अधिक कीटनाशक है मधुमक्खियों के लिए खतरा

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अधिक कीटनाशक है मधुमक्खियों के लिए खतरासाभार: इंटरनेट

स्वयं डेस्क

लखनऊ। परागकण की कमी से फसल की उत्पादकता के साथ उसकी पोषकता और गुणवत्ता पर काफी गिरावट देखने को मिल रही है। इसकी वजह खेती में तेजी से कीटनाशक का बढ़ता उपयोग है। किसानों द्वारा कीटनाशक के इस उपयोग से मधुमक्खियों का परागण नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही ये मधुमक्खियों की जान के लिए भी खतरा बनता जा रहा है।

मौसम में आए बदलाव की वजह से लगभग सभी किसान कीटनाशक का उपयोग कर रहें हैं। अधिक मात्रा में किए जा रहे इस कीटनाशक के उपयोग से मधुमक्खियों का परागकण कम होता जा रहा है। इससे फलों और सब्जियों की फसल पर काफी असर देखने को मिल रहा है। फसलों की पैदावार के साथ बीजों की गुणवत्ता में भी कमी आ रही है। फसलों पर कीटनाशक दवाओं और जहरीले कैमिकल के छिड़काव से मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती हैं। इसके अतिरिक्त छिड़काव के बावजूद अगर ये मक्खियां खेतों में परागकण के लिए आती हैं तो हानिकारक कीटनाशकों के प्रभाव से इनकी मौत हो जाती है।

उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के वरिष्ठ स्रोत सहायक अमृत वर्मा बताते हैं कि परागण दलहनी और तिलहनी फसलों के लिए महत्वपूर्ण है। लगभग पांच फीसदी स्वपरागण (फूलों द्वारा), पांच फीसदी वायुपरागण और 90 फीसदी परागण कीट करते हैं। इसमें से 81 फीसदी परागण केवल मधुमक्खियों से मिलता है इसलिए परागकण के लिए कई किसान मधुमक्खियां भी पालते हैं जिससे अच्छी पैदावार से वे अधिक मुनाफा भी कमा सकें। अमृत वर्मा ने बताया कि फसल पर हुए कीटनाशक के छिड़काव की गंध से कुछ मक्खियों को खतरे का आभास हो जाता है इसलिए वे फसलों पर नहीं बैठती हैं लेकिन कुछ अपने भोजन के लिए मजबूरी में उन जहरीली फसलों से परागकण इकट्ठा करने के दौरान ही मर जाती हैं।

कीट वर्ग का प्राणी है। अन्य सभी कीटों के मुकाबले मधुमक्खियां अधिक परागण करती हैं। इसलिए परागण की महत्ता को देखते हुए सरकार ने भी कई जनपदों में मौनवंश रखवाए हैं जिससे फसलों की गुणवत्ता और पैदावार अच्छी हो सके।
अमृत वर्मा, वरिष्ठ स्रोत सहायक, उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग (लखनऊ)

बढ़ती है खाद्य उत्पादकता

मधुमक्खियां छोटे किसानों के लिए खाद्य उत्पादकता बढ़ाने में मदद करती हैं। उस तरह ये मक्खियां दुनिया की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी किसानों की मदद करती हैं। यदि मधुमक्खियों और अन्य कीटों की परागण की व्यवस्था छोटे विविध खेतों पर उचित रूप से की गई है तो फसल की पैदावार में लगभग 30 फीसदी की बढ़त होती है। लगभग एक एकड़ में किसान दो मौनवंश (मधुमक्खियों के बक्से) रखकर अच्छा परागकण करा सकते हैं।

परागण से बीजों में आती है चमक और गुणवत्ता

फलों, सब्जियों और बीजों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की निर्भरता मधुमक्खी और अन्य कीटों के परागण पर होती है। अगर एक पौधे पर अच्छी तरह से परागण की प्रक्रिया मक्खियों द्वारा की गई है तो वह फलों और सब्जियों को और भी रसभरा बनाता है। उस तरह परागण उनके (फसलों के) गुणों और स्वाद में बढ़ोतरी करता है। अच्छे परागण से बीज अधिक चमकीले, सुडौल, सुंदर होते हैं।

इन जनपदों में सरकार कराती है परागण

लखनऊ, सुल्तानपुर, कानपुरनगर, इलाहाबाद, बस्ती, सहारनपुर, आगरा, जौनपुर, मुरादाबाद, फैजाबाद, बनारस, गाजीपुर, आजमगढ़

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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