किसान को ज्यादा एमएसपी देने पर केंद्र के यू-टर्न पर प्रो स्वामिनाथन का जवाब आया है
Bhasker Tripathi 15 Jan 2017 2:57 PM GMT

लखनऊ। किसानों को उनकी लागत पर 50% बढ़ाकर फसल का मूल्य दिये जाने की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को केंद्र ने यह कहकर ठुकरा दिया है कि इससे मण्डी व्यवस्था लड़खड़ा जाएगी। इस पर प्रो. स्वामीनाथन ने गाँव कनेक्शन से कहा कि हम किसानों को गरीबी से बचाने के लिए कम से कम खेती को फायदेमंद तो बना ही सकते हैं।
भारत को हरित क्रांति देने वाले प्रो. एमएस स्वामीनाथन ने गाँव कनेक्शन से ईमेल के माध्यम से कहा, “देश में ज्यादातर छोटे किसान हैं इसलिए (प्रति किसान) बेचे जाने योग्य अतिरिक्त अनाज कम ही होता है। इसीलिए जब तक किसानों को फसल का अच्छा मूल्य नहीं मिलता वो गरीबी के जाल से बाहर नहीं आ पाएंगे। यही कारण है कि किसान अन्य कार्यों के लिए खेती को छोड़ रहे हैं”।
संप्रग सरकार ने खेती की त्रासदी से निपटने के लिए प्रो. स्वामीनाथन की अगुवाई में साल 2007 में एक आयोग का गठन किया था।
इस आयोग ने खेती को फायदेमंद बनाने के लिए कुछ सिफारिशें सरकार के सामने रखी थीं, जिनमें प्रमुख थी किसानों को उनकी लागत मूल्य की कम से कम 50% वृद्धि करके न्यूनतम समर्थन मूल्य देना’।
संप्रग सरकार ने स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों को नहीं माना था, जिसका तत्कालीन विपक्षी पार्टी भाजपा ने घोर विरोध किया था। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा द्वारा किसानों से किए गए वादों में आयोग की रिपोर्ट को लागू करना भी शामिल था।
हाल ही में आयोग की सिफारिशों को नकारने के केंद्र के फैसले की आरटीआई सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। आरटीआई में आयोग की सिफारिश को ठुकराने की वजह यह बताई गई कि ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सिफारिश ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ (एमएसपी) द्वारा फसल के कई घटकों पर विचार करते हुए तय मानदंडों पर की जाती है। इसीलिए लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि करने से मंडी में विकृति आ सकती है’।
आरटीआई में केंद्र सरकार द्वारा यह भी बताया गया है कि स्वामीनाथन आयोग ने अपनी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय किसान नीति का विस्तृत मसौदा प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर राष्ट्रीय किसान नीति 2007 बनी थी, जोकि अभी प्रचलन में है। केन्द्र सरकार द्वारा चलाई गई अधिकांश स्कीमें/कार्यक्रम राष्ट्रीय किसान नीति 2007 के अनुरूप हैं। “अगर खेती की दशा खराब हो गई, तो और कुछ सही नहीं हो पाएगा। (किसानों की) मदद के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं कि उनकी लागत पर 50% अतिरिक्त मूल्य देकर उनसे खरीद की जाए,” स्वामिनाथन ने बताया।
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