किसानों के लिए अरहर की नई किस्म पूसा-16 जनवरी में होगी जारी
Sanjay Srivastava 1 Nov 2016 4:07 PM GMT

नई दिल्ली (भाषा)। किसानों के लिए अरहर की नई किस्म ‘पूसा-16' खरीफ 2017 में बुवाई के लिए उपलब्ध होगी। अरहर की यह नई किस्म ‘पूसा-16' चार महीने में ही तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस नई किस्म की प्रायोगिक खेती चल रही है।
देश में अरहर का उत्पादन मांग से कम है इसका उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों के तहत दलहनों की जल्दी तैयार होने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास का प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि नई किस्म की अरहर से अगले तीन साल में देश को दालों के मामले में आत्म निर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी।
निश्चिततौर पर काफी प्रभावी होगी अरहर की नई किस्म पूसा-16
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) का दौरा किया जहां अरहर की नई किस्म की प्रायोगिक खेती की जा रही है। उन्होंने नई किस्म की अरहर की प्रायोगिक फसल का निरीक्षण करने के बाद कहा, ‘‘हम अरहर की इस नई किस्म (पूसा-16) को जल्द ही वाणिज्यिक खेती के लिए पेश करेंगे। जैसे ही इसकी वाणिज्यिक खेती में इस्तेमाल शुरू होगा निश्चिततौर पर इसका काफी प्रभाव होगा।''
दो साल के सूखे ने दाल का उत्पादन घटाया
देश में दालों का उत्पादन इनकी कुल मांग 2.30 से 2.40 करोड़ टन के मुकाबले कम है पिछले दो साल देश में सूखा पड़ने की वजह से दालों का उत्पादन घटा है। उत्पादन घटने से हाल में दालों के दाम आसमान छूने लगे थे। इसे देखते हुए महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार को अनेक उपाय करने पड़े। जेटली ने कहा कि अरहर की इस नई किस्म से पूरे देश को काफी फायदा होगा।
पिछले दो साल के दौरान दालों की तंगी को लेकर सरकार में काफी चिंता रही। उन्होंने कहा, ‘‘इसके पीछे वजह यह रही है कि दालें हमारे खाने का मुख्य अंश हैं, हमारे खाने में सबसे ज्यादा प्रोटीन दालों से ही आता है, हम न केवल दालों के सबसे बड़े उत्पादक हैं बल्कि सबसे बड़े उपभोक्ता और आयातक भी हैं, इसलिए यहां इसकी कमी है।अरूण जेटली वित्त मंत्री
ऊंचे एमएसपी और बोनस से दलहन की खेती को प्रोत्साहित करें
सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन पर आईएआरआई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम में जेटली ने कहा, ‘‘पिछले दो साल के दौरान हमारी सरकार का यह प्रयास रहा है कि दलहनों की खेती को इस तरह से प्रोत्साहन दिया जाए जिससे उत्पादन बढ़ाया जा सके और इस साल यह प्रत्यक्ष हो रहा है।'' उन्होंने कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम यह सुझाव देते रहे हैं कि सरकार को ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य और बोनस देकर दलहन की खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए।
जेटली ने कहा, ‘‘यहां तक कि कृषि मंत्रालय भी इसके लिए जोर देता रहा है। हमने इसका परिणाम देखा है और हम उत्पादन में वृद्धि देख रहे हैं। यह इस साल भी प्रत्यक्ष दिख रहा है।''
अरहर की नई किस्म ‘पूसा-16’ पर कहा, ‘‘इस नई किस्म को वाणिज्यिक उत्पादन के लिए जनवरी में जारी कर दिया जाएगा और यह खरीफ 2017 में बुवाई के लिए उपलब्ध होगी। यह किस्म दालों के मामले में देश को अगले तीन साल में आत्मनिर्भर करने में मदद करेगी।’’ अरहर की यह नई किस्म चार महीने में ही तैयार हो जाती है जबकि इसकी मौजूदा किस्में 6 से 9 माह का समय लेतीं हैं। अरहर की यह नई किस्म दूसरी फसलों के साथ उगाहने में भी उपयुक्त है। इसकी पैदावार 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मौजूदा किस्मों की भी इतनी ही पैदावार होती है।राधा मोहन सिंह कृषि मंत्री
पिछले दो साल सूखा पड़ने के बाद इस साल मानसून सामान्य रहने से 2016-17 (जुलाई से जून) के दौरान देश में दालों का उत्पादन दो करोड़ टन तक बढ़ने का अनुमान है लेकिन इसके बावजूद यह कुल घरेलू मांग 2.30 से 2.40 करोड़ टन से कम ही रहेगा। इससे पहले 2015-16 में दालों का उत्पादन घटकर 1.64 करोड़ टन रह गया था।
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