कन्नौज: हैचरी से हो रहा किसानों को लाखों का फायदा

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कन्नौज: हैचरी से हो रहा किसानों को लाखों का फायदाकानपुर मंडल की पहली हेचरी कन्नौज में।

अजय मिश्र

कन्नौज। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत जिले में एक हैचरी चल रही है। इसमें लाभार्थी किसान को एक साल में करीब छह-सात लाख का फायदा हो रहा है। इतना ही नहीं मछली बीज के लिए बाहर जाने से भी राहत मिल गई है। कई मत्स्य पालक जिला मुख्यालय या जिले के बाहर जाते थे, जिससे उनको मुक्ति मिल चुकी है।

जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बसे विकास खंड हसेरन में दो हेक्टेयर जमीन पर हसेरन गांव के ही राधेश्याम पुत्र नाथूराम ने हैचरी खोली थी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण जीसी यादव ने बताया कि किसान को 12 लाख रुपए की योजना का लाभ दिया गया है। इसमें 50 फीसदी अनुदान विभाग की ओर से मिला है। लाभार्थी ने स्वयं छह लाख रुपए हैचरी के लिए लगाया। उन्होंने बताया कि हैचरी की उत्पादन क्षमता एक करोड़ मत्स्य बीज की है। यह बीज जिले के ही नहीं आस-पास के जिलों के लोग भी खरीदने आने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि पहले मत्स्य पालकों को मत्स्य विकास निगम की लखनऊ हैचरी से या उन्नाव अथवा मैनपुरी की निजी हैचरियों से मत्स्य बीज लाना पड़ता था। अब बाहर जाने का खर्च मत्स्य पालकों का बचेगा। साथ ही मत्स्य बीज भी सुरिक्षत रहेंगे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि कन्नौज जिले की हैचरी कानपुर मंडल के छह जिलों की पहली हैचरी है। इसका शुभारंभ तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा ने जुलाई में किया था।

अब तक 500 किसानों को इससे फायदा हो चुका है। वहीं लाभार्थी को साल में छह-सात लाख रुपये का फायदा भी हो चुका होगा। हसेरन ब्लॉक क्षेत्र के अरूहो निवासी भानु प्रताप का कहना है कि मछली पालन के लिए उनको पहली बार एक एकड़ जगह के तालाब का पट्टा मिला है। उन्होंने करीब दो इंच का मछली बीज डाला था, अब तालाब में करीब 400 ग्राम तक की मछली हो चुकी है। पास में ही हैचरी लगने से उनको राहत है।

ऐसे चलती है हैचरी

हैचरी में एक ब्रीडिंग पूल है। दो हैचिंग पूल हैं। ब्रीडिंग में नर-मादा को डाला जाता है। फिर हैचिंग में, इसके बाद अंडा फूटते हैं। स्पान यानि जीरा के बाद नर्सरी में पहुंच जाता है। करीब 20-25 दिनों में इसकी सप्लाई कर दी जाती है।

मिल रहीं ये प्रजातियां

मुख्य कार्यकारी अधिकारी बताते हैं कि हैचरी में उन्नत नवीन प्रजाति के रोहू, कतला, नैन, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कामन कार्प प्रजाति के मत्स्य बीज 120 से 150 रुपए प्रति हजार की दर से बिक्री किए जा रहे हैं। इस वर्ष करीब 500 किसानों को 75 लाख मत्स्य बीज दिया जा चुका है।

एक वर्ष पुराना बीज मिलेगा

अगले वर्ष से इस हैचरी पर ईयरलिंग यानि एक साल पुराना मत्स्य बीज, साइज 10 से 12.5 सेमी मत्स्य पालकों को उपलब्ध होगा। इसमें कम समय में अधिक मत्स्य उत्पादन करने में सहयोग मिलेगा।

     

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