पिछले कुछ वर्षों में किसानों के बीच कमल की खेती का चलन तेजी से बढ़ा है, बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है, लेकिन दिवाली के त्यौहार में जब इसकी माँग अधिक रहती है तब फूल नहीं मिलते हैं। लेकिन अब इस नई किस्म से साल भर फूल मिलते रहेंगे।
सीएसआईआर-भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, के वैज्ञानिकों ने कमल की नई किस्म ‘नीलम्बो नमो 108’ विकसित की है, इस किस्म में फरवरी से लेकर दिसंबर तक फूल खिलते हैं।
नमो 108 विकसित करने वाले एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ के जे सिंह इस किस्म के बारे में गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “इस किस्म को हम मणिपुर से लेकर आए थे और यहाँ लाकर हमने इस पर कई सारी रिसर्च की हैं।”
वो आगे कहते हैं, “आमतौर पर कमल के फूल जून से अगस्त तक खिलते हैं, लेकिन इस पर हमने रिसर्च करके कई बदलाव किए, अब ये उत्तर भारत में फरवरी के आखिरी हफ्ते से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक खिलता है। भारत की ये पहली किस्म है, जिसमें इतने लंबे समय के लिए फूल खिलते हैं।”
कमल की बाकी किस्मों के फूलों में 10 से 30 पंखुड़ियाँ होती हैं, लेकिन नमो 108 में 108 पंखुड़ियाँ होती हैं। एक तो कमल हमारा राष्ट्रीय पुष्प होता है, दूसरा हिंदू धर्म में 108 का काफी महत्व है, इसलिए इसका नाम नमो 108 रखा गया है।
वो आगे कहते हैं, “दिवाली में कमल की काफी माँग रहती है, तब कमल नहीं मिलता तो लोग वॉटर लिली को कमल के नाम से मार्केट में बेचते हैं। लेकिन अब इस किस्म से दिवाली में भी कमल के फूल खिलते रहेंगे।”
कमल की खेती को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है, अभी तक ज़्यादातर लोग तालाबों में प्राकृतिक रूप से उगे कमल के फूल तोड़कर बाज़ार में बेचते हैं, जबकि इसकी खेती करके बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।
डॉ सिंह आगे कहते हैं, “हमने इस किस्म की खेती की तकनीक भी विकसित की है, आमतौर पर लोग राइजोम या फिर बीज़ से नए पौधे तैयार करते हैं, लेकिन इसमें हमने रनर जोकि बेल की तरह होता है और पानी के ऊपर तैरता रहता है, उससे पौधे तैयार किए हैं। इस तरह से पौधे तैयार करने पर 30 से 45 दिनों में फूल आने लगते हैं। ये बहुत तेजी से तैयार हो जाते हैं।”
आने वाले समय में भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत किसानों को इसकी खेती की ट्रेनिंग भी देगा। डॉ सिंह कहते हैं, “अभी हमने एक-दो महीने में ही 10 हज़ार नए पौधे तैयार कर लिए हैं। आने वाले समय में जब हम किसानों को इसकी खेती की पूरी ट्रेनिंग भी देंगे, कि कैसे नए पौधे तैयार कर सकते हैं, कैसे इसकी खेती बड़े पैमाने पर कर सकते हैं।”
बागवानी का शौक रखने वाले भी इसे छोटी जगह या टब में भी लगा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में संपर्क कर सकते हैं।