मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना कठिनाइयों के बावजूद कर रही बेहतर प्रगति : अध्ययन
Sanjay Srivastava 6 Oct 2017 7:04 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। कर्मचारियों की कमी, कम बिजली आपूर्ति और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी अन्य चुनौतियों के बावजूद मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना बेहतर ढंग से आगे बढ़ रही है, एक सरकारी अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2015 में शुरू की गई इस योजना के तहत अभी तक 10 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं जबकि लक्ष्य 12 करोड़ का था। इस कार्ड को हर तीसरे वर्ष जारी किया जाएगा। इसमें किसानों को उनके खेत की मिट्टी की पोषण स्थिति के बारे में सूचना के साथ उसके स्वास्थ्य को सुधारने और उर्वरता बढ़ाने के लिए मृदा पोषक तत्वों की उपयुक्त मात्रा के बारे में सिफारिश दी जाएगी।
कृषि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी) द्वारा कराए गए अध्ययन में कहा गया है कि इस योजना का कुल प्रभाव सकारात्मक है, जिसमें लागत की कमी लाने के साथ संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल के जरिए खेत के स्तर पर उत्पादन बढ़ा है और टिकाऊ विकास हुआ है। हालांकि, अध्ययन में मिट्टी के नमूने जुटाने और बाद में उनकी प्रयोगशालाओं में जांच करने के लिए तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों की कमी पर गौर किया गया है।
एनपीसी ने सुझाव दिया है कि मिट्टी के नमूने जुटाने और समय पर कार्ड वितरण करने के लिए क्षेत्र के कर्मचारियों को मेहनताना दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि मिट्टी के नमूने जुटाने की मेहनताना राशि को प्रति नमूना 10 रुपए से बढ़ाकर 25 रुपया किया जा सकता है।
मिट्टी परीक्षण का काम चरणबद्ध तरीके से करें
अध्ययन में कहा गया है कि किसानों के लाभ के लिए सभी खेतों की मिट्टी के परीक्षण का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए और उर्वरकों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के इस्तेमाल के बारे में फसल विशेष के हिसाब से सिफारिश की जानी चाहिए। मौजूदा समय में सिंचित क्षेत्र में 2.5 प्रतिशत के ग्रिड में और गैर--सिंचित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर के ग्रिड में नमूने को एकत्रित किया जाता है।
परीक्षण उपकरणों की उपलब्धता के बारे में एनपीसी ने बिजली बैक अप की सुविधा के साथ पुराने मिट्टी जांच प्रयोगशाला के नवीनीकरण और सुदृढ़ीकरण करने तथा तालुक के स्तर पर सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच करने के लिए एटोमिक एबजार्ब्सन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (एएएस) प्रदान करने की सिफारिश की है।
इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद जरूरी
अध्ययन में कहा गया है कि पर्याप्त मात्रा में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान की जानी चाहिए ताकि आंकड़ों को पोर्टल पर आसानी से अपलोड किया जा सके। प्रयोगशालाओं में पर्याप्त प्रिंटर भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि मृदा स्वास्थ्य की छपाई की जा सके।
कार्ड की छपाई के लिए सरकार को अधिक धन दें
इसमें कहा गया है कि आय के रिकॉर्ड को अद्यतन किया जाना चाहिए ताकि किसान के नाम के बारे में सही जानकारी उपलब्ध रहे और सरकार को कार्ड की छपाई के लिए अधिक धन देना चाहिए। यह राशि मौजूदा समय में 190 रुपए प्रति कार्ड है और इसे बढ़ाकर 325 रुपए प्रति कार्ड किए जाने की जरूरत है।
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अध्ययन में योजना के तहत सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को बंद करने की भी सिफारिश की गई है। यह अध्ययन 19 राज्यों के 76 जिलों में किया गया है।
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