किसान मजबूरी में कर रहे हैं खेती : हुकुमदेव नारायण यादव

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   5 May 2017 3:33 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
किसान  मजबूरी में कर रहे हैं खेती  : हुकुमदेव नारायण यादवभाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव।

नई दिल्ली (भाषा)। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा है कि पिछले 65 वर्षों में किसानों को जाति और सम्प्रदाय में बांटने का प्रयास किया गया, जिसके कारण खेती आज मजबूरी का पेशा बन गया है और किसान को अगर आजीविका का दूसरा विकल्प मिल जाए, तो वह खेती करने को तैयार नहीं है।

हुकुमदेव ने कहा, ‘‘ हमारी सरकार खेती को लाभप्रद बनाने का प्रयास कर रही है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, कृषि मंडी को ई प्लेटफार्म पर जोड़कर किसानों को उत्पादों का उचित मूल्य सुनिश्चित करने की योजना इस दिशा में अहम पहल है।''

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 65 वर्षों में किसानों को जाति और सम्प्रदाय में बांटने का प्रयास किया गया, जिसके कारण किसान एक ‘वर्ग' के रूप में नहीं उभर सका और उसका शोषण होता रहा, मोदी सरकार किसानों को मजबूत बनाने का पुरजोर प्रयास कर रही है, सरकार की योजनाएं गांव, गरीब और किसान को समर्पित हैं।

किसान जाति और सम्प्रदाय की चक्की में पिसता जा रहा है और इसी कारण से उसका शोषण होता है, आज तक किसान एक ‘वर्ग’ नहीं बन पाया।
हुकुमदेव नारायण यादव वरिष्ठ नेता एवं सांसद भाजपा

उन्होंने कहा कि खेती आज मजबूरी का विषय बन गया है, किसान को अगर आजीविका का दूसरा विकल्प मिल जाए, तो वह खेती करने को तैयार नहीं होता है।

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

उन्होंने कहा, ‘‘ जिस दिन किसान एक वर्ग के रूप में संगठित हो जाएगा और अपने वर्ग हित को समझ लेगा, तदनुसार राजसत्ता का सहयोगी बनेगा... उस दिन उसका भाग्य और भविष्य दोनों बदल जाएगा।''

भाजपा सांसद ने कहा कि पिछले 65 वर्षों से किसानों का शोषण हो रहा है और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार स्थितियों को बदलने की पुरजोर कोशिश कर रही है जिसका उदाहरण केंद्रीय बजट है। कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष यादव ने कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार ने गांव, गरीब और किसान तथा मजदूर, पिछड़े वर्ग, दलित और महिलाओं के सशक्तिकरण एवं कल्याण पर विशेष जोर दिया है और इसे ध्यान में रखते हुए बजटीय प्रावधान किए गए है।

हुकुमदेव नारायण यादव ने वरिष्ठ समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया को उद्धृत करते हुए कहा कि जहां कोई एक पेशा बिल्कुल एक जाति के गिरोह में बंध जाया करता है और जब गिरोहबाजी आ जाती है तब लोग एक दूसरे को लूटने की कोशिश करते हैं, इसलिए आज जो इतना व्यापक भ्रष्टाचार है, हर स्तर पर... वह तब तक जारी रहेगा जब तक यह जाति प्रथा वाला मामला चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि और इसलिए आज सबसे बडी चुनौती जाति प्रथा के जाल को तोड़ना है और तभी समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

अभी तक नहीं हो पाया है समग्र भूमि सुधार

भारत में भूमि सुधार के बारे में एक सवाल के जवाब में भाजपा सांसद ने कहा कि अभी तक समग्र भूमि सुधार नहीं हो पाया है, भूमि का वितरण भूमि सुधार नहीं हो सकता है, जमीन के बड़े टुकड़े को छोटा बना देना, भूमि सुधार का एकमात्र तरीका नहीं हो सकता है।

यादव ने कहा कि भूमि सुधार का मतलब बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना, असिंचित क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराना, जमीन में उत्पादन और उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाना तथा निरंतरता बनाए रखने की व्यवस्था करना है, यह सब लागू होगा तब सही अर्थों में भूमि सुधार लागू हुआ कहा जा सकता है।

शासन एवं सामाजिक व्यवस्था में बदलाव की जरुरत को रेखांकित करते हुए हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है।।

सम्पूर्ण क्रांति तभी मुकम्मिल जब दोनों राजा बदल जाएं

उन्होंने लोहिया को उद्धृत करते हुए कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी नंबर एक का राजा (जो सत्ता के शीर्ष पर होता है) तो बदलता रहता है, दुनियाभर में बदलता रहता है, चुनाव के बाद बदलने की संभावना रहती है, लेकिन नंबर दो के राजा ज्यों के त्यों बने रहते हैं और बदलती सत्ता से जुड जाते हैं। सम्पूर्ण क्रांति वहीं मुकम्मिल हुआ करती है जहां नंबर एक राजा के साथ नंबर दो राजा भी बदल जाए।

                      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.