वीरेंद्र सिंह/दीपक सिंह, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
दौलतपुर(बाराबंकी)। पद्मश्री जैसा सम्मान पाकर भी किसान रामसरन वर्मा दूसरे किसानों को खेती के लिए प्रेरित करते रहते हैं, किसानों को तकनीकि ज्ञान देने के लिए पद्मश्री रामसरन वर्मा ने राष्ट्रीय कृषि तकनीकि सम्मेलन का आयोजन कराया।
बाराबंकी के हरख ब्लॉक के दौलतपुर में आयोजित कार्यक्रम की मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा, “औद्योगिक इकाईयों में नए शोध का लाभ सिर्फ संबंधित इकाई और उससे जुड़े लोगों को होता है। जबकि, रामसरन वर्मा जैसे प्रगतिशील किसान अपनी तकनीक को आमजन तक ले जाकर उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। कृषि के क्षेत्र में इनका योगदान सराहनीय है, इसलिए केंद्र सरकार ने इन्हें पद्मश्री से विभूषित किया है।”
उन्होंने कहा कि खेती की किसान ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका है। उन्होंने इस मौके पर आठ किसानों को सम्मानित किया। साथ ही सम्मानित होने वाले किसानों में महिला न होने पर आगे से उन्हें भी शामिल करने पर जोर दिया। कार्यक्रम में समापन से पहले आयोजकों ने दो महिला किसानों के नाम सम्मान के लिए प्रस्तावित किए, जिन्हें राज्यपाल ने सम्मानित किया।
इन किसानों को किया सम्मानित
जिन किसानों ने पदमश्री रामसरन वर्मा की इस तकनीक से खेती से आय बढ़ाने की मिसाल कायम की, उनमें पंकज कुमार के अलावा जिले के ग्राम जिजौरा के सुरेंद्र रावत, बलिया जिले के ग्राम अमडरिया निवासी धीरेंद्र कुमार, बिजनौर जिले के ग्राम जाफरपुर निवासी राजेंद्र कुमार, अंबेडकरनगर जिले के उमरी जलालपुर निवासी संतोष सिंह, दौलतपुर के हरिहर सागर व आनंद कुमार वर्मा के नाम शामिल हैं। इन्हें खेती की बात खेत पर कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया।
अब्दुल कलाम ने थी रामशरण को ‘खेती का जादूगर’ की संज्ञा
रामशरण वर्मा को 2007 में देश का सबसे बड़ा कृषि सम्मान राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 2010 में भी उन्होंने राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार जीतकर अपनी मेहनत और काबिलियत का लोहा मनवाया। 2014 में बागवानी के क्षेत्र में भी इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने भी रामशरण वर्मा को वैज्ञानिक खेती के लिए सम्मानित किया। साल 2012 में एक कार्यक्रम में रामशरण वर्मा को सम्मानित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें खेती का जादूगर होने की संज्ञा दी थी।