न्यूनतम समर्थन मूल्य में विवेकपूर्ण वृद्धि खाद्य मुद्रास्फीति को सीमित रखेगी
Sanjay Srivastava 25 Oct 2017 6:52 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि एक विवेकपूर्ण नीति की प्रतिक्रिया है, निकट अवधि में इसे खाद्य मुद्रास्फीति को भी नियंत्रण में रखना चाहिए। जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा ने अपनी एक रपट में यह बात कही है।
केंद्र सरकार ने कल गेंहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 110 रुपए बढ़ाकर 1735 रुपए प्रति कुंतल कर दिया था। साथ ही दालों के एमएसपी में भी 400 रुपए प्रति कुंतल तक की बढ़ोत्तरी की गई है। इसका मकसद किसानों को दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
एमएसपी से आशय उस न्यूनतम दर से होता है जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदती है। नोमुरा के अनुसार एमएसपी में वृद्धि पिछले साल की गई वृद्धि के अनुरुप ही है यद्यपि यह 2013-14 से 2015-16 के दौरान की गई वृद्धि से अधिक है।
नोमुरा ने कहा, आने वाले चुनावों और किसानों के बीच असंतोष की रपटों को देखते हुए हमारा मानना है कि यह वृद्धि (एमएसपी में) एक विवेकपूर्ण नीति की प्रतिक्रिया है। रपट में कहा गया है, इस वृद्धि को निकट अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति को दायरे में रखना चाहिए क्योंकि एमएसपी से आमतौर पर बाजार के लिए आधार मूल्य तैयार होता है विशेषकर चावल और गेहूं का।
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प्रतिशत आधार पर गेहूं का एमएसपी 6.8 फीसद, चना का 10 फीसद, मसूर का 7.6 फीसद, सरसों का 8.1फीसद, जौ का 6.4 फीसद और कुसुम के बीज का 10.8 फीसद बढ़ा है।
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