इन यंत्रों से महिला किसानों की मुश्किलें होंगी आसान

Diti BajpaiDiti Bajpai   17 April 2018 1:36 PM GMT

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इन यंत्रों से महिला किसानों की मुश्किलें होंगी आसान2011 की जनगणना के मुताबिक देश में छह करोड़ से ज्यादा औरतें खेती के काम से जुड़ी हैं।

सुबह से लेकर शाम तक खेतों में काम करनी वाली महिलाओं के श्रम को कम करने के लिए कृषि संस्थानों ने पहल की है। इन संस्थानों ने कई महिलाओं पर सर्वे करके पहले यह आंका कि किस क्षेत्र में महिलाओं का श्रम ज्यादा लगता है उसी के अनुसार कृषि यंत्रों को तैयार किया गया है।

सीतापुर जिले के कटिया कृषि विज्ञान केन्द्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. सौरभ बताती हैं, "ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घर के कामकाज संभालने के अलावा कृषि में भी पूरा योगदान देती हैं। दिन मे कम से कम छह से सात घंटे महिलाएं खेतों में काम करती हैं। लेकिन उनके जो कृषि यंत्र है वो अभी भी पांरपरिक हैं जैसे खुरपी, फावड़ा, दरांती, कुदाल। उन्हीं को लेकर कई घंटों तक बैठकर झुककर काम करती है, जिससे रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी कई बीमारियों से भी ग्रस्त है।"

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वो आगे बताती हैं, "महिलाओं की इन समस्याओं को दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से महिलाओं के श्रम को कम करने के लिए कई यंत्र तैयार किए है। जिले की महिलाओं को ऐसे कई यंत्र दिए हैं, जिनसे उनके काम आसान हो रहे हैं।"

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में छह करोड़ से ज्यादा औरतें खेती के काम से जुड़ी हैं। खाद्य और कृषि संगठन के आंकड़ों की मानें तो कृषि क्षेत्र में कुल श्रम में ग्रामीण महिलाओं का योगदान 43 प्रतिशत है, वहीं कुछ विकसित देशों में यह आंकड़ा 70 से 80 प्रतिशत भी है।

इन यंत्रों से महिलाओं के काम होंगे आसान-

भिंडी/सब्जी तुडाई यंत्र- इस यंत्र के प्रयोग से भिंडी और अन्य सब्जियों की चौड़ाई आसानी से की जा सकती है। हाथों पर दस्ताने पहनकर उंगली में इस यंत्र को धारण करके सब्जियों की तुड़ाई करते समय हाथों में खुजली, दंराती का प्रयोग करने पर चोट लगना, नाखूनों में दर्द आदि परेशानियों का अनुभव कृषक महिलाएं करती हैं। इन परेशानियों से छुटकारा के लिए सब्जी तुडाई यंत्र का प्रयोग भिंडी में करने पर भिंडी की तुडाई में कार्य क्षमता लगभग 40 प्रतिशत बढ़ गई और खुजली आदि समस्याओं से भी छुटकारा मिल गया।

शोल्डर लोड मैनेजर- पारंपरिक रूप से पशुशाला की साफ सफाई के दौरान कूडा करकट को सीधे सिर पर रखकर कूड़ेदान तक पहुंचाया जाता है, जिससे गर्दन और कंधों पर बराबर बराबर फैल जाता है, जिससे कार्य क्षमता बढ़ जाता है।

घूमने वाला स्टूल एवं स्टैंड- दूध दुहने के लिए बर्तन रखने का स्टैंड एवं बैठने के लिए घूमने वाले स्कूल को विशेष रूप से पशुपालन करने वाली महिलाओं के लिए तैयार किया गया है, जिससे पशुओं द्वारा लात मारने पर चेाट लगने की संभावना कम हो जाती है साथ ही कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।

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उन्नत हॅसिया- यह दांतेदार हॅसिया गेहूं, चना, घास इत्यादि पतले तनों के फसलों को काटने के लिए उपयुक्त है। इस 18 ग्राम के यंत्र का आउटपुट गेहूं की फसल को काटने में 191 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा है। पारंपरिक डिजाइन की तुलना में इस उन्नत यंत्र के प्रयोग से कार्य क्षमता को लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

फर्टिलाइजर ब्रॉडकास्टर- दानेदार खाद को खेत में छिड़काव करने के लिए यह एक बेहतरीन यंत्र है। इस यंत्र का वजन तीन किलो है और इसको कंधों पर लटका कर सामने की तरफ बांधकर लगभग एक हेक्टेयर प्रति घंटा की क्षमता की दर से यूरिया का छिड़काव खेतों में किया जा सकता है। इस यंत्र के इस्तेमाल से महिलाओं की कार्य क्षमता को लगभग छह प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

पी.ए.यू. सीड ड्रिल- यह यंत्र गेहूं को लाइन से लगाने के लिए उपयुक्त है। इस यंत्र का वजन लगभग 13 किलो है। गेहूं की बुवाई में इस यंत्र का आउटपुट 407 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा है और संचालन के लिए दो महिलाओं की आवश्यकता होती है। आउटपुट के आधार पर इस यंत्र के प्रयोग से महिलाओं की कार्य क्षमता को लगभग 87 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

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मक्का डीहस्कर कम सेलर- यह हाथ चालित यंत्र से बिना छिले हुए पूरी मक्का के भुट्टे से दाना प्राप्त किया जाता है। एक-एक करके भुट्टों को यंत्र में डाला जाता है जहां इसका छिलका व दाना अलग-अलग हो जाता है। इस यंत्र का वजन लगभग 80 किलो है और कार्यक्षमता 61 किलो दाना प्रति घंटा है।

पैडल चालित धान थ्रेशर- यह यंत्र कटाई के बाद धान की थ्रेसिंग के काम आता है जोकि पैरों की सहायता से चलाया जाता है। इस 41 किलो के यंत्र की क्षमता 79 किलो धान प्रतिघंटा है। इस यंत्र का प्रयोग से झुककर और हाथों को कंधे के ऊपर ले जाकर धान को पीटकर अलग करने की तुलना में श्रम की बचत होती है और धान आसानी से अलग किया जा सकता है।

नवीन डिब्बलर- यह यंत्र मक्का, अरहर, चना, सोयाबीन आदि की बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस यंत्र के उपयोग से बीज की बचत के साथ ही 13 प्रतिशत श्रम की भी बचत होती है। इस यंत्र के सहयोग से बैठ कर, झुककर बीज बोने के स्थान पर खड़े होकर बुवाई की जाती है।

मूंगफली तुड़ाई यंत्र- यह यंत्र मूंगफली की फलियों को पौधों से अलग करने के लिए उपयुक्त है। यह लगभग 24 किलो का यंत्र है, जिसकी कार्य क्षमता लगभग 11 किलो फली तुड़ाई प्रति घंटा प्रति महिला है।

मूंगफली फुड़ाई यंत्र (बैठकर संचालित)- यह यंत्र बैठकर मूंगफली से दाना निकालने के काम आता है। यह लगभग 10 किलो का यंत्र है, जिससे प्रति घंटा 30 किलो मूंगफली से दाना निकला जा सकता है। जो कि हाथ से मूंगफली से दाना अलग करने की पारंपरिक विधि की तुलना में महिलाओं की कार्य क्षमता को 79 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।

हस्तचालित मक्का सेलर- यह यंत्र छिले हुए मक्का के भुट्टे से दानों को अलग करने का यंत्र है जो कि लगभग 22 ग्राम वजनी है। इस यंत्र से 27 किलो प्रति घंटा तक दाना निकाला जा सकता है, जिससे महिलाओं का श्रम को 15 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है साथ ही हाथों के कटने छिलने का डर भी नहीं रहता।

हस्तचालित चक्रीय मक्का सेलर- यह यंत्र लगभग 80 किलो का है और इसकी कार्य क्षमता 73 किलो प्रति घंटा है। मक्के के भुट्टे से दाना अलग करने का हस्तचालित चक्रीय यंत्र है, जिससे पारंपारिक तरीके से दाना अलग करने की तुलना में महिलाओं की कार्य क्षमता में 32 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी है।

मूंगफली फुडाई यंत्र (खड़े होकर संचालित)- यह यंत्र खड़े होकर मूंगफली से दाना निकलने के काम आता है। यह लगभग 15 किलो का यंत्र है, जिससे 33 किलो प्रति घंटा की दर से मूंगफली दाना अलग किया जा सकता है।

कोनो वीडर- यह यंत्र धान की खरीफ फसल खड़ी फसल में से खरपतवार उखाड़कर अलगकरने के लिए उपयुक्त है। इस नौ किलों के यंत्र का आउटपुट 165 स्क्वायर मीटर प्रतिघंटा है और इसके संचालन के लिए एक महिला की आवश्यकता होती है जोकि बैठकर कार्य करने की अपेक्षा खड़े होकर यंत्र का संचालन आसानी से करती है।

दि पहिया कुदाल- यह यंत्र लाइन से लगी फसलों में खरपतवार निकालने के लिए उपयुक्त है। इस पांच किलो के यंत्र की कार्य क्षमता 150 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा है। पारंपरिक रूप से बैठकर खुरपी से निकाई करने की तुलना में यंत्र से खड़े होकर खरपतवार निकालने में श्रम की बचत लगभग 45 प्रतिशत तक होती है और कमर दर्द घुटनों में दर्द आदि समस्याएं भी नहीं होती है।

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चार लाइन वाला राइस ट्रांसप्लांटर- यह यंत्र 20 से 25 दिन की चटाई विधि से तैयार धान की नर्सरी को चार लाइनों में एक साथ रोपने के लिए अति उत्तम है। इस 23 किलो के यंत्र का आउटपुट 245 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा है। इस यंत्र की कार्य क्षमता के अनुसार आधार पर महिलाओं की कार्य क्षमता को 55 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही पारंपरिक धान रोपाई के तरीके से की तुलना में लगातार झुके रहकर काम करने से भी रोपाई करने से भी निजात मिल जाती है।

चार लाइन वाला पैडी ड्रम सीडर- यह यंत्र अंकुरित धान की लाइन से बुवाई करने के लिए उपयुक्त है। इस आठ किलो के यंत्र से लगभग 917 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा का आउटपुट लिया जा सकता है। इस यंत्र के संचालन के लिए एक महिला की आवश्यकता होती है लेकिन पूरे दिन लगातार काम करने की दशा में दो महिलाएं चाहिए होंगी।

गन्ना छिलाई यंत्र- यह यंत्र की सहायता से कटाई के उपरांत गन्ने की पत्ती, जड़ें आदि आसानी से एक ही बार में उतारी जा सकती है। साथ ही पारंपरिक तरीके से हंसिया के द्वारा गन्ने की पत्तियों और जड़ों की छिलाई के दौरान होने वाली चोट लगने की घटनाओं से भी बचा जा सकता है। गन्ना छिलाई यंत्र से गन्ने की पत्तियों एवं जड़ों की छिलाई में कार्य क्षमता लगभग 20 किलो प्रति घंटा बढ़ गई।

हस्त चलित मेड़ बनाने का यंत्र (हैंड रिजर)- यह यंत्र क्यारियों में सब्जी इत्यादि को लाइन से लगाने के लिए मेंड या नाली बनाने के लिए उपयोगी है। इस यंत्र का आउटपुट 337 स्क्वायर मीटर प्रति घंटा है। इस यंत्र को चलाने के लिए 2 महिलाओं की आवश्यकता होती है। इस यंत्र से श्रम को 67 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

लटकने वाला अनाज सफाई यंत्र- यह यंत्र अनाज से अशुद्धियों जैसे धूल, मिट्टी, पत्तियां, डंठल इत्यादि को अलग करने के काम आता है। इस 17 किलो के सफाई करने वाले हैंगिंग टाइप ग्रेडर कम क्लीनर के प्रयोग से औसतन 161 किलो प्रति घंटा की वृद्धि दर्ज की गई जहां परंपरागत तरीके से अनाज को साफ करने में एक महिला औसतन 55 किलो प्रति घंटा अनाज साफ करती है। वहीं उन्नत सफाई यंत्र का प्रयोग कर वह औसतन 216 किलो अनाज साफ कर सकती है। साथ ही क्योंकि यह अनाज की ग्रेडिंग एवं सफाई करने वाला हैंगिंग टाइप ग्रेडर कम क्लीनर यंत्र छत से लटकता है तो परंपरागत तरीके के विपरीत अनाज का वजन महिलाओं के कंधों और कमर पर नहीं पड़ता है और बैठकर अनाज साफ करने के बजाए खड़े होकर यंत्र को संचालित किया जाता है, जिससे थकान का अनुभव भी कम होता है।

धान ओसाई यंत्र- यह धान की ओसाई के लिए लगभग 36 किलो का यंत्र है, जिससे प्रति घंटा 242 किलो धान की ओसाई हो सकती है। संचालन के लिए दो महिलाओं की आवश्यकता होती है।

सीड ट्रीटमेंट ड्रम- इस ड्रम से बुवाई करने से पहले बीजों को एक समान रूप से उपचारित किया जाता है। यंत्र का वजन लगभग 26 किलो है और क्षमता 200 किलो प्रति घंटा है। यंत्र को चलाने के लिए एक व्यक्ति की आवश्यकता है। इस यंत्र से महिलाएं झुककर, उकडू बैठकर काम करने से और कृषि रसायनों से सीधे संपर्क में आने से बच जाती है।

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महिला किसान यहां से पता कर सकते है कि उनके क्षेत्र में कहां से यंत्र मिल जाएेंगें।

  • केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान
  • नबी बाग, बेरसिया रोड, भोपाल
  • फोन नंबर- 0755 2521242, 1143

     

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