों से बादल और कम तापक्रम के कारण परगंकर्ता की कमी से हुई है।

आम के बौर को अपने विकास के लिए कुछ ही दिन मिलने वाले हैं क्योंकि मार्च में 20 तारीख के बाद तापक्रम के बढ़ने की संभावना है और अधिक तापक्रम होने पर बौर अपनी बढ़वार ठीक से नहीं कर पाते हैं।

डॉ. राजन ने बताया कि अत्यधिक सर्दी के कारण निकलने वाली बोर में पत्तियों जैसी संरचनाये भी पाई जा रही हैं, इसे वैज्ञानिक मिक्स्ड पेनिकल कहते हैं। यह आमतौर पर बोर के विकास और निकलते समय अनुचित तापक्रम के कारण होता है। इस प्रकार के मिश्रित बौर अधिक फल देने में सक्षम हैं।

आम का बौर आज विभिन्न किस्मों और स्थानों पर भिन्न अवस्थाओं में है। दशहरी के बौर खिलना प्रारंभ हो गया है, जबकि चौसा, आम्रपाली, मल्लिका, सफेदा आदि देर से पकने वाली प्रजातियों के फूल खिलना शुरू होने में अभी समय शेष है।

बौर निकलने की प्रक्रिया में देर हुई

इस वर्ष हुई ज्यादा सर्दी और अनेक बार हुई बरसात ने न सिर्फ बौर निकलने की प्रक्रिया में देर की बल्कि फसल के शत्रुओं को भी प्रभावित किया है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष भुनगा का प्रकोप देर से और कम हुआ है, इससे हानि की संभावना फल सेट होने के बाद (मार्च के अंतिम सप्ताह से) ही हो सकती है।

लगातार हो रही बारिश के चलते बौर, झुलसा से ग्रसित बोर के संबंध में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला ने इस समय आम के बागों में विशेष ध्यान देने के लिए सलाह दी कि इस बीमारी से क्षति की संभावना बनी हुई है। इससे बचाव के लिए कार्बेंडाज़िम+मेंकोज़ेब 2 ग्राम प्रति लीटर या हेकजाकोनाज़ोल 1 मिली लीटर प्रति लीटर का छिड़काव लाभकारी होगा।

♦ खर्रा के प्रकोप की संभावना थोड़ा गर्मी बढ़ने पर अधिक है। खर्रा से बचाव के लिए सल्फर 2 ग्राम या हेकजकोनाज़ोल 1 मिली लीटर प्रति लीटर का छिड़काव करना होगा।

♦ भुनगा कीट से बचाव के लिए अभी इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी का छिड़काव ठीक है और फल सेट होने के बाद थायामेथोक्जाम के 1 ग्राम प्रति 3 लीटर पानी का छिड़काव उत्तम रहेगा।

♦ वर्षा के चलते इस वर्ष थ्रिप्स (रुजी) के प्रकोप की संभावना कम है। फिर भी फल सेट होने के बाद निरीक्षण करने अच्छा रहेगा। यदि यह कीट दिखता है तो भुनगा के लिए लागू प्रबंधन इसको भी रोकेगा।

♦ मिज कीट का प्रकोप बौर, फल और पत्तियों सभी पर होता है। अन्य कीटों के प्रबंधन के लिए उपयोग किये जा रहे कीट नाशक इसको भी मारते हैं लेकिन अधिक प्रकोप होने पर डाईमेथोएट 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।

♦ ध्यान रहे कि खिले बौर पर कीटनाशकों का छिड़काव न करें। प्रत्येक छिड़काव की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए घोल में स्टिकर (तरल साबुन) जरूर मिलाये और रसायन भी विश्वसनीय कंपनी का, विश्वसनीय विक्रेता से ही खरीदें।

जागरूक किसानों से अनुरोध है कि वह हमारे संस्थान की वेबसाइट (www.cish.res.in) पर कृषि परामर्श सेवा के हर सप्ताह जारी किए जाने वाले अंकों को देखते रहें। हम इसमें मौसम और फसल की अवस्था के अनुरूप सूचना देते हैं।

(लेखक शैलेंद्र राजन लखनऊ में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक हैं) 

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