नागपुर के लोगों को आम से ज्यादा भा रहा उनकी नई किस्मों का नाम, माधुरी और मल्लिका
Sudha Pal 22 April 2017 11:16 AM GMT
लखनऊ। इन दिनों नागपुर के बाजारों में ‘माधुरी’ और ‘मलिका’ को देखने और उनका स्वाद लेने के लिए लोग बाजारों के चक्कर लगा रहें हैं। ये कोई फिल्मी अभिनेत्रियां नहीं बल्कि आम की नई किस्में हैं। जी हां, इस समय जहां आम आने में अभी थोड़ा वक्त है वहीं शहर में इन आमों की खरीदारी शुरू हो चुकी है और ये नई किस्में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुईं है।
इन किस्मों को दक्षिण भारत के किसानों ने विकसित किया है और अब ये किस्में सबसे ज्यादा नागपुर के बाजारों और फल मंडियों में देखी जा रहीं हैं। जिस मैंगोमैन कहे जाने वाले मशहूर आम उत्पादक और पद्मश्री सम्मानित हाजी कलीमुल्लाह ने भी आम की अपनी एक किस्म का नाम ‘नमो आम’ रखा है। इसी तरह दक्षिण भारत के किसानों ने भी इन किस्मों को एक रोचक नाम दिया है।किसानों ने इन किस्मों का नाम बॉलीवुड की अभिनेत्रियों, माधुरी दीक्षित और मल्लिका शेरावत पर रखा है। लोगों को आम से ज्यादा उनका नाम पसंद आ रहा है। साथ ही लोग इसका स्वाद भी चखना चाह रहें हैं।
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अभी तक बाजारों में ज्यादातर आम की जो किस्में मशहूर हैं, वो हैं लंगड़ा, चौसा, दशहरी, सफेदा। इसके अलावा बंबइया, मालदा, पैरी, सफ्दर पसंद, सुवर्णरेखा, सुन्दरी, राजापुरी, अलंपुर बानेशन, अल्फोंसो, बादामी, गुंदू, दशहरी अमन, निराली अमन, गुलाब ख़ास, ज़ार्दालू, वनराज, फजली, सफेदा लखनऊ भी बाजारों में देखने को मिलते हैं।
भारत में 300 से ज्यादा आम की किस्में पाई जाती हैं और यही वजह है कि आम के उत्पादन में देश सबसे आगे है। आम की लगभग 30 किस्में ऐसी हैं जो लोगों में ज्यादा पसंद की जाती हैं। माधुरी और मल्लिका के आने से अब देश की आम की किस्मों की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है।
‘ऑरेंज सिटी’ में 10 हजार टन आम की होती है खपत
नागपुर में आम की काफी खपत होती है और लोग भी इसे पसंद करते हैं। यही वजह है कि इस समय भी ये किस्में नागपुर बाजारों में पहुंच चुकी हैं। नागपुर भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑरेंज शहर के रूप में जाना जा सकता है, लेकिन यहां आम भी लोगों के दिलों पर राज करता है। कृषि उत्पादक बाजार समिति (एपीएमसी) के निदेशक राजेश छाबरानी ने कहा, “गर्मियों में आम के सीजन तक नागपुर के लोग लगभग 10 हजार टन आम का सेवन करते हैं। पीक सीजन लगभग 45-60 दिनों तक रहता है लेकिन खाद्य पदार्थों में इसका समय सबसे ज्यादा होता है।”
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