नई दिल्ली। पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष अब तक गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों का रकबा 21.5 फीसदी बढ़ा है। ये लगातार दूसरा साल है जब गर्मियों के सीजन की फसलों की बुआई के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 23 अप्रैल तक देश में कुल 60.67 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी जो इस वर्ष समान अवधि में बढ़कर 73.76 लाख हेक्टेयर हो गई है।
गर्मियों के सीजन में मक्का, मूंग, उड़द, लोबिया, तरोई, लौकी, कद्दू, टमाटर, बैंगन, बाजरा और कई राज्यों में गर्मियों के सीजन वाले धान की खेती होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो वर्षों से अनाज,दलहन और तिलहन तीनों तरह की फसलों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। यानि किसान ज्यादा क्षेत्र में फसलें बो रहे हैं।
सरकारी बयान में कहा कि ग्रीष्मकालीन बुवाई मई के पहले सप्ताह तक पूरी होने की संभावना है, जिसके बाद फसल क्षेत्र क्षेत्र में और बढ़ोतरी हो सकती है। सरकारी बयान के मुताबिक सामान्यतौर पर गेहूं और धान के बीच की ये फसलें किसानों को अतिरिक्त आय और रोजगार के अवसर देंती हैं बल्कि इस दौरान दलहनी फसलों की जो खेती होती है, उससे मिट्टी की सेहत भी सुधरती है।
ये भी पढ़ें- यहां रेत में होता है मछली पालन और गर्मियों में आलू की खेती, किसान कमाते हैं बंपर मुनाफा
23 अप्रैल को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के 23 अप्रैल 2021 तक, दलहन के तहत बोया जाने वाला क्षेत्र 6.45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.75 लाख हेक्टेयर हो गया, जो लगभग शत-प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। बढ़ा हुआ क्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों से है।
इसके साथ ही तिलहन का फसल क्षेत्र 9.03 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि के हैं।
देश के वो राज्य यहां पानी की उपलब्धता है, वहां गर्मियों के सीजन में भी धान की खेती होती है। इस वर्ष 23 अप्रैल तक प्राप्त जानकारी के अनुसार धान की रोपाई का क्षेत्र 33.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 39.10 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। गर्मियों का धान ( रबी चावल) का रकबा पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार आदि राज्यों में बढ़ा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अऩुसार राज्यों और केंद्र सरकार की योजनाओं और किसानों की कड़ी मेहनत के चलते ये बढ़त हासिल हुई है। ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे दालों, मोटे अनाजों, पोषक-अनाजों और तिलहन की वैज्ञानिक खेती के लिए नई पहलें की हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं।
अपने बयान में कृषि मंत्रालय ने ये भी कहा है कि जनवरी 2021 में एक रोड मैप विकसित करने के लिए जैद नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें राज्यों के साथ इससे सम्बंधित चुनौतियों, संभावनाओं और रणनीतियों पर चर्चा की गई थी।
इसके बाद, उत्पादन को अधिकतम करने के लिए, बीजों और उर्वरकों की समयबद्ध व्यवस्था के साथ-साथ कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की गई। तकनीकी सहायता के लिए, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के बीच करीबी समन्वय सुनिश्चित किया गया जो जिला और जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण हैं।